हरिद्वार पुलिस ने पत्रकार पर दर्ज किया फर्जी मुकदमा, बिना जांच-पड़ताल के भेज दिया जेल
उत्तराखंड के हरिद्वार की मित्र पुलिस ने पत्रकार एहसान अंसारी पर महिला के चरित्र हनन और बदसलूकी का फर्जी मामला दर्ज कर भेजा जेल, जबकि महिला ने अपनी तहरीर में जो नाम लिखें उनमें एहसान अंसारी का नाम भी शामिल नहीं था...
द संडे पोस्ट के पत्रकार आकाश नागर की रिपोर्ट
जनज्वार। इस समय कोरोना महामारी चरम पर है। चौथा स्तंभ जनता की जानकारी पुलिस और प्रशासन तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहा है। ऐसे में पुलिस और प्रशासन को पत्रकारों का शुक्रगुजार होना चाहिए था लेकिन उत्तराखंड के हरिद्वार में इसके विपरीत हुआ है। पत्रकारों पर फर्जी मामले दर्ज किए जा रहे हैं जिनमें ‘दि संडे पोस्ट’ के पत्रकार एहसान अंसारी शामिल हैं।
पत्रकार अहसान अंसारी पर पुलिस ने एक ऐसा मामला दर्ज किया है जिसमें उनकी संलिप्ता दूर-दूर तक नजर नहीं आ रही है। चौंकाने वाली बात यह है कि जिस महिला की एक तथाकथित पत्रकार से बचाने और गुहार लगाने की ऑडियो वायरल हुई उसी ने पत्रकार एहसान अंसारी और चार अन्य के खिलाफ बदसलूकी और चरित्र हनन का मामला दर्ज करा दिया जबकि वायरल ऑडियो में जो आवाज सुनाई दे रही है, उसमें स्पष्ट हो रहा है कि महिला के साथ तथाकथित पत्रकार जुल्मों-सितम कर रहा है। ऑडियो में महिला उसके सामने गिड़गिड़ा रही है। अपने आप को बचाने के लिए गुहार लगा रही है।
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मजेदार बात यह है कि उस कथित पत्रकार के खिलाफ पुलिस द्वारा कोई कार्यवाही करने की बजाय अहसान अंसारी पर ही मामला दर्ज कर दिया। मामला तब ज्यादा संदेहास्पद हो जाता है जब महिला ने अपनी तहरीर में जो नाम लिखें उनमें एहसान अंसारी का नाम शामिल नहीं था लेकिन जब पुलिस पत्रकारों को प्रेस रिलीज जारी करती हैं तो सबसे पहले नंबर पर पत्रकार एहसान अंसारी का नाम लिखा होता है। अहसान पर महिला के साथ बदसलूकी करने के साथ ही आईटी एक्ट सहित 5 धाराओं में मामला दर्द कर दिया जाता है।
चौंकाने वाली बात यह है कि जिस तरह से पुलिस ने एहसान अंसारी को रास्ते से उठाकर थाने में कई घंटे बिठा कर मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना दी, वह कानून का माखौल उड़ाता नजर आ रहा है। ज्वालापुर थाने में मानवाधिकारों का जमकर उल्लंघन किया गया जिससे आजिज होकर अब पत्रकार एहसान अंसारी का परिवार मानव अधिकार आयोग की शरण ले रहा है। इसी के साथ ही पत्रकार एहसान अंसारी के पुत्र आरिफ अंसारी ने उत्तराखंड के डीजीपी को पत्र लिखकर ज्वालापुर थाने के कोतवाल पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
बताते हैं कि यह कोतवाल पूर्व में भी एक बार एहसान अंसारी पर फर्जी मामला दर्ज करा चुका है। जिसमें सीसीटीवी जांच होने पर एहसान अंसारी जेल जाने से बच गए थे लेकिन इस बार उक्त कोतवाल ने पूर्व नियोजित तरीके से इस मामले को अंजाम दिया। बताया जा रहा है कि चार अन्य लोगों पर ऑडियो वायरल करने का आरोप लगाने वाली महिला के कंधे पर बंदूक रखकर कोतवाल ने एहसान अंसारी पर वार किया है। अंसारी के परिवार का आरोप है कि ज्वालापुर के कोतवाल योगेश देव सिंह ने महिला के मामले में अहसान अंसारी का जबरन नाम शामिल कराकर उन्हें जेल पहुंचा दिया।
पत्रकार अहसान अंसारी के पुत्र आरिफ अंसारी ने उत्तराखंड के जीडीपी को पत्र लिखकर सच्चाई से अवगत कराया है। आरिफ के अनुसार हरिद्वार के ज्वालापुर कोतवाली प्रभारी योगेश सिंह देव ने एक तथाकथित महिला पत्रकार और कुछ फर्जी मीडिया कर्मियों के साथ मिलकर प्रार्थी के पिता अहसान अंसारी निवासी पांवधोई ज्वालापुर के खिलाफ साजिश के तहत फर्जी मुकदमा दर्ज किया है जबकि मुकदमा दर्ज कराने वाली महिला अर्चना धींगरा से उनके पिता अहसान अंसारी न तो परिचित है, ना पहले कभी मिले और ना कभी बातचीत हुई। कोतवाल योगेश देव प्रार्थी के पिता से कई महीनों से रंजिश रखता आ रहा है।
