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भूखे-प्यासे अपने घर लौट रहे मजदूरों पर भड़के योगी के मंत्री, कहा- मौत का सौदागर
कोरोना संकट में जारी लॉकडाउन की वजह से कारखाने, बाजार बंद होने की वजह से प्रवासी मजदूरों को अपने गांवों और शहरों की तरफ लौटने को मजबूर हैं...
जनज्वारः उत्तर प्रदेश के श्रम मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा है कि जो मजदूर बिना जांच पड़ताल के घर के लौट रहे हैं वह मौत का सौदागर बनकर प्रदेश में आ रहे हैं. बता दें कोरोना संकट में जारी लॉकडाउन ने प्रवासी मजदूरों को अपने गांव और शहरों के ओर लौटने के लिए मजबूर कर दिया है.
स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा, जो मजदूर देश के जिस हिस्से में फंसे हुए हैं, वे वहीं बना रहे, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्वयं प्रवासी श्रमिकों को वापस लाने का फैसला किया है. सीएम के इस निर्णय को ध्यान में रखते हुए जैसे ही परिस्थितियां अनुकूल होंगी हम एक-एक करके मजदूरों लाएंगे.
उन्होंने कहा कि इसलिए आपाधापी में ट्रकों के माध्यम से, आने की जिद न करें, मुझे जानकारी मिली की महाराष्ट्र सरकार जानबूझकर मजदूरों को ट्रकों में ठूस ठूस कर भर रही है.
उन्होंने कहा, 'जो मजदूर बिना जांच के उत्तर प्रदेश के आ रहे हैं वह अपने घर को मौत लेकर आ रहे हैंं, वे मौत का सौदागर बनकर आ रहे हैं.'
'मजदूरों की घर वापसी हमारी प्रतिबद्धता'
वहीं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ नेहालां गुरुवार को कहा कि दूसरे प्रदेशों में यूपी के जो भी श्रमिक और कामगार हैं उनकी सुरक्षित घर वापसी हमारी प्रतिबद्घता है। यह सिलसिला मार्च के अंतिम हफ्ते से ही जारी है। सभी श्रमिकों की घर वापसी तक यह जारी रहेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा, "हमने दूसरे राज्यों की सरकारों से अपने प्रदेश के श्रमिकों कामगारों की जनपदवार सूची उपलब्ध उपलब्ध कराने को कहा है। राज्यों से सूची मिलते ही हम अपने प्रदेश के लोगों को लाने की तुरंत व्यवस्था कर रहे हैं। जिस तरह से घर वापसी का हमारा ये काम चल रहा है उम्मीद है कि हर श्रमिक शीघ्र ही सुरक्षित अपने-अपने घर होंगे। उप्र के सभी श्रमिकों की सुरक्षित घर वापसी हमारी प्रतिबद्घता है।"
उन्होंने बताया कि अभी तक दूसरे प्रदेशों से प्रवासी श्रमिकों को लेकर 37 ट्रेनें आ चुकी हैं। इससे करीब 30 हजार से अधिक प्रवासी आए हैं। इसके अलावा पिछले सप्ताह हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश से भी बसों से तीस हजार से अधिक श्रमिक लाए गए हैं। इससे पहले मार्च के अंतिम सप्ताह में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और अन्य जगहों से करीब साढ़े चार लाख प्रवासी श्रमिकों को बसों के जरिए उनको उनके घर पहुंचाया गया था।
आज 20 ट्रेनों से और कल 30 ट्रेनों से आएंगे श्रमिक
'घर लौटने को मजबूर प्रवासी मजदूर'
गौरतलब है कि लॉकडाउन की वजह से उद्योगों और बाजारों में तालाबंदी की वजह से प्रवासी मजदूरों के सामने बड़ा संकट पैदा कर दिया है. प्रवासी मजदूर काम न होने की वजह से अपने घरों को लौटने का मजबूर हैं. लॉकडाउन में सार्वजिनक परिवहन सेवा भी बंद है जिसकी वजह से करोड़ों मजदूर पैदल, ट्रकों में भरकर, साइकिलों पर वापस अपने गांवों को लौट रहे हैं.
वहीं लॉकडाउन लागू होने के एक महीने बाद एक मई सरकार ने देश के विभिन्न हिस्सों में फंसे मजदूरों, छात्रों और अन्य लोगों को उनके घर लौटने की इजाजत दे दी. हालांकि अभी भी मजदूरों की परेशानियां खत्म नहीं हुई हैं. सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयास नाकाफी साबित हो रहे हैं. जिसकी वजह से मजदूरों का अपने घरों की तरफ जाना लगातार बना हुआ है.