एमपी में लोहार जाति के दूल्हे का घोड़ी पर बैठना राजपूतों को नहीं आया रास, मार-पीटकर नीचे गिराया बारातियों को भी नहीं बख्शा

Update: 2019-12-06 07:25 GMT

गांव में राजपूतों के डर से दलित या पिछड़ा समुदाय की आज तक कोई भी बारात नहीं निकली थी घोड़ी पर बैठकर, पहली बार पिछड़ा दूल्हा बैठा घोड़ी पर तो हुई मारपीट...

भोपाल से रोहित शिवहरे की रिपोर्ट

जनज्वार। भोपाल राजधानी मुख्यालय से लगभग 200 किलोमीटर दूर जिला आगर मालवा के भदवासा गांव में ओबीसी दूल्हे को राजपूतों ने घोड़ी पर बैठने की वजह से घोड़ी से गिराया और उसके साथ मारपीट की।

ह घटना 30 नवंबर की रात को तब घटित हुई, जब धर्मेंद्र परमार की बिनौली की प्रथा चल रही थी। मध्य प्रदेश के पूर्वी क्षेत्र में बारात रवाना होने से पहले अपने ही गांव में घुमाई जाती है।

पीड़ित दूल्हा धर्मेंद्र परमार जनज्वार से हुई बातचीत में बताते हैं, शनिवार की रात गांव की प्रथा के मुताबिक मेरी बारात गांव में घूम रही थी। जैसे ही बारात राजपूतों की गली में पहुंची, राजपूत बिरादरी के कुछ लोग मेरे पास आए और मेरे घोड़े में बैठकर बारात निकालने का विरोध किया। ऐसे में मैंने लड़ाई की आशंका से इस बात की सूचना पुलिस को दी। पुलिस ने आकर उन्हें समझाया और वह मान गए, मगर इसके बाद ज्योंही बारात कुछ आगे बढ़ी, दबंग राजपूतों ने हम पर हमला कर दिया और मारपीट की।'

र्मेंद्र परमार के भाई कहते हैं, 'राजपूतों ने पहले से ही अपने घरों की लाइट बंद करके रखी हुई थी और हमारे साथ जो डीजे और लाइट वाला था, वह भी राजपूत का ही था तो उसने भी लाइट खराब होने की वजह बताकर लाइट बंद कर दी थी। अंधेरे में ही बारातियों पर हमला हुआ, जिसमें हमारे घर की महिलाएं भी थीं। जब हम घर लौट कर आ गए, पुलिस की गाड़ियां भी आ गयीं, तब भी हमारी गाड़ियां और पुलिस पर पथराव किया गया। हमारी गाड़ियों के साथ पुलिस विभाग की डायल 100 गाड़ी की गाड़ी में भी तोड़फोड़ की गयी। हमने पुलिस की सुरक्षा में शादी की बाकी रस्म पूरी कीं, और बारात राजस्थान जिला झालावाड़ के पगारिया गांव के लिए रवाना हुई।'

नज्वार से हुई बातचीत में बड़ौदा थाना प्रभारी राजीव उइके कहते हैं, 11 आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए हमने उन्हें पकड़ लिया है। उन पर धारा 341, 342, 294, 506, 427, 147 और 149 के तहत मुकदमे दर्ज हैं।

राजपूतों द्वारा मारपीट की गवाही देते फटे कपड़े दिखाती धर्मेंद्र परमार की मां

दूल्हे और उसके परिजनों की शिकायत पर बहादुर सिंह, जोवान सिंह, राजेंद्र सिंह, लक्ष्मण सिंह, हुकम सिंह, गोवर्धन सिंह, गोकुल सिंह, कालू सिंह, गोविंद सिंह समेत तीन लोगों के खिलाफ नामजद शिकायत दर्ज की गयी।

दूल्हे के पिता कालूराम कहते हैं, हम लोहार समाज से आते हैं जो कि पिछड़ा वर्ग समुदाय से है। जब मेरी शादी आज से 30 साल पहले हुई थी, तब मैं बिना योग्यता के भी घोड़ी से निकला था। अब तो मेरा बेटा एमकॉम कर चुका है, वह एक बैंक में नौकरी भी करता है। मगर गांव की दबंग जातियां इतना ज्यादा भेदभाव करती हैं कि हमारे समाज के लोगों का घोड़ी पर बैठना भी उन्हें रास नहीं आता।'

गांव के ही दलित समुदाय के प्रकाश मालवीय बताते हैं 'हमारे गांव में दलित समुदाय की आज तक कोई भी बारात गांव में घोड़ी पर बैठकर नहीं निकली है। पिछले सालों में कुछ परिवारों का मन जरूर था घोड़ी से बारात निकालने का, पर राजपूतों के डर की वजह से वैसा नहीं कर पाए।'

गौरतलब है कि भदवासा गांव में सबसे ज्यादा लगभग 150 परिवार राजपूतों के हैं और गांव में 200 परिवार एसटी/एससी और ओबीसी समुदाय से आते हैं।

दूल्हे धमेंद्र परमार की मां शादी में फटे कपड़ों के चिथड़े दिखाते हुए कहती हैं कि राजपूतों ने न केवल हमारे साथ मारपीट की, बल्कि कपड़े तक चिथड़े-चिथड़े कर दिये। मेरे बेटे का घोड़ी पर बैठना दबंग जाति के लोग सहन नहीं कर पा रहे थे।

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