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शर्मनाक : मोदी के गुजरात में 68 छात्राओं के कपड़े उतारकर माहवारी दिखाने का मामला आया सामने, पुलिस ने शुरू की जांच
धार्मिक संस्था द्वारा चलाये जा रहे कॉलेज की छात्राओं ने कहा, प्रिसिंपल ने हमें गालियां दीं और हमें बेइज्जत किया और पूछा कि हममें से कौन माहवारी में है, जिसके बाद हमें वॉशरूम ले जाया गया और महिला टीचर ने हमसे अंडरवियर उतारने को कहा, ताकि यह पता चल पाये कि हममें से कितनी लड़कियों को माहवारी आई हुई है...
जनज्वार। गुजरात के भुज जिले में गर्ल्स हॉस्टल के बाहर सैनिटरी पैड मिलने के बाद 68 लड़कियों के पीरियड्स चेक करने के लिए उनके कपड़े उतरवाने का मामला सामने आया है। इस मामले को लेकर छात्राओं में काफी गुस्सा है तो छात्राओं के माता-पिता इस मामले में एफआईआर दर्ज कराने की तैयारी में है। वहीं कॉलेज प्रशासन इस मामले को दबाने की कोशिश में लगा हुआ है।
मीडिया में आ रही खबरों के मुताबिक गुजरात के भुज स्थित श्री सहजानंद गर्ल्स इंस्टीट्यूट में पढ़ने वाली छात्राओं को वॉशरूम ले जाकर मजबूर किया गया कि वो अपने अंडरवियर उतारकर दिखाए की वो माहवारी में है या नहीं। राष्ट्रीय महिला आयोग ने इस मामले पर स्वत: संज्ञान लिया है। आयोग की तरफ से आए बयान में इस घटना की निंदा की गई है।बयान में हॉस्टल प्रशासन और कॉलेज प्रिंसिपल की निंदा की गई है। आयोग इस मामले पर एक टीम गठित करेगा और भुज जाकर पीड़ित छात्राओं से बात भी करेगा।
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अहमदाबाद मिरर में आज शुक्रवार 14 फरवरी को छपी खबर के मुताबिक धार्मिक संस्था द्वारा चलाये जा रहे सहजानंद गर्ल्स कॉलेज की 68 छात्राओं को कॉलेज के ग्राउंड से होते हुए वाशरूम ले जाया गया, जहां उनकी माहवारी चैक की गई।
यह घटना उस वक्त हुई जब श्री स्वामीनारायण द्विशताब्दी मेडिकल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा चलाए जा रहे छात्रालय की रेक्टर ने प्रिंसिपल को शिकायत की कि यहां रहने वाली कॉलेज की छात्राएं माहवारी के दौरान धार्मिक नियमों को तोड़ रही हैं। संप्रदाय के नियमों के अनुसार माहवारी वाली महिलाओं का छात्रालय में बने मंदिर और किचन में जाना प्रतिबंधित है। श्री सहजानंद गर्ल्स इंस्टीट्यूट (एसएसजीआई) क्रांतिगुरू श्याम जी कृष्णा वर्मा कच्छ युनिवर्सिटी से संबंधित कॉलेज है।
यह मामला भुज के सहजानंद गर्ल्स कॉलेज का है, जहां हॉस्टल के वार्डन ने वॉशरूम में छात्राओं के पीरियड्स की जांच करने के लिए लड़कियों के कपड़े और अंडरवियर तक उतरवाकर जांच की है।
इस मामले में कॉलेज की डीन दर्शना ढोलकिया ने कहा कि यह मामला हॉस्टल का है और इसका यूनिवर्सिटी से कोई लेना-देना नहीं है। जो कुछ भी हुआ है वह लड़कियों की अनुमति से हुआ है। किसी ने भी इसके लिए लड़कियों को मजबूर नहीं किया। उन्होंने बताया कि इस मामले की जांच के लिए एक समिति का गठन किया गया है।
