कोरोना से भी खतरनाक समुदाय विशेष के खिलाफ हाइट छूते नफरती माहौल से महामारी से निपटने में आयेंगी मुश्किलें
कोविड—19 की आड़ में पत्रकारों, तथ्य उजागर करने वालों, स्वास्थ्यकर्मियों, सहायता प्रदान करने वालों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं पर भी बढ़ते जा रहे हैं हमले, जबकि वे समाज के प्रति निभा रहे हैं अपना कर्तव्य
महेंद्र पाण्डेय की टिप्पणी
जनज्वार। दुनिया के अधिकतर देशों में कोविड 19 के दौर में वायरस से अधिक खतरनाक समाज में पनपती घृणा, एक-दूसरे के प्रति असहिष्णुता, किसी वर्ग को बलि का बकरा बनाना और सरकारों द्वारा एक भय का माहौल बनाना हो चला है।
हमारे देश में ऐसा प्रचारित किया जा रहा है जैसे कोविड 19 का जिम्मेदार केवल एक वर्ग विशेष है, सरकार के तलवे चाटने वाले कुछ समाचार चैनेल तो महीनों से केवल वर्ग विशेष के प्रति घृणा फैलाने में ही लगे हैं। प्रधानमंत्री ने स्वयं 20 प्रमुख मीडिया घरानों के मालिकों के साथ बैठक कर कोविड 19 के सन्दर्भ में केवल सरकारी पक्ष प्रचारित करने का निर्देश दिया था, ऐसे में यह तो माना ही जा सकता है कि प्रमुख समाचार चैनलों पर जो कुछ दिनभर प्रचारित किया जाता है, वह सब सरकार की सहमति से ही होता है।
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आश्चर्य यह है कि जब देश में कुल 800 मामले कोरोना के थे, तब भी मीडिया जिस वर्ग पर अभद्र टिप्पणी करता था, अब लगभग 60,000 मामलों के बाद भी वहीं टिका है। सरकार और सेना के स्तर पर अब यह बताया जाने लगा है कि एक पड़ोसी देश के नापाक इरादों की वजह से यह महामारी बढ़ रही है।
दूसरी तरफ अमेरिका के राष्ट्रपति कभी इसे चीनी वायरस बताते हैं तो कभी इसे अमेरिका के इतिहास का सबसे बड़ा हमला बताते हैं। अमेरिका के राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति लगातार बिना किसी सबूत के दुनिया को यह बताते हैं कि यह वायरस चीन के वुहान की प्रयोगशाला में पैदा किया गया है और दुनियाभर में फैलाया गया है। अमेरिका में अब चीनी मूल के निवासियों पर घृणा के कारण हमले भी हो रहे हैं। चीन इसे अमेरिका की सेना द्वारा फैलाया गया वायरस बताता है।
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अब संयुक्त राष्ट्र के महासचिव अंतोनियो गुटेर्रेस ने दुनिया के देशों से अपील की है कि वे हेटस्पीच यानी घृणा फैलाने वाले वक्तव्यों से बचें और इस महामारी का एकजुट होकर मुकाबला करें। उनके अनुसार कोविड 19 के दौर में इतनी घृणा लोगों में भर दी गयी कि वे विदेशियों को संदेह की नजर से देखने लगे हैं और उन पर ऑनलाइन और शारीरिक हमले करने लगे हैं। कुछ देशों में यह हिंसा मुस्लिमों पर की जा रही है। अंतोनियो गुटेर्रेस के अनुसार जहां तक इस वायरस की उत्पत्ति का सवाल है, तो इस विषय पर चीन अनेक बार कह चुका है कि वह विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ यह अध्ययन करने को हमेशा तैयार है।
बुद्ध पूर्णिमा के दिन हमारे प्रधानमंत्री ने मानवता और भाईचारा की खूब बातें की थीं, पर अंतोनियो गुटेर्रेस ने कहा कि कोविड 19 की आड़ में पत्रकारों, तथ्य उजागर करने वालों, स्वास्थ्य कर्मियों, सहायता प्रदान करने वालों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं पर हमले बढ़ते जा रहे हैं, क्योंकि वे समाज के प्रति अपना कर्तव्य निभा रहे हैं।
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सरकार के विरुद्ध आवाज उठाने वाले सिविल सोसाइटी समूहों को सरकार अपना निशाना बना रही है। अंतोनियो गुटेर्रेस ने सरकारों से अनुरोध किया कि वे इस समय का उपयोग डिजिटल माध्यम से जनता को एकता और भाईचारा का पाठ पढ़ाने में करें, जिससे हिंसक समूहों और आतंकवादियों के चंगुल से आम जनता मुक्त रहे। उन्होंने सोशल मीडिया समूहों से भी अनुरोध किया कि घृणा, नफरत और महिलाओं के लिए अभद्र सभी पोस्ट को हटा दें। “मैं सबसे अनुरोध करता हूँ कि घृणा के विरुद्ध कड़े हों, एक-दूसरे का सम्मान करें और इस समय का उपयोग त्याग और करुणा फैलाने में करें”, संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने कहा “जब कोविड 19 किसी में भेदभाव नहीं करता तो फिर इसकी आड़ में हम क्यों भेदभाव फैला रहे हैं।”
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इससे पहले भी संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने एक अपील के माध्यम से सरकारों को कहा था कि किसी के मानवाधिकार का हनन नहीं किया जाए और सूचना के आदान प्रदान की आजादी का हनन नहीं किया जाए। कोविड 19 एक जन स्वास्थ्य आपातकाल के तौर पर उभरा था पर अब यह मानवाधिकार हनन का माध्यम बन चुका है। इसमें भारत, चीन, हंगरी, टर्की और साउथ अफ्रीका अग्रणी देश हैं।
हमारे देश का लोकतंत्र कितना हास्यास्पद हो गया है, इसकी बानगी देखिये – इस समय अधिकतर जेलों से कैदी छोड़े जा रहे हैं, क्योंकि वहां कोरोना वायरस फ़ैलने का खतरा है, दूसरी तरफ इसी समय पर सामाजिक कार्यकर्ताओं, जिसमें गभवती महिलायें और बुजुर्ग शामिल हैं, को इसमें ठूंसा जा रहा है, और अब कम से कम यह आश्चर्य नहीं होता कि ऐसे मामलों में सर्वोच्च न्यायालय भी उतना ही भागीदार है, जितना निरंकुश पुलिस और सरकारी तलवे चाटता मीडिया।
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जो लोग आज के दौर में समाज में घृणा का खुलेआम सौदा कर रहे हैं वे सरकार के चहेते हैं और सरकार द्वारा इन्हें पूरा प्रश्रय दिया जाता है, और जितने लोगों ने इस पनपती घृणा के विरुद्ध आवाज बुलंद की सभी देशद्रोही करार दिए गए और देश के लिए इतना बाधा खतरा बन गए कि सलाखों के पीछे पहुंचा दिए गए। जिस न्यू इंडिया का शोर सरकार मचाती है, यह वही न्यू इंडिया है और शायद इसका अहसास संयुक्त राष्ट्र महासचिव को भी होगा।