पासपोर्ट अधिकारी ने कहा पहले अपने मुस्लिम पति को हिंदू बनाओ फिर बनेगा पासपोर्ट
पीड़ित लड़की ने किया प्रधानमंत्री मोदी और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को ट्वीट, पूछा मुसलमान से शादी करना अपराध कैसे हो गया
अब सामने आई आरोपी पासपोर्ट अधिकारी की सफाई कहा धर्म के आधार पर नहीं किया मैंने कुछ, मैंने खुद किया है अंतरजातीय विवाह, तन्वी सेठ एक दिन में कराना चाहती थीं अपना काम इसलिए मुझ पर लगाए आरोप
सुशील मानव की रिपोर्ट
अभी ज्यादा दिन नहीं हुए जब एक लड़की ने एयरटेल के मुस्लिम कस्टमर केयर एग्जीक्यूटिव से बात करने से मना करते हुए उसे किसी हिंदू से बात करवाने की मांग की थी।
नया मामला लखनऊ का है, जहाँ एक पासपोर्ट अधिकारी ने एक जोड़े मोहम्मद अनस सिद्दीकी और उनकी पत्नी तन्वी सेठ को लज्जित व अपमानित करते हुए उनका आवेदन निरस्त करते हुए कहा है कि पहले तन्वी को अपने पति को हिंदू बनाना होगा, फिर वह पासपोर्ट को प्रोसेस करेगा।
पासपोर्ट अधिकारी के व्यवहार से सन्न मोहम्मद अनस और उनकी पत्नी ने ट्वीट करके सुषमा स्वराज व प्रधानमंत्री कार्यालय को इसके बाबत सूचित कर दिया है।
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लखनउ के रहने वाले मोहम्मद अनस सिद्दीकी ने तन्वी सेठ से 2007 में शादी की थी और उनके एक 6 साल की लड़की भी है।
इस जोड़े ने लखनऊ में पासपोर्ट के लिए आवेदन किया था और उन्हें 20 जून को मिलने का समय दिया गया। पति—पत्नी ने काउंटर A और B में साक्षात्कार के पहले दो चरणों को पार कर लिया, लेकिन काउंटर सी पर समस्या शुरू हुई जहां बारी—बारी से आधिकारी से बातचीत करनी होती है।
अनस बताते हैं, 'मेरी पत्नी की बारी मुझसे पहले आई और जैसे ही वह काउंटर C5 पहुंची, वहां विकास मिश्रा नाम के अधिकारी ने हमारे दस्तावेजों को देखना शुरू किया। जब उसने पति के नाम में मोहम्मद अनास सिद्दीकी पढ़ा, तो उसने मेरी पत्नी तन्वी सेठ पर चिल्लाना शुरू कर दिया और कहा कि उसे मुझसे शादी नहीं करनी चाहिए थी। मेरी पत्नी रोने लगी, जिसके बाद विकास मिश्रा ने कहा कि तुम्हें अपनी पति का नाम बदल करके सभी दस्तावेजों को दुबारा सही कराना चाहिए।'
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अनस आगे कहते हैं, 'हालांकि मेरी पत्नी तन्वी ने पासपोर्ट अधिकारी विकास मिश्रा को बताया कि हम नाम बदलना नहीं चाहते हैं और हमारे परिवार को हमारे नामों में कोई समस्या नहीं है। तब पासपोर्ट अधिकारी ने उसे एपीओ कार्यालय में जाने के लिए कहा और ये भी कि वो फाइल एपीओ को भेज रहे हैं।'
अनस सिद्दकी के अनुसार, पासपोर्ट अधिकारी विकास मिश्रा ने फिर अनस को अपने पास बुलाया और अपमानित करना शुरू कर दिया।'
अनस के मुताबिक विकास मिश्रा की राय थी कि मुझे मुस्लिम धर्म छोड़ हिंदू धर्म में परिवर्तित होना होगा, तभी मेरी शादी स्वीकार की जाएगी। विकास मिश्रा ने अनस से पूछा, 'आपको फेेरे लेना है और हमारे धर्म में परिवर्तित होना है, क्या आप ऐसा करेंगे?'
