ग़ाज़ियाबाद में झारखंड के साइबर ठगों का फैला जाल, लेकिन यूपी पुलिस से नहीं मिलेगी कोई मदद
साइबर ठगी का अड्डा बनी हुई है suitslabel.com, यहां महिलाओं को लुभाने के लिए दिखाई गई है उनके कपड़ों की आकर्षक और लुभावनी वैरायटी, वेबसाइट पर जाकर आप अपने लिए कपड़े चुन उन्हें ऑर्डर कर सकते हैं, मगर जब आपके पास डिलीवरी पहुंचती है तो पहुंचते हैं दूसरे चीप कपड़े, रिप्लेस की बात पर ये फेक कंपनी मांगती है बैंक डिटेल और ओटीपी, ताकि कर सके आपका एकाउंट खाली...
प्रेमा नेगी की रिपोर्ट
जनज्वार। साइबर क्रांति के इस युग में इंसान के लिए चीजें जितनी आसान हुई हैं, उसी तादाद में साइबर ठगी की वारदातों में भी बढ़ोत्तरी होती जा रही है। शुरू में साइबर ठगों ने बैंकों के नाम पर ग्राहकों को ठगना शुरू किया, उसके बाद ईमेल समेत कई अन्य तरीकों से, मगर जब लोग ऐसी ठगी से सतर्क होना शुरू हो गये तो अब इन साइबर ठगों ने फ्रॉड का एकदम नया तरीका ढूंढ़ निकाला है महिलाओं को निशाना बनाकर।
सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक लगभग हर मोबाइल उपयोगकर्ता यूज करता है। इस पर तमाम तरह के विज्ञापन आते हैं, आपकी पसंद के हिसाब से आपको उसी तरह के विज्ञापन दिखाई देते हैं। इसी को भांपकर साइबर ठगों ने महिलाओं के कपड़ों की फर्जी वेबसाइटें बनाकर लुभावने ऑफरों के साथ अपना जाल बिछाया हुआ है।
ठगी का ऐसा ही एक अड्डा बनी हुई है suitslabel.com। यहां महिलाओं को लुभाने के लिए उनके कपड़ों की आकर्षक और लुभावनी वैरायटी दिखाई गई है। वेबसाइट पर जाकर आप अपने लिए कपड़े चुनकर उन्हें ऑर्डर कर सकते हैं, मगर जब आपके पास डिलीवरी पहुंचती है तो उसमें चुने हुए कपड़े नहीं बल्कि चीप, सस्ते से कपड़े रहते हैं।
इस आनलाइन ठगी की शिकार हुई है पेशे से पत्रकार निहारिका (बदला हुआ नाम)। 31 मई को निहारिका ने फेसबुक पर दिखाये गए कॉम्बो कुर्तियों के एड के बाद suitslabel.com वेबसाइट से 990/— रुपये की कॉम्बो कुर्तियों का आर्डर प्लेस किया, जिसका आर्डर नंबर SL155928795916 था। 3 जून को उनके घर कॉम्बो कुर्तियां आईं, मगर ये वो कुर्तियां वो नहीं थीं, जो कि विज्ञापन में दिखाई गई थीं, बल्कि चीप, सस्ती सी और बेहद घटिया कुर्तियां थीं। जब इसके बाद उन्होंने रिप्लेस के लिए suitslabel.com की वेबसाइट पर लॉगिन किया तो उसमें ऐसा कोई आप्शन नहीं दे रहा था और न ही उसमें कोई कॉन्टैक्ट नंबर था जिसके जरिए कंपनी से कोई संपर्क कर पायें। उसके बाद गूगल से सर्च करने पर suitslabel के दो कस्टमर केयर नंबर 09083334295 और 06291866282 कम्प्लेंट के नाम पर दिखाई दिये।
