Begin typing your search above and press return to search.
हिमाचल प्रदेश

छह पत्रकारों ने उठाया था प्रवासी मजदूरों का मुद्दा, हिमाचल की भाजपा सरकार ने हरेक पर दर्ज किए 3 से 6 मुकदमे

Nirmal kant
14 May 2020 3:25 PM GMT
छह पत्रकारों ने उठाया था प्रवासी मजदूरों का मुद्दा, हिमाचल की भाजपा सरकार ने हरेक पर दर्ज किए 3 से 6 मुकदमे
x

लॉकडाउन के बाद हिमाचल के पत्रकारों ने जब प्रवासी मजदूरों के मुद्दों पर सोशल मीडिया पर प्रशासन की खामियां उजागर करनी शुरू की तो वह अधिकारियों के निशाने पर आ गए। छह पत्रकारों के खिलाफ 14 एफआईआर दर्ज की गई हैं...

मनोज ठाकुर की रिपोर्ट

जनज्वार ब्यूरो। हिमाचल के नालागढ़ के सलेंड गांव निवासी जगत सिंह बैंस पत्रकार के तौर पर कई न्यूज चैनल के साथ पार्ट टाइम काम करते हैं। लॉकडाउन के तुरंत बाद वह मीडिया में प्रवासी मजदूरों की दिक्कत लगातार उठा रहे थे। इतना ही नहीं उन्होंने व उनके साथियों ने मिल कर कुछ चंदा जुटाया और प्रवासी लोगों तक राशन आदि पहुंचाने का काम कर रहे थे।

गत सिंह उस दिन को याद करते हुए बताते हैं कि हम राशन बांटकर अपने गांव में खाना बनाने में लगे थे, ताकि उन मजदूरों तक भी खाना पहुंचाया जाये जिनके पास खाना बनाने के साधन नहीं है। तभी उनके पास स्थानीय पुलिस स्टेशन से काल आया, उन्हें एसएचओ ने तलब किया। जब वह नालागढ़ पुलिस स्टेशन पहुंचे तो बताया गया कि उन्होंने गलत खबर चलायी है।

स पर जगत सिंह ने पूछा कहा कि क्या गलत खबर चलायी है तो पुलिस के जांच अधिकारी ने कोई जवाब नहीं दिया। बस इतना बताया कि एक शिकायत मिली है। इसलिए उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गयी है। जगत सिंह के खिलाफ यह पहली एफआईआर 1 अप्रैल को दर्ज हुई। इसके बाद भी जगह सिंह दबाव में नहीं आये, वह लगातार पीड़ितों की आवाज उठाते रहे। इस तरह से उनके खिलाफ एक के बाद एक तीन एफआईआर दर्ज कर ली है। वह अभी जमानत पर है।

संबंधित खबर : प्रवासी मजदूरों को उनके घरों तक पहुंचाने के लिए हिमाचल की तरह दूसरे राज्य क्यों नहीं उठा रहे कदम

गह सिंह की बैंस की तरह ही सोलन जिले के बद्दी औद्योगिक क्षेत्र से ओम शर्मा हिमाचल स्थानीय न्यूज पेपर दिव्य हिमाचल में पत्रकार हैं। उन्होंने बताया कि लॉकडाउन की वजह से न्यूज पेपर आ नहीं रहे थे। अब क्योंकि लोगों तक सूचना तो पहुंचानी थी इसलिए उन्होंने अपने फेसबुक पेज पर लाइव होकर प्रवासी मजदूरों की दिक्कतों को उठाना शुरू कर दिया। तभी उन्हें प्रशासन की ओर से बताया गया कि उनके खिलाफ भी एफआईआर दर्ज की गयी है।

https://www.facebook.com/News18Himachal/videos/722239914982861/?v=722239914982861&external_log_id=f0c05ab52a1b7eac47d10e2829a9901a

म शर्मा के खिलाफ भी तीन एफआईआर है। हालांकि उन्हें अभी तक किसी भी मामले में पुलिस ने नहीं बुलाया। उन्होंने बताया कि वह डरने वाले नहीं है। हिमाचल में पत्रकारों के लिए काम करना कितना मुश्किल हो रहा है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है। जगह ओम शर्मा का कर्फ्यू पास रद्द कर दिया। अब वह रिपोर्टिंग के लिए घर से बाहर नहीं निकल सकते। उन्होंने इसका भी रास्ता निकाल लिया है, अब वह लोगों से उनकी समस्या सोशल मीडिया पर मंगाकर वहीं से पोस्ट कर रहे हैं।

