कोरोना संकट: किसानों से एक से 5 किलो अनाज दान में मांग रही हरियाणा सरकार
ऐसे मौके पर जबकि लॉकडाउन की वजह से किसानों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। सरकार की अनाज दान की अपील से किसान खासे नाराज है...
मनोज ठाकुर की रिपोर्ट
जनज्वार, चंडीगढ़। कोरोना संकट के बीच हरियाणा सरकार ने अब मंडी में फसल लेकर आए किसानों से एक किलो से लेकर पांच किलोग्राम प्रति क्विंटल गेहूं दान करने की अपील की है। सीएम मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि किसान स्वेच्छा से मदद के लिए आगे आएं.
ऐसे मौके पर जबकि लॉकडाउन की वजह से किसानों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। फसल कटाई के लिए मजदूर नहीं मिल रहे हैं। गेहूं की कटाई का काम पहले ही देरी से चल रहा है। फसल को मंडी में लाने के लिए किसानों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में सरकार की अनाज दान की अपील से किसान खासे नाराज हैं।
सरकार की अपील पर उठे सवाल
यूथ फॉर चेंज के प्रदेशाध्यक्ष एडवोकेट राकेश ढुल ने बताया कि एक बात समझ में नहीं आ रही कि प्रदेश सरकार ने कोरोना को लेकर आखिर खर्च क्या कर दिया? अभी तक तो प्रदेश में जो भी मदद के प्रोग्राम चल रहे हैं, वह सभी एनजीओ और सामाजिक संस्थाएं चला रही है। जो मजदूर आश्रय स्थल पर रोके गये हैं, उन्हें खाना धार्मिक संगठन दे रहे हैं। फिर सरकार का खर्च हुआ कहां? ऐसे में पहले कर्मचारियों के वेतन से फंड के नाम पर पैसा काटा गया। अब किसानों से दान की मांग की जा रही है।
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युवा किसान संघ के प्रधान प्रमोद चौहान ने बताया, 'इस वक्त तो किसान को खुद मदद की जरूरत है। अभी तक गेहूं की कटाई न होने के कारण दस से लेकर 30 प्रतिशत तक फसल का नुकसान हो गया है। ऐसे में भी मदद की मांग सही नहीं है।'
उन्होंने कहा, 'कहने को तो यह मदद है, लेकिन जैसे ही किसान मंडी में जाएगा, वहां उससे जबरदस्ती पांच पांच किलो फसल प्रति क्विंटल काट ली जाएगी। अगर किसान विरोध करेगा तो उसकी फसल की बिक्री ही नहीं होने दी जाएगी। वैसे ही इस बार कोरोनों की वजह से सोशल डिस्टेंसिंग करनी पड़ रही है। इस वजह से मंडी में भी प्रति दिन किसान एक सीमित संख्या में ही आ पाएंगे। ऐसे में यदि एक किसान की एक बार में फसल नहीं बिकती तो अगली बार उसका नंबर पता नहीं कब आएगा।
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हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने आरोप लगाया कि पहले ही किसान आर्थिक मंदी का शिकार हो रहा है। ऐसे में सरकार का यह कदम बहुत ही निराशाजनक है। उन्होंने कहा, 'यह दान नहीं है, बल्कि किसानों से जबरदस्ती लिया जा रहा है। क्योंकि आढ़तियों को सरकार ने निर्देश दे दिए हैं कि वह प्रति किसान एक से लेकर पांच किलो प्रति क्विंटल अनाज लें। अब क्योंकि सारा पैसा तो आढ़ती के माध्यम से किसान को मिलता है। ऐसे में किसान को यह पैसा काट कर ही उसका भुगतान किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार की यह गलत नीति है। किसानों को तुरंत ही इससे मुक्त करना चाहिए।'