प्रयागराज में बैंक ऑफ इंडिया का अधिकारी खजाने से 4.25 करोड़ निकाल चला रहा था सूदखोरी का धंधा
बैंक अधिकारी ने करेंसी चेस्ट से चुपके से 4.25 करोड़ रुपये की राशि निकाल अपने कारोबारी मित्र के जरिए लगा दिया सूदखोरी पर, बैंक के आतंरिक लेखा परीक्षक की रिपोर्ट में घपला आया सामने...
जेपी सिंह की रिपोर्ट
क्या आप विश्वास करेंगे कि सरकारी बैंक के अधिकारी बैंक के खजाने में रखा रोकड़ा निकाल कर सूदखोर-महाजन की तरह ब्याज पर चलाएंगे और सूदखोरी करेंगे। नहीं न! लेकिन ऐसा किया जा रहा है। प्रयागराज स्थित बैंक ऑफ इंडिया की सुलेमसराय शाखा में ऐसा ही एक बड़ा खेल ऑडिट के बाद पकड़ में आया है।
यहां का करेंसी मास्टर कई साल से सूदखोरी का खेल खेल रहा था। बैंक ऑफ इंडिया की सुलेमसराय शाखा के करेंसी चेस्ट से सवा चार करोड़ के गबन का खुलासा होने के बाद से हेड ऑफिस तक हड़कंप मचा है।
बैंक ऑफ इंडिया से 4.25 करोड़ चोरी कर ब्याज पर चलाए जाने का यह सनसनीखेज मामला प्रयागराज में सामने आया है। बैंक के ही एक अधिकारी ने करेंसी चेस्ट से चुपके से 4.25 करोड़ रुपये की राशि निकाल ली। फिर इसे अपने कारोबारी मित्र के जरिए ब्याज पर चलवा दिया। बैंक के आतंरिक लेखा परीक्षक की रिपोर्ट में यह घपला पकड़ में आने पर खलबली मच गई।
बैंक प्रबंधन ने जांच कराई तो करेंसी चेस्ट अधिकारी की करतूत सामने आ गई। पूछताछ में करेंसी चेस्ट अधिकारी ने माना कि उसने ही यह रकम व्यापारी मित्र के जरिए बाजार में ब्याज पर दी है। अब बैंक प्रबंधक ने धूमनगंज थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई है। करेंसी चेस्ट में कितने रुपये हैं, इसकी जांच साल में एक बार होती है। यदि शक हुआ तो ऑडिट कराया जाता है। इसी का फायदा उठाते हुए बैंक अधिकारी ने खुद ही रकम निकाल ली।
बैंक ऑफ इंडिया, सुलेमसराय शाखा के प्रबंधक विवेक गुप्ता ने रिपोर्ट दर्ज कराई है कि बैंक के करेंसी चेस्ट अधिकारी वशिष्ठ कुमार राम ने चेस्ट से चार करोड़ 25 लाख रुपये की चोरी की है। आंतरिक ऑडिट में मामला पकड़ा गया तो वशिष्ठ कुमार ने बहाना बनाया कि रुपये ग्रामीण बैंक में ट्रांसफर किए गए हैं। जांच हुई तो चेस्ट अधिकारी की बात गलत निकली। फिर बैंक अधिकारियों ने लिखित बयान लिया। इसमें उसने कबूल किया कि यह रकम उसने अपने कारोबारी मित्र एसके मिश्र और उनके बेटे संजू मिश्र को दी है। उन लोगों ने रुपये ब्याज पर देने के साथ ही कई कंपनियों में लगा दिया है।
प्रबंधक की तहरीर पर धूमनगंज थाने में वशिष्ठ कुमार, एसके मिश्र और संजू मिश्र के खिलाफ धारा 419, 420, 406, 467, 468, 120 बी के तहत मुकदमा दर्ज हुआ है। चोरी के मामले की पुलिस ने जांच शुरू कर दी है।
करेंसी चेस्ट से रकम उड़ाने का यह मामला कई सालों से चल रहा था। करेंसी चेस्ट अधिकारी (करेंसी मास्टर) करोड़ों की रकम निकाल उसे ब्याज पर चलवाकर लाखों कमाते रहे। रुपये निकाले और रखे जाते रहे। ब्याज की रकम बंटती रही। एक साथ चार करोड़ की रकम कम हुई तो मामला पकड़ में आ गया। ऐसे में बैंक अफसर को कबूल करना पड़ा कि उसने यह घपला, घोटाला और चोरी को अंजाम दिया है।
बैंक की रकम उड़ाने, उसे अपने धंधे में लगाने का यह पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी प्रयागराज में दो बड़े मामले सामने आए थे। एटीएम में रुपये लोड करने वाली कंपनी के तीन कस्टोडियनों ने इस खेल को खेला था। ये लोग मिलीभगत से कस्टोडियन मशीन में रुपये कम लोड करते थे। शेष रकम से वह सट्टा और जुआ खेल जाते थे। सिविल लाइंस में मुकदमा दर्ज होने के बाद चार लोगों को गिरफ्तार किया गया था। इसी प्रकार सिविल लाइंस स्थित एक प्राइवेट बैंक के अधिकारी ने फर्जी चेकों के जरिए 27 लाख रुपये उड़ाए थे। वह फर्जी तरीके से चेकबुक इश्यू कराके दूसरों के खातों से रुपये निकाल लेता था।
इस बीच बैंक में सवा चार करोड़ रुपये से भी अधिक घोटाले के आरोपी करेंसी चेस्ट के प्रभारी वशिष्ठ कुमार राम को निलंबित कर दिया गया है। इस घोटाले में कई अन्य अफसर भी शक के दायरे में आ गए हैं। माना जा रहा है कि इतना बड़ा घोटाला सिर्फ चेस्ट प्रभारी के स्तर का नहीं है। पुलिस तथा बैंक की ओर से भी इस पहलू को ध्यान में रखकर जांच की जा रही है। करेंसी चेस्ट की किसी भी समय ऑनलाइन जांच की जा सकती है। यानी चेस्ट हर समय अफसराें की निगरानी में होता है।