2020 की जनगणना को लेकर लोगों के बीच गलतफहमी को रोकने के लिए फेसबुक कार्रवाई कर रहा है क्योंकि इसमें जनगणना के समय को लेकर भ्रम पैदा हो रहा था...
जनज्वार। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक ने गुरुवार 5 मार्च को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उन विज्ञापनों को हटा दिया जिसमें अमेरिकी चुनाव से संबंधित अभियानों की झलक थी। फेसबुक का कहना है कि उसने गुरुवार को 2020 की जनगणना से संबंधित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के चुनाव अभियान के तहत चलाए गए विज्ञापनों को हटा दिया है। हाउस स्पीकर नैंसी पेलोसी ने ट्रंप के चुनावी अभियान द्वारा स्पांसर किए गए इस सर्वे को ‘पूरी तरह झूठ’ बताया था।
फेसबुक पर इन विज्ञापनों को रिपब्लिकन पार्टी के अधिकारियों और ट्रम्प की चुनावी अभियान टीम द्वारा समर्थित एक चंदा जमा करने वाले समूह ने प्रकाशित करवा रखा हैं। ये दोनों ही डोनाल्ड ट्रम्प और माइक पेन्स के फेसबुक पेज को चलाते और देख-रेख करते हैं। इन विज्ञापनों का भुगतान "Trump Make America Great Again Committee" द्वारा किया गया था।
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विज्ञापन में लिखा था, 'राष्ट्रपति ट्रंप को आज सरकारी 2020 कांग्रेसजन्य जिला जनगणना करने के लिए आपकी जरूरत है। अमेरिकी इतिहास के सबसे महत्वपूर्ण चुनाव से पहले हम आपकी बात सुनना चाहते हैं।'
विज्ञापन एक इस तरह का भ्रम पैदा कर रहा था मानो विज्ञापन में पूछे गए सवालों का जवाब देने वाले लोग सरकार द्वारा शुरू किये जा रहे अमेरिकी जनसंख्या सर्वेक्षण 2020 में भाग ले रहे हैं। गौरतलब है कि सरकारी सर्वेक्षण 12 मार्च से शुरू हो रहा है।
विज्ञापन बंद करने के पीछे फेसबुक का कहना है "अमेरिकी सरकारी जनसंख्या सर्वेक्षण को लेकर किसी भी तरह के भ्रम को दूर करने सम्बन्धी हमारी नीतियां तय हैं। " फेसबुक प्रवक्ता ने कहा-" ये उन नीतियों को लागू करने का ही उदाहरण है। "
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गौरतलब है कि फेसबुक पर ये विज्ञापन 3 मार्च से दिखाई देने शुरू हो गए थे। ‘टेक द सर्वे’ वाले रेड बटन पर क्लिक करने के बाद वेबसाइट खुलती थी जिसपर विजिटर से कुछ सवाल पूछे गए थे - जैसे उनका संबंध कौन सी पार्टी से है, वे ट्रंप को समर्थन दे रहे हैं या नहीं उन्हें जानकारी कौन सी मीडिया समूह से मिलती है समेत कई और सवाल थे।
फेसबुक का कहना है कि 2020 की जनगणना को लेकर लोगों के बीच गलतफहमी को रोकने के लिए वो कार्रवाई कर रहा है क्योंकि इसमें जनगणना के समय को लेकर भ्रम पैदा हो रहा था।
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वनिता गुप्ता कहती हैं - ये विज्ञापन "फ़रेबी" और "अस्वीकार करने योग्य" थे। वनीता 'The Leadership Conference on Civil and Human Rights' नामक संस्था की अध्यक्ष और CEO हैं। यही वो संस्था है जिसने जनसंख्या सर्वेक्षण में दखलंदाजी सम्बन्धी नीति तय करने में फेसबुक की मदद की थी।
अपने लगातार जारी ट्वीट्स में वनिता गुप्ता ने लिखा था -"अगर ट्रम्प एक "फ़र्ज़ी" सर्वेक्षण को "सरकारी" कहते हैं तो लोग इसे सरकारी ही मानेंगे। "एक अन्य ट्वीट में वनिता ने लिखा था -"ट्रम्प के धोखेबाज़ विज्ञापन लोगों में इस बात को लेकर भ्रम पैदा करेंगे कि 2020 के जनसंख्या सर्वेक्षण में कब और कैसे हिस्सा लेना है, इस तरह अपने महत्व को जताने और अपने समुदायों के लिए संसाधन और राजनीतिक ताकत बटोरने के उनके अधिकारों को खतरा पैदा हो जाएगा। " गौरतलब है कि पहले भी फेसबुक पर राजनीतिक हस्तक्षेप को रोकने की भूमिका निभाने का दवाब बन चुका है।