26 जनवरी को दिल्ली में आतंकी घटना को अंजाम देने वाले थे DSP दविंदर सिंह के साथ पकड़े गए उग्रवादी
DSP दविंदर सिंह पर दिसंबर 2001 में भारतीय संसद पर आतंकी हमले में शामिल आतंकी मोहम्मद को भी दिल्ली पहुंचाने का आरोप लगा था। ये आरोप इसी हमले के लिए फांसी की सज़ा दिए गए एक अन्य उग्रवादी अफ़ज़ल गुरु ने अपने वकील को लिखे एक पत्र में लगाया था...
जनज्वार। हिज़बुल मुजाहिदीन से जुड़े दो उग्रवादियों जिला कमांडर नवीद बाबा और अल्ताफ़ को अपने साथ कार में घाटी से बाहर ले जाते हुए कुलगाम ज़िले के मीर बाज़ार में पकड़े गए जम्मू-कश्मीर के उप-पुलिस महानिरीक्षक दविंदर सिंह अपना महलनुमा मकान बनवा रहा था। चौकाने वाली बात तो ये है कि वो यह मकान सेना के ठिकानों से सटे इलाके इंदिरा नगर में बनवा रहा था। इंदिरा नगर को सुरक्षा की दृष्टि से अत्यंत संवेदनशील माना जाता है।
इससे भी ज़्यादा चौंकाने वाली बात तो ये है कि दोनों हिज़बुल उग्रवादियों को दविंदर सिंह ने इसी निर्माणाधीन महलनुमा मकान में रात भर ठहराया था। ग़ौरतलब है कि सेना की 15 कॉर्प के मुख्यालय और दविंदर सिंह के निर्माणधीन मकान की चौहद्दी दीवार एक ही है। सन 2017 से ही उसके मकान का निर्माण कार्य चल रहा है। फिर भी क्या किसी बड़े अधिकारी की इस निर्माण पर नज़र नहीं पड़ी? तो क्या बड़े अधिकारियों का भी उस पर वरदहस्त था?
संबंधित खबर: जम्मू-कश्मीर के गिरफ़्तार DSP दविंदर सिंह के तार कैसे जुड़े थे अफ़ज़ल गुरु से?
जम्मू-कश्मीर के पुलिस सूत्रों का कहना है कि उप-पुलिस निरीक्षक सिंह उसी दिन से पुलिस की खुफिया निगाहों में था जब से दोनों उग्रवादियों को घाटी से बाहर निकलने की योजना बनाई गयी थी। एक पुलिस अधिकारी का कहना है कि दोनों उग्रवादियों का इरादा आने वाली 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के मौके पर दिल्ली में आतंकवादी घटना को अंजाम देना था।
हिजबुल मुजाहिदीन कमांडर नवीद बाबू के साथ गिरफ्तार दविंदर सिंह को जम्मू-कश्मीर सरकार ने निलंबित कर दिया है। इस मामले की जांच नेशनल इन्वेस्टीगेशन एजेंसी (एनआईए) करेगी। इस मामले में बुधवार 15 जनवरी को एनआईए के महानिदेशक वाईसी मोदी ने गृह सचिव अजय कुमार भल्ला से मुलाकात कर कहा कि आईजी स्तर के अधिकारी के नेतृत्व में एक टीम इस मामले की जांच के लिए जम्मू-कश्मीर भेजी जाएगी।
गौरतलब है कि डीएसपी दविंदर सिंह पर दिसंबर 2001 में भारतीय संसद पर आतंकी हमले में शामिल आतंकी मोहम्मद को भी दिल्ली पहुंचाने का आरोप लगा था। ये आरोप इसी हमले के लिए फांसी की सज़ा दिए गए एक अन्य उग्रवादी अफ़ज़ल गुरु ने अपने वकील को लिखे एक पत्र में लगाया था।
अफ़ज़ल गुरु ने पत्र में लिखा था कि कैसे दविंदर सिंह पुलिस को पैसा देने के लिए उसे यातना देता था। उसने ये भी लिखा था की दविंदर सिंह ने उसकी मुलाकात मोहम्मद नामक एक आतंकवादी से करवाई और अपने साथ उसे दिल्ली ले जाकर उसके लिए किराये का मकान लेने और एक गाड़ी खरीदने की ज़िम्मेदारी सौंपी थी।
संसद हमले के दौरान मारे गए पाँच आतंकवादियों में एक मोहम्मद भी था, लेकिन अफ़ज़ल गुरु के आरोपों की कोई जांच नहीं कराई गयी। वो आराम से काम करता रहा और पदोन्नति प्राप्त करता रहा। इसी महीने उसकी फिर पदोन्नति होने वाली थी।
अब जाकर उच्च अधिकारी चेते हैं और यह जांच करने का मन बना रहे हैं कि क्या दविंदर सिंह ने इस घटना से पहली भी उग्रवादियों को मदद करने की कोशिश की है। गौरतलब है कि पुलवामा घटना के समय दविंदर सिंह पुलवामा में ही तैनात था।