हिमाचल में प्रशासन के खिलाफ रिपोर्टिंग करने पर एफआईआर दर्ज करने के यह सिर्फ दो मामले नहीं है। इसके अलावा अलग-अलग जगह पर करीब 6 पत्रकारों के खिलाफ 10 एफआईआर दर्ज की गयी हैं। मंडी के पत्रकार अश्वनी के खिलाफ पांच एफआईआर, विशाल आनंद के खिलाफ 2 एफआईआर और सोमदेव शर्मा के खिलाफ एक एफआईआर दर्ज की गई हैं।ओम शर्मा बताते हैं कि उनकी रिपोर्टिंग में ऐसा कुछ नहीं था जो गलत हो, वह सही दिखा रहे थे। वह प्रशासन से बार-बार सवाल कर रहे थे। उनके सवाल प्रशासन के लिये दिक्कत पैदा कर रहे थे।

'कुछ अधिकारी चाहते थे कि वह बाहर ही न निकल पाएं। इसके लिये उनका कर्फ्यू पास रद्द करना था जिसके लिये कोई वाजिब कारण चाहिये था। इसलिए पहली एफआईआर दर्ज कर उनका पास रद्द कर दिया गया। इसके बाद भी जब वह नहीं माने तो उनके खिलाफ दूसरी और फिर तीसरी एफआईआर दर्ज की गयी है।'

संबंधित खबर : कोरोना संकट में चाय बोर्ड ने हिमाचल के चाय उत्पादक किसानों को दी राहत, हुई स्पेशल पैकेज की घोषणा

गत सिंह ने बताया कि उन्होंने हिमाचल के सीएम, प्रधानमंत्री और डीजीपी तक को पत्र लिखा लेकिन किसी ने उनकी मांग की ओर ध्यान नहीं दिया है। जगत सिंह ने बताया कि कर्फ्यू के दौरान वह सिर्फ छूट के वक्त ही रिपोर्टिंग करने के लिए मजबूर थे।

न्होंने बताया कि तीन एफआईआर होने के बाद भी उन्हें डर नहीं लग रहा है। वह अपनी रिपोर्ट से अभी भी प्रशासन के सामने सवाल खड़ा कर रहे हैं। तीन मामले हो गये, अब तो जितने भी हो जाये, क्या करना। देख लेंगे जो होगा, जगत सिंह ने 'जनज्वार' से बातचीत में कहा।

हिमाचल के एक स्थानीय पत्रकार ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि कुछ पत्रकार भी एफआईआर के पीछे है। उन्होंने भी प्रशासन का ही साथ दिया है। ओम शर्मा भी स्वीकार करते हैं कि उन्हें भी स्थानीय पत्रकारों का एक वर्ग ही सपोर्ट कर रहा है बाकि अन्य पत्रकार चुप हैं। यहां तक की राजधानी के पत्रकार भी उनके पक्ष में आवाज नहीं उठा रहे हैं। इन पत्रकारों के लिये दिक्कत तो यह है कि उनके संपादक भी उनके पक्ष में ज्यादा नहीं बोल रहे हैं।

संबंधित खबर : लॉकडाउन- सोलन में किसानों के लिए हेल्पलाइन शुरू, फसल कटायी के लिये मंगा सकते हैं मशीन

'जहां तक ओम शर्मा का सवाल है, क्योंकि उन्होंने फेसबुक पेज पर लाइव होकर समस्या को उठाया था इसलिए समाचार पत्र प्रबंधन इस मामले में खुद को अलग किये हुये हैं।' पीड़ित पत्रकारों ने बताया कि उन्हें पता है, यह उनकी समस्या है। इसलिये वह इससे निपटने के लिए तैयार है। अब जो भी होगा देखा जायेगा।

https://www.facebook.com/100006715173097/videos/vb.100006715173097/2668354546731692/?type=3

धर स्थानीय प्रशासन इस मसले पर बातचीत को तैयार नहीं है। जनज्वार ने जब शिमला में पब्लिक रिलेशन निदेशालय में इस मामले में बातचीत की कोशिश की तो वहां ज्वाइंट डायरेक्टर प्रदीप कंवर मोबाइल नंबर 9418001140 से बताया गया कि अभी सक्षम अधिकारी से बातचीत कराते हैं। लेकिन इसके बाद वहां से कोई रिस्पांस नहीं आया।

हिमाचल सीएम के प्रेस सेक्रेटरी डॉ. राजेश शर्मा से बातचीत की तो उन्होंने बताया कि वह इस बाबत कुछ नहीं बता सकते। इसके लिये तो बेहतर होगा पब्लिक रिलेशन विभाग के अधिकारियों से बातचीत कर लीजिये, उन्हें बताया गया कि वहां से कोई जवाब नहीं मिल रहा, इस पर उन्होंने कहा कि वह इसमें अब क्या कर सकतेे हैं ?

Next Story

विविध