कल 30 जून से सोशल मीडिया पर फैलाई जा रही फर्जी खबरों पर लगा विराम, पत्रकारों के बीच था सनसनी का माहौल
पुलिस ने कहा माओवादी होने के आरोप में और भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में गिरफ्तार रोना विल्सन से मिले कागजातों के आधार पर दिल्ली के जेएनयू, प्रेस क्लब और अन्य स्थानों पर पूछताछ के लिए पहुंची थी महाराष्ट्र पुलिस, पत्रकार विश्वदीपक अभी तक नहीं हैं उसकी किसी जांच या मुकदमे का हिस्सा
जनज्वार, पुणे/दिल्ली। वर्ष 2016 में जी न्यूज की नौकरी छोड़ने के बाद चर्चा में आए युवा पत्रकार और नेशनल हेराल्ड के प्रमुख संवाददाता विश्वदीपक के बारे में कल शाम दिल्ली के प्रेस क्लब में महाराष्ट्र पुलिस द्वारा पूछताछ की जानकारी सामने आई थी। शहरी माओवादी नेटवर्क के बारे में पता करने आई महाराष्ट्र पुलिस जब प्रेस क्लब से पत्रकार विश्वदीपक का नाम नोट कर ले गयी तो पत्रकारों में इस बात की सनसनी फैल गयी और सच से ज्यादा अफवाहों का माहौल हवा में छाया रहा।
30 जुलाई की शाम महाराष्ट्र के पूणे जिले के विश्रामबाग पुलिस थाने के इंस्पेक्टर जीआर सोनावड़े दिल्ली स्थित प्रेस क्लब आॅफ इंडिया पहुंचे। वे वहां शाम 4 बजे तक पूछताछ के लिए रूके रहे, फिर जानकारी जुटाकर प्रेस क्लब से निकल गए। सोनावणे इस दौरान मुख्य तौर पर 20 अप्रैल को हुए एक कार्यक्रम की जानकारी जुटाई और उसके आयोजकों का डिटेल लिया।
पुणे पुलिस के उच्चाधिकारियों का कहना है कि दिल्ली के प्रेस क्लब आॅफ इंडिया में हुए 20 अप्रैल के कार्यक्रम में कुछ नक्सली शामिल हुए थे, जिसकी जानकारी पुलिस को 6 जून को दिल्ली से माओवादी होने के आरोप में गिरफ्तार रोना विल्सन से बरामद दस्तावेजों से हुई थी। उसी जांच के दौरान विश्वदीपक का नाम सामने आया है, लेकिन पुलिस ने पत्रकार के खिलाफ कोई मुकदमा दर्ज नहीं किया है और न ही अभी पूछताछ करने जा रही है।
महाराष्ट्र पुलिस पहुंची दिल्ली प्रेस क्लब, पत्रकार विश्वदीपक के बारे में की पूछताछ
जनज्वार के सहयोगी ने जब उच्चाधिकारियों से जानना चाहा कि आखिर प्रेस क्लब में हुए कार्यक्रम की जानकारी लेने की पुलिस को जरूरत ही क्यों पड़ी, क्यों पत्रकार विश्वदीपक का डिटेल पुलिस ले गयी तो अधिकारी का जवाब था, 'हमने भीमा—कोरेगांव मामले में गिरफ्तार चार अन्य आरोपियों के साथ रोना विल्सन को भी गिरफ्तार किया है। रोना से हमने जो मेल और दस्तावेज बरामद कर कोर्ट में जमा किए हैं, उस मेल में माओवादी होने की सजा भुगत रहे नागपुर जेल में बंद जीएन साईंबाबा की रिहाई के लिए हुए कार्यक्रमों की कई मेल मिली हैं, जिसमें नक्सलियों—माओवादियों के शामिल होने की आशंका है। ये सभी कार्यक्रम दिल्ली स्थित जेएनयू में हुए हैं।'
अधिकारी ने आगे बताया कि महाराष्ट्र पुलिस जेएनयू में जांच के लिए दिल्ली पहुंची थी कि नागपुर जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहे साईबाबा के पक्ष में जो कार्यक्रम जेएनयू और अन्य जगहों में जो कार्यक्रम हुए, उनके भागीदार कौन थे, किसने कराए और उसका मकसद क्या था। उनका माओवादियों से परिचय कैसे है।'
जांच के इसी सिलसिले में महाराष्ट्र पुलिस को माओवादी गतिविधियों पर निगाह रखने वाले दिल्ली पुलिस के अधिकारियों से प्रेस क्लब में हुए कार्यक्रम का भी पता चला। इसमें दिल्ली पुलिस के लोकल इंटेलिजेंस का भी इनपुट था। उसी के बाद विश्रामबाग के इंस्पेक्टर जीआर सोनावड़े दिल्ली के प्रेस क्लब आॅफ इंडिया पहुंचे और उन्होंने क्लब के अधिकारियों से डिटेल मांगी। उसी डिटेल के दौरान पता चला कि कार्यक्रम की बुकिंग प्रेस क्बल के मेंबर विश्वदीपक ने कराई थी।
जनज्वार सहयोगी ने जब महाराष्ट्र पुलिस के उच्चाधिकारी से दो टूक यह जानने की कोशिश की कि कहीं यह पत्रकार विश्वदीपक को फ्रेम करने का कोई तरीका तो नहीं है, तो उनका जवाब था, 'फ्रेम क्या करना है। हमने कई पत्रकार पकड़े हैं, पकड़ना होगा तो पकड़ लेंगे, लेकिन तभी जब उनका माओवादियों की गतिविधियों में भागीदारी रही हो। अगर उस पत्रकार ने केवल हॉल बुक कराया है तो हमें उससे कोई मतलब नहीं है। आप ही लोग हल्ला मचा रहे हैं, अभी पुलिस उस ओर सोच ही नहीं रही है।'
आखिरी सवाल के तौर जनज्वार ने जानना चाहा कि क्या पत्रकार विश्वदीपक से इस मामले में महाराष्ट्र पुलिस पूछताछ कर सकती है तो अधिकारी ने कहा, 'मैं फिर कह रहा हूं हमलोग उनको कहीं गिन ही नहीं रहे, हमारा फोकस फिलहाल माओवादी शहरी नेटवर्क की कड़ियों को जोड़ना है, बेगुनाह को पकड़ना नहीं। हां, अगर जरूरत हुई कि हम पूछ भी सकते हैं कि विश्वदीपक का कार्यक्रम के आयोजकों से परिचय कैसे हुआ, उनका आपसे क्या वास्ता है, क्या संबंध हैं, पर तभी जब ऐसी कोई लीड मिले।'
अब आखिर में वह सवाल कि सनसनी कैसे फैली, अफवाह की खबर कैसी बनी? तो हुआ यों कि जब पुलिस अधिकारी ने प्रेस क्लब से कार्यक्रम के आयोजक की जानकारी चाही तो प्रेस क्लब के पदाधिकारियों ने अधिकारी से लिखित में कारण मांगा। लिखित में कारण देने के दौरान महाराष्ट्र पुलिस के इंस्पेक्टर जीआर सोनावड़े णे ने उस मुकदमे का जिक्र किया, जिसमें रोना विल्सन आरोपी हैं। बाद में किसी प्रेस क्लब के पदाधिकारी ने निजी तौर पर यह जानकारी किसी पत्रकार को इस रूप में दे दी कि विश्वदीपक पर मुकदमा दर्ज हुआ है, जबकि वह मुकदमा भीमा—कोरेगांव मोमले में पहले से दर्ज है और उसी की विवेचना के लिए पुलिस अधिकारी दिल्ली पहुंचा था।'