सबरीमाला मंदिर में अयप्पा के सबसे पहले दर्शन करने वाली कनकदुर्गा को ससुरालियों ने पीटा, पुलिस ने कराया अस्पताल में भर्ती
2 जनवरी को सबरीमाला मंदिर में दर्शन करने वाली 39 वर्षीय कनकदुर्गा लगभग 2 हफ्ते बाद अपने घर पहुंची तो सास ने उन पर जानलेवा हमला कर दिया...
जनज्वार। पिछले दिनों बिंदु और कनकदुर्गा नाम की दो महिलाएं खबरों की सुर्खियां बनी हुई थीं। कारण था कि ये वो महिलाएं थीं जिन्होंने महिलाओं के लिए वर्जित सबरीमाला मंदिर में प्रवेश कर इतिहास बदला था।
अब इन्हीं दो महिलाओं में से एक कनकदुर्गा फिर एक बार खबरों में हैं। इस बार कारण कोई इतिहास बदलना नहीं, बल्कि घरेलू उत्पीड़न और मारपीट का शिकार होना है।
मीडिया में आई खबरों के मुताबिक 2 जनवरी को सबरीमाला मंदिर में दर्शन करने वाली 39 वर्षीय कनकदुर्गा लगभग 2 हफ्ते बाद अपने घर पहुंची तो आज मंगलवार 15 जनवरी को उनकी सास ने उन पर हमला कर दिया। सास ने उनके साथ बहुत ज्यादा मारपीट और अचानक हमला किया कि कनकदुर्गा संभल नहीं पाई। गंभीर रूप से चोटिल कनकदुर्गा को पुलिस के पास सूचना पहुंचने के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
हालांकि अभी तक सास ने कनकदुर्गा को क्यों पीटा इसके कारण स्पष्ट नहीं हो पाए हैं। मगर माना जा रहा है कि मंदिर में भगवान अयप्पा के प्रवेश को लेकर उनकी सास भी उनसे इतनी ज्यादा क्रोधित थीं कि उन्हें सामने पा वह अपने क्रोध पर नियंत्रण नहीं रख पाईं और उन पर जानलेवा हमला कर दिया।
गौरतलब है कि अब तक सबरीमाला मंदिर में रजस्वला उम्र की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति नहीं थी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 2 महिलाओं ने जबरन मंदिर में प्रवेश किया था। हालांकि उसके बाद से ये महिलाएं लगातार हिंदुवादियों के निशाने पर थीं और इन्हें धमकियां मिल रहीं थीं। इसी डर से ये दोनों महिलाएं अब तक अपने घर नहीं लौटी थीं।
गौरतलब है कि मंदिर में प्रवेश के बाद हिंदुत्ववादी ताकतों से धमकियां मिलने की खबरों का 40 वर्षीय बिंदू और 39 साल की कनकदुर्गा ने यह कहते हुए खंडन किया था कि वह घर से दूर इसलिए रहीं ताकि स्थितियां सामान्य हो जाएं।
मीडिया में केरल के कोझिकोड की बिंदू और मलप्पुरम जिले की कनकदुर्गा तब छा गई थीं जब उन्होंने 2 जनवरी को सबरीमाला मंदिर में प्रवेश किया था। 2 जनवरी को भगवान अयप्पा के दर्शन कर इन दो महिलाओं ने 800 साल पुरानी प्रथा को तोड़ा था। दोनों ने मंदिर में पूजा—अर्चना भी की थी। इसके बाद पूरे राज्य में हिंदुवादी संगठनों ने विरोध प्रदर्शन किये, साथ ही मंदिर का शुद्धीकरण भी किया गया था।
पिछले साल 28 सितंबर को अपने एक फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर में भगवान अयप्पा के मंदिर में हर उम्र की महिला को प्रवेश की इजाजत दी थी। इस फैसले के खिलाफ केरल के राजपरिवार और मंदिर के मुख्य पुजारियों समेत कई हिंदू संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की थी। हालांकि, अदालत ने सुनवाई से इनकार कर दिया था। इससे पहले यहां 10 से 50 साल उम्र की महिला के प्रवेश पर रोक थी।
मीडिया में आ रही रिपोर्टों के मुताबिक अब तक तकरीबन 10 महिलाएं सबरीमाला मंदिर में भगवान अयप्पा के दर्शन कर चुकी हैं। दूसरी तरफ भाजपा और हिंदू संगठनों का मंदिर में महिलाओं के प्रवेश के खिलाफ विरोध—प्रदर्शन अभी जारी है, जो लगातार एक ही मांग कर रहे हैं कि रजस्वला महिलाओं—लड़कियों को किसी भी हाल में मंदिर में प्रवेश नहीं करना चाहिए।