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इसके बाद अनस और उनकी पत्नी तन्वी सेठ आरपीओ विजय द्विवेदी के पास गये। आरपीओ ने अनस को बताया कि आपलोगों ने गलत काउंटर से संपर्क किया था। आरपीओ ने माफी मांगी और हमें पूरी घटना का वर्णन करते हुए शिकायत कक्ष को लिखने के लिए कहा।
न्यूज़ स्टेट में छपी खबर के मुताबिक इसी बीच लखनऊ के क्षेत्रीय पासपोर्ट अधिकारी ने कहा है कि 'उनका पासपोर्ट जारी कर दिया गया है। इसके साथ ही आरोपी अधिकारी के ख़िलाफ़ एक्शन लेते हुए उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी कर जवाब देने को कहा गया है। जो कुछ भी हुआ उसके लिए हमें खेद है। मैं आश्वस्त करना चाहता हूं कि इस तरह की ग़लती भविष्य में दोबारा नहीं होगी।'
सुषमा स्वराज को लिखे ट्वीट में, तन्वी ने लिखा, "हैलो मैम, मैं इस ट्वीट को न्याय के लिए आपके पास विडंबना से अपने दिल में बहुत क्रोध / चोट और पीड़ा के साथ टाइप कर रही हूं, जिस तरह से रतन स्क्वायर में लखनऊ पासपोर्ट कार्यालय में विकास मिश्रा द्वारा मेरे साथ बुरा बर्ताव किया गया उसका कारण ये है कि मैंने एक मुसलमान से शादी की और मैंने मेरा नाम कभी नहीं बदला। उसने मुझसे बहुत अशिष्टता से बात की और मेरे मामले पर चर्चा करते समय दूसरों के सुनने के लिए काफी जोर—जोर बोल रहा था। मैंने पहले कभी इतनी उत्पीड़ित महसूस नहीं किया है। कार्यालय के अन्य श्रमिकों ने उनके अशिष्ट आचरण (एसआईसी) को स्वीकार किया।"
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अपने एक अन्य ट्वीट में, तन्वी सेठ ने कहा, "सुषमा स्वराज महोदया मैंने कभी कल्पना नहीं की है कि पासपोर्ट कार्यालय जैसी जगह पर हमारे पास ऐसे लोग होंगे जो नागरिकों की नैतिक पुलिसिंग करते हैं। उसने न सिर्फ मेरे पासपोर्ट को रोके रखा, उसने मेरे पति के पासपोर्ट को भी रोके रखा। यह एक स्पष्ट घृणा है।'
तन्वी ट्वीट में आगे लिखा है, 'मैं इस व्यवहार पर चौंक गयी थी। मैंने अपने पति के साथ अपने विवाह के पिछले 12 वर्षों में इतना अपमानित महसूस कभी नहीं किया है। मेरी शादी के बाद मैं अगर अपना नाम चुनना चाहती हूँ तो यह मेरी निजी पसंद है। यह हमारा पारिवारिक मामला है। पासपोर्ट कार्यालय में मुझसे कहा गया कि विवाह के बाद अपना नाम बदलना आपका कर्तव्य है। बाद में मेरे पति से बात करने वाले व्यक्ति ने कहा कि आपकी पत्नी का मामला मेरे पास आ गया होता तो कोई समस्या नहीं होती क्योंकि उनके कागजात पूर्ण हैं।'
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तन्वी सेठ अनस सिद्दीकी पासपोर्ट मामले में आरोपी पासपोर्ट अधिकारी विकास मिश्रा ने अपनी सफाई देते हुए कहा हैं कि, मैंने खुद अंतरजातीय विवाह किया है, मैं हर धर्म के लोगों के साथ उठता-बैठता हूं। धर्म के आधार पर मैंने ये किया कहना गलत है। मैरिज सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं है, लेकिन अगर उन्होंने इसे दिखाया तो इसे फाइल में भी होना चाहिए था। अगर वे निकाहनामा नहीं दिखातीं तो मुझे कैसे पता चलता कि उनके निकाहनामे में सादिया हसन लिखा हुआ है।
तन्वी सेठ द्वारा दी गई अप्लीकेशन में उनका नाम हिंदू था, जबकि निकाहनामे में मुस्लिम नाम था। जिसे लेकर मैंने आपत्ति दर्ज की थी। जो कागज एप्लीकेंट देते हैं उन्हें एक पोर्टल पर अपलोड किया जाता है। इन कागजों के आधार पर निर्णय लेना होता है कि पासपोर्ट दिया जाना चाहिए अथवा नहीं। मैंने केवल इतना कहा कि आप निकाहनामा में अपना नाम जो दिखा रही हैं उसे फाइल में दिखाएं, इसके लिए उन्होंने मना कर दिया।
आरोपी पासपोर्ट अधिकारी विकास मिश्रा के मुताबिक, "कल को कोई भी शख्स किसी भी नाम से पासपोर्ट बनवा लेगा तो क्या ये देश की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ नहीं होगा। वो नोएडा में रहती हैं, पासपोर्ट बनता है पुलिस रिपोर्ट के आधार पर। मेरी कोई बात उनके पति के साथ नहीं हुई, अगर कोई बात होती तो मैं उन्हें अपने अधिकारियों के पास क्यों भेजता। तन्वी सेठ नोएडा से छुट्टी लेकर आई थीं, वो अपना काम एक ही दिन में कराना चाहती थीं, इसलिए उन्होंने ये सब किया है।"