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यह विवाद तब शुरू हुआ जब हॉस्टल के गार्डन में इस्तेमाल किया हुआ सैनिटरी पैड मिला। इसके बाद वॉर्डन को शक हुआ कि यह हॉस्टल की किसी लड़की ने ऐसा किया होगा और पैड को इस्तेमाल करने के बाद वॉशरूम की खिड़की से फेंक दिया होगा। यह पता लगाने के लिए आखिर ऐसा किस लड़की ने किया है वॉर्डन ने वॉशरूम में लड़कियों के कपड़े उतरवाकर चेकिंग की।
घटना पर कॉलेज के ट्रस्टी के पीएच हिरानी ने बताया कि कॉलेज को क्योंकि एक धार्मिक संगठनों के द्वारा चलाया जाता है। जिस कारण लड़कियों को संप्रदाय के नियमों का पालन करने के लिए आदेश दिया गया था। हालांकि कॉलेज प्रशासन और हॉस्टल प्रशासन के द्वारा जो किया उसे पूरी तरह गलत बताते हैं और छात्रावास के अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का आश्वासन भी देते हैं।
वहीं घटना पर दुर्गा जो कॉलेज की छात्रा है और ग्रामीण इलाके से आकर यहां पर हॉस्टल मे रह रही है, बताती है कि 12 फरवरी को हॉस्टल प्रशासन के द्वारा हम लोगों को मासिक महीने में होने के कारण शक की नजर से देखा जाने लगा था। साथ ही प्रशासन के द्वारा हमें बेइज्जत भी किया जा रहा था, जिसके बाद अगले दिन हम छात्रा कॉलेज में क्लास लेने के लिए आए तो हमनें इसकी शिकायत कॉलेज के प्रशासन से की। इसके बाद भी कॉलेज की प्रिसिंपल द्वारा हम लोगों को बेइज्जत कर क्लास के बाहर जबरदस्ती निकाल दिया गया। प्रिसिंपल ने हम लोगों को बेइज्जत करते हुए हम लोगों से पीरिड्स को लेकर पूछताछ भी की गई। इसके अलावा जिन छात्राओं को माहवारी आई हुई थी उनको अलग से खड़ा होने के लिए कहा गया। बाद में महिला शिक्षकों द्वारा बाथरूम में ले जाकर हमारे अंडरवियर को उतार कर जांच की गई की किन किन लड़कियों को मासिक धर्म आया हुआ है।
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इस घटना पर अभी तक कॉलेज प्रशासन के खिलाफ किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं की गई। कॉलेज प्रशासन का कहना है कि क्योंकि ये घटना कॉलेज की जिस कारण विश्वविद्यालय के द्वारा कमेटी का गठन कर मामले की जांच की जा रही है।
मासिक धर्म से जुड़ा कलंक उन भारतीय महिलाओं के लिए एक लड़ाई है जिन्हें इस चक्र के दौरान अछूत मान लिया जाता है। मासिक धर्म का महीना किसी भी महिला के लिए मुश्किल से कम नहीं होता है। देश के कई इलाकों में इस दौरान महिलाओं को सैकड़ों मानदंडों का पालन करना पड़ता है। जैसे उन्हें सामाजिक रूप से अच्छा नहीं माना जाता है। इसके अलावा महिलाओं को रसोई घर या उनको मंदिर में प्रवेश और पूजा करने की इजाजत भी नहीं होती है। मासिक धर्म में कहा जाता है कि महिलाओं को अपने खुद के बर्तन साथ में लाने चाहिए साथ ही मासिक धर्म के खत्म होने के बाद उनको बर्तनों को धोना भी चाहिए।
