गुजरात सरकार की आलोचना करने पर हाईकोर्ट जज को मजदूरों की सुनवाई वाले बेंच से हटाया

Update: 2020-05-28 17:00 GMT

मजदूरों और कोरोना मामलों की जनहित याचिकाओं और स्वत: संज्ञान लेने वाले बेंच से हाईकोर्ट ने जज ईलेश वोरा को हटा दिया है, उन्होंने पिछले दिनों मजदूरों को लेकर असंवेदनशील रवैये पर गुजरात सरकार की आलोचना की थी...

जनज्वार। मोदी सरकार में जजों के प्रशासन के मनमुताबिक नहीं चलने पर कई बार सुप्रीम कोर्ट से लेकर हाईकोर्ट तक विवाद हो चुके हैं। ताजा मामला अहमदाबाद हाईकोर्ट का है, जहां के बारे में यह कहा जा रहा है कि जज इलेश वोरा को सरकार ने बेंच से इसलिए बेदखल करा दिया है, क्योंकि उन्होंने हाल ही में गुजरात सरकार की कोरोना से निपटने के तरीकों और मजदूरों के प्रति रवैये को लेकर तीखी आलोचना की थी।

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बतक कोरोना और उससे निपटने को लेकर जो जनहित याचिकाएं दाखिल हो रही थीं, उसके सुनवाई का अधिकार गुजरात हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश विक्रम नाथ और इलेश जे वोरा को था। इस बेंच के पास कोरोना से उपजे संकट, प्रवासी मजदूरों की व्यवस्था और सुविधा के मामलों की सुनवाई का भी अधिकार था।

Full View अधिकार का इस्तेमाल करते हुए न्यायाधीश इलेश जे वोरा ने 11 मई को प्रवासी मजदूरों को लेकर गुजरात सरकार की तीखी आ​लोचना की थी। उस आलोचना की देशभर में चर्चा हुई, जिसके कारण गुजरात की भाजपा सरकार के प्रशासनिक अक्षमता की बात भी सामने आई। मुख्य न्यायाधीश की इस बेंच ने अहमदाबाद के सिविल अस्पताल के हालातों को लेकर कहा था कि यहां की व्यवस्थाएं नारकीय हैं।

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मुख्य न्यायाधीश की इस बेंच ने अहमदाबाद के सिविल अस्पताल के हालातों को लेकर जहां 11 मई को कहा था कि यहां की व्यवस्थाएं नारकीय हैं, वहीं कोर्ट ने इसके बाद 22 मई को कहा था कि वेंटीलेटर न होने की वजह से कोरोना के गंभीर रोगियों की संख्या बढ़ी है। इसके कारण मरने वाले मरीजों की संख्या में इजाफा होगा। अब ऐसे मामलों की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश विक्रम नाथ के साथ इलेश जे वोरा की जगह जेपी परदीवाला करेंगे।

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