एचडीएफसी के अध्यक्ष दीपक पारेख बोले, बड़े डिफॉल्टर्स से हुए नुकसान को आम ग्राहकों से वसूलते हैं बैंक
देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक ने 220 डिफॉल्टर्स के 76,000 करोड़ रुपये के बुरे कर्ज को बट्टे खाते में डाल दिया है यानी ‘राइट ऑफ’ कर दिया है, हर एक डिफॉल्टर्स पर कर्ज है लगभग 100 करोड़ रुपये का…
जेपी सिंह
क्या भारत में बैंकों द्वारा बड़े डिफॉल्टर्स को बचाया जाता है और छोटे बचत खाताधारकों का उत्पीड़न किया जाता है? 'बैंक बड़े डिफॉल्टर्स का लोन माफ करने में तो आगे हैं, लेकिन छोटे खाताधारकों को हो रही परेशानियों पर किसी की नजर नहीं आती है।' यह बात किसी आम आदमी ने नहीं कही है, बल्कि एचडीएफसी के चेयरमैन दीपक पारेख ने नाखुशी जताते हुए कही है।
पारेख ने कहा कि मेरे विचार में वित्तीय क्षेत्र में यह सबसे बड़ा अपराध है कि छोटे लोगों की जमा राशि का इस तरह से गलत फायदा बड़े लोगों को बैंकों द्वारा दे दिया जाता है, फिर लोन के डिफॉल्ट होने के बाद सरकार और सिस्टम द्वारा इस तरह के घोटाले के बाद कर्ज को माफ कर दिया जाता है। यह पूरी तरह से गलत है।
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पीएमसी बैंक में हुए घोटाले के बाद छोटे खाताधारकों को हो रही परेशानी के बाद पारेख ने कहा कि किसी भी वित्तीय सिस्टम के लिए भरोसा और विश्वास रीढ़ की हड्डी की तरह हैं। इसके लिए किसी भी तरह से गलत मूल्यों को बढ़ावा नहीं देना चाहिए, लेकिन ये ही आजकल हो रहा है। उन्होंने वैश्विक परिदृश्य में भारत को खड़ा करने के लिए खुद में सुधार, वित्तीय क्षेत्र में सुधारों की दिशा में काम करना, नीतियों को सक्षम बनाना, सच्चे और निष्पक्ष उद्यमिता को प्रोत्साहित करना और स्थिर कानून बनाने की बात कही है।
पीएमसी 11,600 करोड़ रुपये से अधिक जमा के साथ देश के शीर्ष 10 सहकारी बैंकों में से एक है, लेकिन इसके बावजूद पीएमसी के जमाकर्ता अपने बैंक से धन नहीं निकाल पा रहे हैं क्योंकि बैंक की स्थिति को देखते हुए कई तरह के प्रतिबंध लगे हुए हैं। अभी पीएमसी के कस्टमर खाते से 25000 रुपये ही निकाल सकते हैं। इससे पहले ये लिमिट 1000 रुपये थी जिसे बढ़ाकर 10000 रुपये कर दिया गया। पीएमसी बैंक घोटाले की वजह से उसके हजारों ग्राहकों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
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बैंक के कामकाज में अनियमितताएं और रीयल एस्टेट कंपनी एचडीआईएल को दिये गये कर्ज के बारे में सही जानकारी नहीं देने को लेकर उस पर नियामकीय पाबंदी लगाई गयी है। बैंक ने एचडीआईएल को अपने कुल कर्ज 8,880 करोड़ रुपये में से 6,500 करोड़ रुपये का ऋण दिया था। यह उसके कुल कर्ज का करीब 73 प्रतिशत है। पूरा कर्ज पिछले दो-तीन साल से एनपीए (गैर-निष्पादित परिसंपत्ति) बनी हुई है।
इस बीच देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक ने 220 डिफॉल्टर्स के 76,000 करोड़ रुपये के बुरे कर्ज को बट्टे खाते में डाल दिया है, यानी 'राइट ऑफ' कर दिया है। हर एक डिफॉल्टर्स पर करीब 100 करोड़ रुपये का कर्ज है। 31 मार्च 2019 तक बैंकों ने 100 करोड़ रुपये से लेकर 500 करोड़ रुपये के बुरे कर्ज को बट्टे खाते में डाल दिया है। सभी कॉमर्शियल बैंकों द्वारा 100 करोड़ रुपये व उससे अधिक के बुरे कर्ज का कुल 2.75 लाख करोड़ रुपये बट्टे में डाला गया है।
पांच सौ करोड़ रुपये से अधिक के लोन वाले 71 खातों में 33-44 फीसदी खाते भारतीय स्टेट बैंक के हैं। इसी प्रकार, पंजाब नेशनल बैंक ने भी 100 करोड़ रुपये से अधिक के कर्ज लेने वाले 94 खाताधारकों का कर्ज माफ किया है। पीएनबी के लिए कुल रकम 27,024 करोड़ रुपये है। औसतन हर एक खाते का 287 करोड़ रुपये माफ किया गया है। पीएनबी ने 500 करोड़ रुपये से अधिक कर्ज लेने वाले 12 सबसे बड़े डिफॉल्टर्स का 9,037 करोड़ रुपये माफ कर दिया है।
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पब्लिक सेक्टर बैंकों में एसबीआई और पीएनबी ने इस लिस्ट में टॉप किया है तो वहीं प्राइवेट बैंकों में आईडीबीआई शीर्ष पर रहा। 100 करोड़ रुपये व उससे अधिक के कर्ज को राइट ऑफ करने वाले बैंकों में आईडीबीआई तीसरा सबसे बड़ा कॉमर्शियल बैंक रहा।
आईडीबीआई बैंक में 100 करोड़ रुपये से अधिक कर्ज लेने वाले 71 लेनदार रहे, जिन्होंने कुल 26,219 करोड़ रुपये का कर्ज लिया है। केनरा बैंक में भी 100 करोड़ रुपये से अधिक के कर्ज लेने वाले लेनदारों की संख्या 63 रही। केनरा बैंक में 500 करोड़ रुपये से अधिक के कर्ज लेने वाले लेनदरों की संख्या 7 है। इन्होंने कुल 27,382 करोड़ रुपये का कर्ज लिया है।