निहारिका कहती हैं, 'जब इन नंबरों से संपर्क किया और कहा कि आपकी कंपनी से हमें गलत कुर्तियां डिलीवर की गई हैं और हमें कुर्तियां रिप्लेस करके वो कुर्तियां भेजिये जो हमने ऑर्डर की थी। मगर इन दोनों नंबरों पर संपर्क करने वाले लोगों ने हमसे कहा कि आप हमें अपना कोई भी एकाउंट नंबर या गूगल पे दीजिए हम आपको आपका पैसा भेजते हैं। एकाउंट नंबर मांगने पर जब हमें थोड़ी शंका हुई तो मैंने जानना चाहा कि आप वो कुर्तियां क्यों नहीं दे रहे जो हमने ऑर्डर की थीं, बजाय पैसा वापस करने के, मगर उनका जोर लगातार एकाउंट इनफॉर्मेशन मांगने पर थी। मुझसे कहा गया कि आप हमें अपना गूगल पे या एकाउंट नंबर दीजिए जिसके बाद आपके मोबाइल पर एक ओटीपी आयेगा, इसके जरिए हम आपके खाते में पैसे भेज देंगे। बातचीत में खुद को suitslabel कंपनी से जुड़ा बताने वाले उन दोनों व्यक्तियों ने बताया कि वो सूरत में है, जबकि वो झारखंड या बंगाल से बोल रहे थे, उनकी जुबान बंगाली और झारखंड का पुट लिए हुए थी।'
suitslabel नाम की फर्जी वेबसाइट के जरिये ठगी करने वाले इस गिरोह के बारे में आशंका है कि ठगी का नया तरीका ईजाद करने वाले ये लोग झारखंड और बंगाल की सीमा से लगे उसी जगह से हैं जो लोगों से आनलाइन ठगी का धंधा करता है, और सिर्फ इसने ठगी का तरीका बदल लिया है।
बकौल निहारिका, 'एकाउंट इंफोर्मेशन मांगने पर जब ठगी की आशंका हुई तो मैंने उनसे कुछ अन्य जानकारी लेनी चाही, मगर जब उन्हें लगा कि मैं कुछ ऐसे सवाल पूछ रही हूं जिससे वो फंस सकते हैं तो हड़बड़ाहट में दोनों नंबरों को काटना शुरू कर दिया, बाद में फोन भी नहीं उठाया और थोड़ी देर बार दोनों फोनों को स्वीच आफ कर दिया गया। यही नहीं suitslabel.com से मेरा एकाउंट डिलीट कर दिया गया।'
निहारिका कहती हैं, 'इसमें मिलीभगत इनके आर्डर डिलीवर करने वाले लोगों की भी लगती है। जो डिलीवरी ब्वॉय हमें कुर्तियां डिलीवर कर गया उसका नंबर 9898265867 है। हमने जब इससे संपर्क कर कहा कि हमें तुम गलत कुर्तियां डिलीवर कर गये हो तो उसने कह दिया जो करना है कर लो, चाहे जिस थाने में जाना है जाओ। हमने उससे उसके मालिक का नंबर मांगा तो उसने वह भी देने से इंकार कर दिया। डिलीवरी ब्वॉय के इस रवैये को देखकर लगता है कि आनलाइन ठगी के इस नए तरीके में सीधे तौर पर वह और उसकी कंपनी शामिल है, जोकि इसी गाजियाबाद में रहती है।'
एसएसपी ने दी कन्ज्यूमर कोर्ट जाने की सलाह
जब आनलाइन ठगी के इस धंधे के खिलाफ कड़ी और उचित कार्रवाई के लिए गाजियाबाद एसएसपी उपेंद्र कुमार अग्रवाल से संपर्क साधा और उन्हें निहारिका का उदाहरण देते हुए आनलाइन ठगी के इस नये तरीके के बारे में बताया तो उन्होंने बजाय बात समझने के इसे कन्ज्यूमर कोर्ट से जुड़ा मामला कहकर पल्ला झाड़ने की कोशिश की।
उपेंद्र कुमार जनज्वार संवाददाता से कहते हैं, 'हमारे पास ऐसे बहुत सारे मेल आते हैं, सबका जवाब मेल से देना असंभव है। आपको जो जानकारी चाहिए उसके लिए थाने में संपर्क कीजिए। जहां तक घटिया क्वालिटी की कुर्तियां देने का मामला है इसे कन्ज्यूमर कोर्ट देखेगा, आप वहां संपर्क कीजिए। मगर यह बताने पर कि बजाय सामान रिप्लेस करने के वो लोग कस्टमर केयर पर संपर्क करने पर एकाउंट डिटेल और गूगल पे की डिटेल मांग रहे थे और यह मामला एक बड़ी आनलाइन ठगी का लगता है? पर एसएसपी पल्ला छुड़ाते हुए कहते हैं, 'ठीक है आप थाने में आकर पता कीजिए।' मगर इस बात पर जब थाने से संपर्क किया गया तो थाना कहता है कि इस बारे में एसएसपी ही बताएंगे।