पीरियड्स को लेकर हॉस्टल ने नियम बना रखा है। इस नियम के मुताबिक, जिस लड़की को पीरियड्स होंगे वह हॉस्टल में नहीं रहेगी। उस युवती के लिए हॉस्टल के बेसमेंट में रहने की जगह बनाई गई है और किसी से भी मिलेगी-जुलेगी नहीं। इतना ही नहीं उसके किचन और पूजा स्थल में जाने पर भी मनाही है। इस दौरान उसके खाना खाने के लिए भी बर्तन अलग है। क्लास में युवतियों को पीछे बैठने के निर्देश दिए गए हैं।
भुज के मिर्जापुर पुलिस स्टेशन के इंस्पेक्टर मितेश आर बेरोट ने दिप्रिंट से कहा, ‘अभी तक इस मामले पर कोई एफआईआर नहीं हुई है। डिटेल में जानकारी मुझे भी पता नहीं है। ये 11 तारीख की घटना है और आज सुबह ही मीडिया में बात आई है।जांच अभी चल रही है। विस्तार से मैं कुछ नहीं बता पाउंगा। अभी स्टेटमेंट्स लिए जा रहे हैं।’
छात्राओं ने कॉलेज के ट्रस्टी प्रवीण पिंडोरिया पर भी आरोप लगाया कि उन्होंने हमें सबसे पहले हॉस्टल खाली करने को कहा। हालांकि उन्होंने इस मामले पर कार्रवाई करने क बात कही। छात्रों ने बताया कि पिंडोरिया ने एक लैटर पर हस्ताक्षर करने को कहा, जिस पर लिखा था कि कॉलेज में कुछ नहीं हुआ है।
भुज में हुई घटना अकेली नहीं है। इससे पहले 2017 के अप्रैल महीने में उत्तर प्रदेश के मेरठ में भी इसी तरह का मामला सामने आया था, जहां हॉस्टल की वार्डन ने 70 स्कूल की छात्राओं को क्लास रूम में उनके सारे कपड़े उतरवाए थे, ये देखने के लिए कि किस लड़की को माहवारी आई हुई है।। ये सभी छात्राएं 12-14 साल की थीं। छात्राओं के परिवार से दबाव बनाए जाने के बाद प्रशासन ने सुरेखा तोमर नाम की वार्डन को बर्खास्त कर दिया था।
गौरतलब है कि वर्ष 2012 में लड़कियों की उच्च शिक्षा के लिए श्री सहजानंद गर्ल्स इंस्टीट्यूट का निर्माण किया गया, जो कि श्री स्वामी नारायण मंदिर भुज के अंतर्गत आता है। 2014 में इंस्टीट्यूट की नई बिल्डिंग बनाई गई जो आधुनिक तकनीक पर आधारित है।
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कॉलेज के वेबसाइट पर लिखा है कि इस इंस्टीट्यूट का मिशन है कि वर्तमान वैज्ञानिक तकनीक के सहारे और सामाजिक जरूरतों के अनुसार छात्राओं को वैश्विक स्तर की अच्छी शिक्षा दी जाएगी जो भारतीय परंपराओं पर आधारित होगी। लड़कियों का सशक्तीकरण हो और उन्हें आधुनिक वैज्ञानिक मूल्यों पर आधारित शिक्षा देने का भी इंस्टलीट्यूट दावा करता है। कॉलेज बीकॉम, बीए, बीएससी सहित कई कोर्स कराता है जहां 1500 से ज्यादा छात्राएं पढ़ती हैं। वैसे में एक दकियानूसी रिवाज के चलते जिस तरह कॉलेज ने छात्राओं को बेइज्जत किया उससे तमाम सवाल खड़े उठते हैं।
पीड़ित छात्राओं का कहना है, ‘जब हम लेक्चर अटेंड कर रहे थे तब हॉस्टल की रेक्टर अंजलिबेन प्रिसिंपल के साथ आईं और हमारी शिकायत की। हमें जबरन क्लास छोड़ने को कहा गया और सभी को एक कतार में खड़ा कर दिया गया। प्रिसिंपल ने हमें गालियां दी और हमें बेइज्जत किया और पूछा कि हममें से कौन माहवारी में है। जिसके बाद हमें वॉशरूम ले जाया गया और महिला टीचर ने हमसे अंडरवियर उतारने को कहा ताकि यह पता चल पाये कि हममें से कितनी लड़कियों को माहवारी आई हुई है।'