याद रहे कि ज्वालापुर कोतवाल योगेश देव सिंह ने 4 दिसंबर 2019 को भी एक फर्जी मुकदमा अहसान अंसारी तथा उनके परिवार के खिलाफ दर्ज किया था जिसमें एक होमगार्ड के बेटों के उत्पीड़न से परेशान होकर एक महिला द्वारा एसएसपी हरिद्वार को पत्र प्रेषित किया था जिसमें महिला ने होमगार्ड के बेटे पर छेड़छाड़ का आरोप लगाया था। इसके बाद होमगार्ड के बेटो बेटी एवं एक अन्य ने 4 दिसंबर का ही वाक्या दिखाते हुए अहसान अंसारी के खिलाफ तहरीर दे दी थी। इसके बाद अंसारी पर मुकदमा भी दर्ज हो गया था जिसमें अहसान के साथ ही उनके बेटे और भाई के खिलाफ धारा 354, 147, 323, 504,506 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया।
इस मामले में तब ‘दि संडे पोस्ट’ में ‘मित्र पुलिस के निशाने पर पत्रकार’ शीर्षक से एक समाचार भी प्रकाशित किया गया था। बाद में जब प्रदेश के डीजीपी (कानून व्यवस्था) अशोक कुमार के आदेश पर इस मामले की जांच कराई गई जिसमें मामला फर्जी पाया गया था। बताया जा रहा है कि उक्त मामले में भी ज्वालापुर कोतवाल योगेश देव सिंह की अहम भूमिका रही थी जिसकी शिकायत अहसान अंसारी ने मुख्यमंत्री हेल्पलाइन व अन्य मंचों पर की थी। तभी से इंस्पेक्टर योगेश देव अहसान अंसारी से रंजिश रखने लगा था और ज्वालापुर क्षेत्र में सक्रिय फर्जी पत्रकारों और कुछ छूटभैये नेताओं के साथ मिलकर अंसारी को झूठे मुकदमे में फंसने के जाल बुन रहा था।
खुद को पत्रकार बताने वाली अर्चना ढींगरा और नौशाद अली के बीच गाली गलौज का एक ऑडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद अर्चना ने 3 दिन पहले एसएसपी हरिद्वार को एक शिकायती पत्र दिया था जिसमें प्रार्थी के पिता का नाम नहीं है लेकिन कोतवाल योगेश देव सिंह ने अर्चना धींगरा और नौशाद अली के साथ मिलकर प्रार्थी के पिता को फंसाने का पूरा षड्यंत्र रचा और महिला से एक दूसरी फर्जी तहरीर लिखवाते हुए उनके पिता के खिलाफ झूठा मुकदमा दर्ज कर लिया।
आरिफ अंसारी ने पुलिस पर आरोप लगाते हुए कहा कि उनके पिता को ऑफिस जाते समय भेल मध्य मार्ग से गलत तरीके से उठाकर एसओजी आफिस में कई घंटे तक हिरासत में रखा गया और मानसिक तथा शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया गया। इसके बाद अर्चना से नई तहरीर लेकर कोतवाल ने फर्जी मुकदमा कायम किया और बिना जांच-पड़ताल के गिरफ्तारी की।
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गौरतलब है कि अहसान अंसारी 17 वर्ष से पत्रकारिता कर रहे हैं और उत्तराखंड शासन से मान्यता प्राप्त पत्रकार हैं। फिलहाल अर्चना धींगरा और नौशाद अली के साथ मिलकर अहसान अंसारी के खिलाफ साजिशन झूठा मुकदमा दर्ज करने वाले और अवैध रूप से हिरासत में रखकर प्रताड़ित करने वाले इंस्पेक्टर योगेश देव और षड्यंत्र में शामिल अन्य के खिलाफ अगर जांच होती है तो सच सामने आ जाएगा।
पत्रकार अहसान अंसारी के पुत्र आरिफ अंसारी ने पुलिस को चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर इस मामले की निष्पक्ष जांच नही हुई तो वह अपने परिवार के साथ मिलकर कोतवाल योगेश देव के खिलाफ धरने पर बैठने को मजबूर होंगे। उधर, अहसान अंसारी के परिवार ने पुलिस से खतरा बताते हुए कहा है कि इंस्पेक्टर योगेश देव फर्जी पत्रकारों के साथ मिलकर उनको किसी और षड्यंत्र में फंसा सकते है। अंसारी के परिवार का कहना है कि अगर किसी भी सदस्य को जानमाल का कोई नुकसान या झूठा मुकदमा दर्ज होता है तो इसके लिए इंस्पेक्टर योगेश देव सिंह जिम्मेदार होंगे।
साभार : द संडे पोस्ट