गौरतलब है कि आनलाइन ठगी से संबंधित मामले को गाजियाबाद एसएसपी उपेंद्र कुमार अग्रवाल को मेल करने के दूसरे दिन जब एसएसपी आफिस से मेल का कोई रिस्पांस नहीं आया तो एसएसपी आफिस से संपर्क किया। एसएसपी रेजीडेंस से संपर्क के दौरान आदित्य नाम के व्यक्ति ने बताया कि ऐसे मामलों को एसएसपी नहीं देखते हैं और सुझाव दिया कि आप एसपी क्राइम से संपर्क करें और उन्हें मेल भेजें। जनज्वार ने इस मेल को एसपी क्राइम के मेल पर फारवर्ड कर दिया, मगर वहां से भी कोई जवाब नहीं आया।
इसके अलावा फेसबुक भी इसके लिये जिम्मेदार है जोकि ऐसे फर्जी विज्ञापन अपनी वेबसाइट पर बड़ी तादाद में प्रसारित करता है। गूगल सर्च करने पर जानकारी मिली कि suitslabel.com से जिस तरह की ठगी की शिकार निहारिका हुई उस तरह इस वेबसाइट के जरिए दर्जनों महिलाओं को ठगा गया है।
फेसबुक टीम से शिकायत करने के बावजूद अभी भी suitslabel.com के एड लगातार फेसबुक पर नजर आ रहे हैं। क्या फेसबुक के खिलाफ ऐसे साइबर ठगी कर रहे जालसाजों का विज्ञापन करने के लिए एक्शन नहीं लिया जाना चाहिए, मगर शायद साइबर सेल को यह चीजें नजर नहीं आतीं और फेसबुक को भी ऐसी तमाम चीजें स्पैम नजर आती हैं जिन्हें कि लोगों तक पहुंचना बहुत जरूरी होता है।
जो फेसबुक बढ़—चढ़कर suitlabel.com का प्रचारक बना हुआ है, उसी पर सुजाना एलेक्स लिखती हैं, 'मैंने इस वेबसाइट से 2 कॉम्बो कुर्तियां ऑर्डर की थीं। मुझे कुर्तियां बुक करने के बारे में फोन पर जानकारी मिली। अगले दिन जब मैंने उत्पाद के ट्रैकिंग विवरण के लिए वेबसाइट में देखा तो मुझे कुछ नहीं मिला, न ही वेबसाइट पर वापसी या रिप्लेस का ही कोई आप्शन था। मुझे जो कुर्तियां मिलीं वो वह नहीं थीं जो मैंने बुक की थीं, बल्कि बहुत चीप और सस्ती थीं। वेबसाइट पर कस्टमर केयर का कोई नंबर भी उपलब्ध नहीं था। गूगल से Suitslabel के कस्टमर केयर नंबर 09083334295, 06291866282 से संपर्क किया तो उन्होंने उनकी दिलचस्पी बजाय मेरे कुर्तियों को रिप्लेस या वापस लेने के मेरे बैंक ब्यौरे पर ज्यादा थी, जिसके बाद तंग आकर मैंने कॉल काट दी। मैं सभी को आगाह करती हूं कि कृपया इस फेक वेबसाइट से कोई भी उत्पाद न खरीदें।'
इसकी ठगी का शिकार हुई लीना पारेख लिखती हैं, 'Suitslabel एक फ्रॉड साइट है। मेरा सबसे अनुरोध है कि इससे सावधान रहें। उन्होंने मुझे कुछ चीप और #totally_different प्रोडक्ट भेजकर ठगा। जब उनसे फेसबुक पर संपर्क करने की कोशिश की, तो मुझे ब्लॉक कर दिया ताकि उनकी ठगी को उन्हीं के फेसबुक पेज पर जाहिर न कर पाउं। मैं इस फ्रॉड साइट पर 990 के एक छोटे एमाउंट की ठगी की शिकार हुई, लेकिन अन्य के साथ यह ठगी बड़ी हो सकती है। ऐसी साइटों से सावधान रहें और कुछ भी न खरीदें।'
खुशबू नंदा, नीलम गुप्ता, पीयू प्रखर गर्ग, संजना राय जैसी न जाने कितनी महिलाएं इसकी ठगी की शिकार हुई हैं। मगर पुलिस का इस पर कन्ज्यूमर कोर्ट जाने की सलाह से लगता है कि साइबर सेल जब ऐसे मामलों में मदद नहीं करेगी तो कैसे भरोसा करें कि वह आनलाइन ठगी पर लगाम लगा पायेगी।