महिला डॉक्टर की हैवानियत, नाबालिग घरेलू नौकरानी पर डाला खौलता पानी, प्रेस से जलाए हाथ

Update: 2018-01-14 13:46 GMT

इतने से भी मन न भरा तो दिल्ली की इस महिला डॉक्टर ने अमानवीयता की हदें पार कर प्रेस से जलाये हाथ, मुंह पर थूकते हुए कैंची से आंख पर किया वार, इतनी ठंडी में भी पहनने को नहीं देती थी स्वेटर, न खाने को भोजन...

दिल्ली। समाज में निर्ममता के रिकॉर्ड तोड़ते जैसे मामले सामने आ रहे हैं, वो सोचने को मजबूर करता है कि आखिर किस क्रूर समय में जी रहे हैं हम जहां इंसानियत मरती जा रही हैं। कहीं डॉक्टर पैसा पूरा नहीं जमा नहीं करने पर गर्भवती के पेट में मरा बच्चा तब तक वैसे ही रहने देते हैं जब तक पूरा जहर उसके पेट में न फैल जाए और गर्भवती की मौत पर घरवालों से कहते हैं कि लाश ले जाने से पहले 18 लाख जमा करो, तो कहीं बेटा इसलिए मां को धक्का देकर मौत के मुंह में धकेल देता है कि उसे पैरालिसिस की मरीज मां की सेवा करनी पड़ रही थी। और भी न जाने ऐसे कितने हादसे रोज अखबारों की सुर्खियां बने रहते हैं।

ऐसा ही एक दिल दहलाने वाला मामला राजधानी दिल्ली का है, जहां एक महिला डॉक्टर अपनी नाबालिग घरेलू नौकरानी पर इस हद तक जुल्म ढाती है कि उसके डॉक्टर तो क्या महिला होने पर भी शर्म आ जाए। हालांकि आरोपी महिला डॉक्टर को गिरफ्तार कर लिया गया है, मगर इससे उसके पाप कम नहीं हो जाते।

घटना के मुताबिक दिल्ली के पॉश इलाके मॉडल टाउन में एक महिला डॉक्टर अपने घर काम करने वाली झारखंड की 14 वर्षीय बच्ची के साथ अमानवीय सलूक करती थी। महिला डॉक्टर ने इंसानियत की हदों को पार करते हुए अपनी नाबालिग घरेलू नौकरानी पर इतने जुल्म ढाये कि वह ठीक से चलने में तक सक्षम नहीं है। महिला डॉक्टर की प्रताड़ना का अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि वह बच्ची डर के मारे कुछ बोल तक नहीं रही। मगर उसके शरीर और चेहरे पर दिख रहे जले—कटे के घाव जुल्म की कहानी खुद बयां करते हैं।
झारखंड के खूंटी के मुरहू स्थित जलासर गांव के गरीब परिवार की यह बच्ची एक प्लेसमेंट एजेंसी के जरिए घरेलू काम के लिए रखी गई थी। मालकिन महिला डॉक्टर उसे न सिर्फ बुरी तरह पीटती थी बल्कि पेटभर भोजन तक नहीं देती थी। खाने के लिए दो दिन में मात्र दो बासी रोटी थमा दी जाती थी।

महिला डॉक्टर के पड़ोसी ने जब इस बाबत दिल्ली महिला आयोग और पुलिस को इस मामले से अवगत कराया तो यह मामला सामने आया। हालांकि अब बच्ची को डॉक्टर के चंगुल से छुड़ा लिया गया है। महिला डॉक्टर ने बच्ची के शरीर का एक भी अंग ऐसा नहीं छोड़ा है जिसे ठीक कहा जा सके।

नाबालिग बच्ची के हर अंग पर महिला डॉक्टर ने अमानवीय और भयानक चोटें पहुंचाई हैं। बच्ची के हाथ प्रेस से जलाये, उस पर उबलता पानी फेंका. उसके मुंह पर काटा, थूका और कैंची को आंख पर फेंककर मारा। जहां पूरी दिल्ली ठंड से जम रही हैं वहीं इस बच्ची को ठंड में न तो भोजन मिलता और न ही पहनने के लिए स्वेटर।

शायद एक भला इंसान इस इंतहा की खबर महिला आयोग और पुलिस तक नहीं पहुंचाता तो यह बच्ची एक गुमनाम मौत मर जाती और कोई अगला इस महिला डॉक्टर का शिकार बनता। बच्ची के पूरे शरीर पर चोट के निशान, भयानक खरोचें और जलने के निशान जुल्म की कहानी खुद बयां करते हैं। साथ ही जिस हद तक वह कुपोषित है, उससे भी डॉक्टर की निर्ममता की कहानी बयां होती है। डॉक्टर के पड़ोसी के मुताबिक उसे रात को किसी के रोने की आवाज आती थी। ये आवाजें पिछले दिनों से लगातार आ रही थीं, और बाद में उसने एक बच्ची को बुरी हालत में उस घर में देखा तो महिला आयोग और पुलिस को बताया।

एक तरफ दिल्ली पुलिस दावे करती है कि अपराधों खासकर महिलाओं, बच्चों पर होने वाले जुल्मों में कमी दर्ज की जा रही है, दूसरी तरफ ऐसे मामले बढ़ते जुर्मों की तरफ इशारा करते हैं।

बच्ची को मुक्त कराने के बाद दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति जयहिंद कहती हैं, नाबालिग पर हुए अत्याचार को बयां कर पाना बहुत मुश्किल है। उसे प्रेस से जलाया गया, शरीर पर गर्म पानी फेंका गया, इस कड़ाके की ठंड में उसे बिना स्वेटर और बिस्तर के सोने के लिए मजबूर किया गया। बिना किसी गलती के उस पर इस कदर अमानवीय अत्याचार किया, वह भी एक महिला डॉक्टर ने, जिसके खुद दो बच्चे हैं। डॉक्टर के इस अमानवीय अत्याचार को देखकर उसे इंसान रूपी शैतान कहना ठीक होगा।'

पुलिस ने शुरुआती छानबीन के बाद बताया कि चार माह से झारखंड की यह लड़की डॉक्टर के पास काम कर रही थी। शुरुआत में उसने दूसरे घरों में घरेलू कामकाज किया, बाद में एक घरेलू प्लेसमेंट एजेंसी के जरिए वह डॉक्टर के परिवार में काम करने लगी। मगर डॉक्टर ने उस पर जिस तरह जुल्म ढाए हैं, उससे उबरने में पता नहीं कितना वक्त लगेगा। शायद ही वह जिंदगी भर चार महीनों के इस यातनागृह को भुला पाए।

फिलहाल बच्ची को बाल गृह में रखा गया है। माता—पिता का पता लगा उन्हें उनके सुपुर्द कर दिया जाएगा।

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