ग्राउंड रिपोर्ट : स्वच्छता सर्वे में योगी का गोरखपुर यूपी का सबसे स्वच्छ जिला, मगर हकीकत देखेंगे तो चौंक जायेंगे

Update: 2019-11-25 07:27 GMT

योगी आदित्यनाथ के जनपद गोरखपुर को मिला है 2019 के स्वच्छता सर्वेक्षण में पहला स्थान, मगर बदहाली में जीने को मजबूर हैं गोरखनाथ मंदिर से मात्र 200 मीटर दूर रहने वाले बस्तीवासी....

गोरखपुर से जनज्वार की ग्राउंड रिपोर्ट

जनज्वार, गोरखपुर। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के जिले गोरखपुर को स्वच्छता सर्वेक्षण 2019 में उत्तर प्रदेश का सबसे स्वच्छ जिला घोषित किया गया है। इस सर्वेक्षण में गोरखपुर को राज्य में पहला तो देशभर में 26वां स्थान मिला है लेकिन जब 'जनज्वार' की टीम ने जमीनी पड़ताल की तो इसकी असल हकीकत सामने आ गई।

रअसल जिस गोरखपुर मंदिर के योगी आदित्यनाथ लंबे समय तक महंत रहे और जिस मंदिर से मुख्यमंत्री तक का सफर उन्होंने तय किया, उससे मात्र 200 मीटर की दूरी पर स्थित मोहल्ला बदहाल हालत में है। इस इलाके में मुस्लिम बहुल आबादी है। गोरखनाथ मंदिर के पीछे के इस हिस्से में पानी की निकासी की न ही अच्छी व्यवस्था है और न ही कूड़ा-कबाड़ के प्रबंधन का बेहतर इंतजाम। चारों और कूड़ा बिखरा पड़ा है। न ही गलियों में कोई साफ सफाई। स्थानीय लोग इस गंदगी में जीने को मजबूर हैं। सड़कें गड्ढामुक्त नहीं, बल्कि गड्ढायुक्त हैं।

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ल शक्ति मंत्रालय के पेयजल और स्वच्छता विभाग द्वारा गोरखपुर को इसी साल स्वच्छता सर्वेक्षण में सूबे का सबसे स्वच्छ जिला बताया गया है। सर्वेक्षण में देशभर के 683 जिले शामिल हुए। जल शक्ति मंत्रालय के पेयजल और स्वच्छता विभाग के स्वच्छता सर्वेक्षण में गोरखपुर 100 में से 85.66 अंको के साथ पहले स्थान पर रहा, जबकि देशभर में गोरखपुर को 26वां स्थान मिला है।

स सर्वेक्षण में कांशीरामनगर का 85.56 अंकों के साथ दूसरे स्थान था, जबकि फिरोजाबाद प्रदेश को प्रदेश में चौथा स्थान मिला था। कुल 100 नंबर के सर्वेक्षण में 35 नंबर भौतिक निरीक्षण, 35 नंबर नागरिक फीडबैक और 30 नंबर गांवों में मौजूद संसाधनों पर मिले थे।

गौरतलब है कि यह वही इलाका है जहां से योगी आदित्यनाथ चुनाव हार गये थे। कुछ लोगों ने नाम न बताने की शर्त पर जनज्वार को बताया कि चूंकि यह मुस्लिम बहुल बस्ती है और यहां से योगी चुनाव हार गये थे, इसलिए इस इलाके पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता। हम लोग नरक में जीने को मजबूर हैं। बस्ती का यह आलम तब है जबकि बरसात गुजर चुकी है, बरसात में यह पूरा मोहल्ला नाले में तब्दील हो जाता है, बेशक योगी सरकार अपनी पीठ थपथपाती रहे स्वच्छ भारत मिशन को लेकर।'

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पिछले साल 2018 के सर्वेक्षण में जब गोरखपुर को उत्तर प्रदेश में 24वां और देश में 285वें नंबर पर था। उस समय हुई किरकिरी हुई थी, लेकिन एक साल बाद के सर्वेक्षण में गोरखपुर को पहला स्थान दे दिया गया। इसके बाद सरकार की ओर से दावा करते हुए कहा गया था कि एक समय पूर्वांचल में महामारी बन चुके इंसेफेलाइटिस की वजह से अब मौतों की संख्या कम हो गई है। इसमें सफाई का महत्वपूर्ण योगदान रहा। लेकिन जब जनज्वार की टीम हकीकत जानने जमीन पर पहुंची तो यह बातें केवल कागजी नजर आ रही हैं।

लाके की हालत को देखकर जब 'जनज्वार' ने जनता से पूछा कि आप लोगों ने ऐसा क्या पाप कर दिया है कि आपके इलाके की सफाई की ये हालत बनी हुई है तो इस पर स्थानीय लोगों ने कहा कि देखभाल सही से नहीं हो पा रही है। जो पार्षद या नगर निगम के हैं और जो जिम्मेदार हैं, वो नहीं आ रहे हैं।

Full View दूसरे व्यक्ति ने कहा कि पार्षद कुछ काम नहीं करवा पा रहे हैं। साफ सफाई रोज नहीं हो रही है। गोरखपुर शहर चमक रहा है, लेकिन गलियों की हालत वहीं है। पानी की भी निकासी नहीं हो पा रही है। इसीलिए यहां और गंदगी फैल रही हैं। सड़कों की भी हालत खस्ता है।

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ब स्थानीय लोगों से पूछा गया कि यह इलाका मुख्यमंत्री के नजदीक है तो सफाई क्यों नहीं पा रही है तो जवाब में लोगों ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हर सप्ताह और पंद्रह दिन में मंदिर में आते हैं, लेकिन यहां नहीं आते हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मंदिर में आते हैं, इन गलियों में नहीं आते हैं।

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