इस वजह से आयोध्या में 5 एकड़ जमीन पर मस्जिद की जगह शिक्षण संस्थान का होगा निर्माण

Update: 2020-02-21 16:41 GMT

जनज्वार। अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद एक तरफ जहां राम मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट का गठन किया गया है तो वहीं दूसरी ओर सुन्नी वक्फ बोर्ड को जमीन देने के प्रस्ताव को भी यूपी कैबिनेट की मंजूरी मिली। अयोध्या के सोहावल तहसील के धन्नीपुर गांव में सुन्नी वक्फ बोर्ड को 5 एकड़ जमीन देने का प्रस्ताव पास हो चुका है।

अयोध्या प्रशासन के उच्च सूत्रों के मुताबिक धन्नीपुर में सुन्नी बोर्ड को मस्जिद के लिए दी गई जमीन पसंद आ गई है. सुन्नी वक्फ बोर्ड ने अयोध्या के धन्नीपुर में मस्जिद के लिए प्रस्तावित जमीन को मंजूर कर लिया है। सुन्नी बोर्ड के सूत्रों की मानें तो इस 5 एकड़ जमीन पर वह लोग मस्जिद की बजाए शिक्षण संस्थान बनाएंगे। साथ ही हिंदू-मुस्लिम एकता के प्रतीक किसी संस्थान का निर्माण किया जाएगा।

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अयोध्या में राम मंदिर निर्माण ट्रस्ट की तर्ज पर मस्जिद ट्रस्ट का भी गठन किया जा रहा है। यह ट्रस्ट अयोध्या में मस्जिद का निर्माण कराएगा। मस्जिद ट्रस्ट का ऐलान सुन्नी वक्फ बोर्ड की ओर से किया गया है, जिसका नाम इंडो इस्लामिक कल्चर फाउंडेशन।

बता दें कि यह ट्रस्ट अयोध्या में मस्जिद निर्माण व संचालन की सभी औपचारिकताएं को पूरा करेगा। इसका औपचारिक ऐलान 24 फरवरी को सुन्नी वक्फ बोर्ड की बैठक में किया जाएगा। इस दौरान ट्रस्ट के सदस्यों के नामों की भी घोषणा की जाएगी।

अभी तक मिली सूचना के अनुसार इंडो इस्लामिक कल्चर फाउंडेशन में मस्जिद मामले में मध्यस्थता करने वाले लोगों के अलावा सुन्नी वक्फ बोर्ड के लोग बतौर सदस्य शामिल होंगे। ट्रस्ट में कुल 7 सदस्य होंगे और सुन्नी वक्फ बोर्ड का अध्यक्ष ही इस ट्रस्ट का पदेन अध्यक्ष होगा। अभी सुन्नी वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष जुफर फारूखी हैं।

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ट्रस्ट का काम कोर्ट के आदेश पर मिली 5 एकड़ जमीन पर अस्पताल, विद्यालय, इस्लामिक कल्चरल एक्टिविटीज को बढ़ाने वाले इंस्टिट्यूट, लाइब्रेरी, पब्लिक यूटिलिटी इनफ्रास्ट्रक्चर बनाने से लेकर दूसरी तरह की सामाजिक गतिविधियों को बढ़ाने के लिए किया जाएगा।

इस ट्रस्ट के जरिए सुन्नी वक्फ बोर्ड भारत में दोनों समुदायों के बीच सामंजस्य बनाने के कार्यक्रम भी चलाएगा। बोर्ड की ओर से ट्रस्ट के कामकाज की पूरी रूपरेखा तैयार कर ली गई है। सरकार की तरफ से मिलने वाली 5 एकड़ जमीन के मालिकाना हक को लेने की कवायद भी शुरू कर दी गई है।

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