नैनीताल रोड पर कभी भी आ सकता है भारी भूकंप

Update: 2017-08-04 08:38 GMT

 बिना वैज्ञानिकों की राय व सर्वे कराये ही चौड़ीकरण का कार्य किया जा रहा है, जो उत्तराखंड में आपदा निमंत्रण का ही काम करेगा

नैनीताल। अल्मोड़ा व नैनीताल से गुजरने वाली हाईवे में लगातार दरक रही पहाडिय़ों के कारण हो रही मौतों के बाद विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के वरिष्ठ भू-वैज्ञानिक डॉ. बहादुर सिंह कोटलिया ने कहा है कि अल्मोड़ा हाईवे चौड़ीकरण का कार्य पूरी तरह अवैज्ञानिक तरीके से हो रहा है। कार्य से पूर्व भू-सर्वे कराना आवश्यक था, लेकिन योजनाकारों ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया है।

कोटलिया ने कहा है कि वह पूर्व में इस क्षेत्र में शोध कर चुके हैं। फाल्ट व थ्रस्टों की हलचल से यह क्षेत्र भू-गर्भीय दृष्टि से अत्यधिक संवेदनशील माना जाता है। यहां की कच्ची पहाडिय़ों में पोकलैंड व जेसीबी मशीनों से कार्य करना खतरनाक साबित हो सकता है।

शोधों के अनुसार अतीत में खैरना से क्वारब तक कोसी नदी के गाद से हाईवे की पहाडिय़ों का निर्माण हुआ है। इसके साथ ही पूरे हाईवे में रामगढ़ व अल्मोड़ा थ्रस्ट गुजरने से भू-गर्भीय हलचल जारी है। यह थ्रस्ट इतने सक्रिय हैं कि इस क्षेत्र में भूकम्प की संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता है।

मालूम हो कि डॉ. कोटलिया ने पूर्व में भी अल्मोड़ा हाईवे के खैरना से क्वारब तक की पहाडिय़ों में बिना भू-गर्भीय सर्वे कराये पहाडिय़ों में छेड़छाड़ नहीं करने की चेतावनी दी थी। लेकिन एनएचए अधिकारियों द्वारा बिना वैज्ञानिकों की राय व सर्वे कराये ही चौड़ीकरण का कार्य किया जा रहा है। डॉ. कोटलिया का स्पष्ट कहना है कि इस मार्ग के जिस ओर भारी मशीनें लगाकर पहाडिय़ों को काटा जा रहा है, वह प्रथमदृष्टया ही पूरी तरह अवैज्ञानिक है।

प्रथम तो इन पहाडिय़ों की श्रेणी समझनी चाहिये थी। यह पहाड़ी अतीत में कोसी नदी के गाद से बनी है। यह पहाडिय़ों को करोड़ों वर्षों के बाद पक्की चट्टानों में तब्दील होना है। वर्तमान में यह बेहद कच्ची पहाडिय़ां हैं। ऐसे में इन पहाडिय़ों में भारी मशीनों का प्रयोग कतई नहीं होना चाहिए।

उन्होंने इस क्षेत्र के निरीक्षण के बाद पाया कि पहाडिय़ों का कटान ढलान के रूप में न कर कटान 90 डिग्री कोण में किया जा रहा है, जिससे ऊपर की चट्टानें लगातार नीचे गिर रही हैं। इनका रुकना भी संभव नहीं है। मशीनों के प्रयोग के दौरान हार्ड राक व साफ्ट राक का ध्यान भी नहीं दिया जा रहा है। कटान के बाद बर्टिकलवाल का निर्माण किया जाना चाहिए, लेकिन इस ओर भी ध्यान नहीं दिया जा रहा है। सडक़ का चौड़ीकरण पूरी तरह अवैज्ञानिक कहा जा सकता है।

डॉ. कोटलिया ने कहा कि इस क्षेत्र में भू-गर्भीय हलचलों का भी ध्यान नहीं रखा जा रहा है। इस क्षेत्र में काकड़ीघाट से साउथ अल्मोड़ा थ्रस्ट व रातीघाट से रामगढ़ थ्रस्ट गुजर रहे है, जिस कारण भू-गर्भीय हलचल जारी है। यह हलचल इतनी सक्रिय है कि इससे भूकम्प की भी संभावना बन सकती है। कोटलिया का मानना है कि विकास की जिद में विनाश को आमंत्रण नहीं दिया जाना चाहिए।

यूजीसी के भू-वैज्ञानिक डा. बहादुर सिंह कोटलिया का कहना है कि वर्तमान में जिस सडक़ का अवैज्ञानिक तरीके से चौड़ीकरण हो रहा है उससे इस मार्ग में भविष्य में लगातार चट्टानें दरकेंगी। इसका कारण रामगढ़ व अल्मोड़ा थ्रस्ट गुजरने से हो रही भूगर्भीय हलचल होंगी। उन्होंने कहा कि दीर्घकालीन विकल्प के लिए हाईवे के विपरीत पहाड़ी की ओर से सडक़ निर्माण किया जाना चाहिए। खैरना से लेकर क्वारब तक इस पहाड़ी में सडक़ निर्माण करना विकल्प के रूप में और सुरक्षा की दृष्टि से आवश्यक है। इस पहाड़ी को भू-गर्भीय दृष्टि से संवेदनशील भी नहीं माना जा सकता है। उन्होंने चेताया है कि वर्तमान बरसात के दौरान हाईवे के कई इलाकों में भारी भू-स्खलन हो सकता है। इस क्षेत्र में अभी भी भू-सर्वे की जरूरत है।

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