करणी सेना ने धमकाया फिल्म रिलीज हुई तो दीपिका को बना देंगे शूर्पणखा

Update: 2017-11-16 18:22 GMT

करनी सेना ने दी दीपिका की नाक काटने की धमकी, कहा किसी भी कीमत पर नहीं होने देंगे रिलीज

करणी सेना के अध्यक्ष की लखनऊ में प्रेस कांफ्रेंस तो दूसरी तरफ एक हिंदूवादी नेता ने कहा जो भंसाली का सिर काटकर लाएगा उसे मिलेगा 5 करोड़

लखनऊ। फिल्म 'पदमावती' का विरोध कर रही करणी सेना ने फिल्म की नायिका दीपिका पादुकोण की नाक काटने की धमकी दी है। करणी सेना के अध्यक्ष लोकेंद्र नाथ ने कहा, हमें उकसाना जारी रखा गया तो हम दीपिका की नाक काट देंगे।'

इस विवादित फिल्म के निर्माता-निर्देशक संजय लीला भंसाली जहां शूटिंग के दौरान ही हमले झेल चुके हैं, वहीं अब भी उन पर हमले जारी हैं। करणी सेना ने उन्हें मारने और उनका सिर काटने की धमकी दी है। एक हिंदूवादी नेता ने तो यहां तक कह दिया है कि जो भी भंसाली का सिर काटकर उनके पास लाएगा, वे उसे 5 करोड़ का ईनाम देंगे।

लखनऊ में प्रेस कांफ्रेंस कर करणी सेना के अध्यक्ष ने फिल्म के डायरेक्टर संजय लीला भंसाली पर गंभीर आरोप लगाये। लोकेंद्र नाथ के अनुसार फिल्म पदमावती में हिंदुओं की भावनाओं को आहत करने वाले दृश्य हैं। उन्होंने कहा कि भंसाली को फिल्म के लिए पाकिस्तान में बैठे अंडरवर्ल्ड डॉन दाउद इब्राहीम से फंड मिला है। राजस्थान में भी करणी सेना के एक और नेता महिपाल मकराना ने भी दीपिका को यह धमकी दी।

करणी सेना ने फिल्म रिलीज की तारीख 1 दिसंबर को भारत बंद का ऐलान किया है। हालांकि करणी सेना जैसे जनाधारविहीन संगठनों के इन ऐलानों का सिवाय मीडिया स्टंट के कोइ मायने नहीं है। यह एक तरह से पदमावती के प्रचार और लोकप्रियता बढ़ाने का ही काम कर रहे हैं। इससे पहले भाजपा नेता सुब्रहमणयम स्वामी और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी पदमावती विवाद में कूद चुके हैं।

दीपिका पादुकोण के बयान कि फिल्म को रिलीज होने से कोई नहीं रोक सकता, पर सुब्रहमणयम स्वामी ने दीपिका को अनपढ़ कहते हुए उनकी नागरिकता पर ही सवाल उठा दिए थे। वहीं योगी आदित्यनाथ का कहना है कि इतिहास से छेड़छाड़ के जरिए समाज में जहर घोलने के काम को सही नहीं कहा जा सकता। यूपी सरकार फिल्म पर रोक तो नहीं लगाएगी, लेकिन कानून व्यवस्था के मददेनजर सावधानी जरूर बरतेगी।

केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने कहा कि विवाद का सारा दोष पदमावती फिल्म के निर्देशक और उसके स्क्रिप्ट राइटर का है। उन्हें लोगों की भावनाओं और ऐतिहासिक तथ्यों का ध्यान रखना चाहिए था।  

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