शर्मनाक : बीच सड़क पर मजदूर ने बच्चे को दिया जन्म, मासूम को गोद में उठा पैदल तय किया 270 KM का सफर

Update: 2020-05-12 06:20 GMT
शर्मनाक : बीच सड़क पर मजदूर ने बच्चे को दिया जन्म, मासूम को गोद में उठा पैदल तय किया 270 KM का सफर
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मोदी सरकार की नाकामी की वजह से दूसरे राज्यों में फंसे मजदूर हजारों किलोमीटर का सफर पैदल ही तय कर रहे हैं। मजदूरों की कहानी सुन रोंगटे खड़े हो जा रहे हैं। मध्यप्रदेश-महाराष्ट्र की बिजासन सीमा पर नवजात बच्चे के साथ पहुंची महिला मजदूर की कहानी रुह कंपा देने वाली है...

जनज्वार। मोदी सरकार की नाकामी की वजह से दूसरे राज्यों में फंसे मजदूर हजारों किलोमीटर का सफर पैदल ही तय कर रहे हैं। मजदूरों की कहानी सुन रोंगटे खड़े हो जा रहे हैं। मध्यप्रदेश-महाराष्ट्र की बिजासन सीमा पर नवजात बच्चे के साथ पहुंची महिला मजदूर की कहानी रुह कंपा देने वाली है। बच्चे के जन्म के एक घंटे बाद ही उसे गोद में लेकर महिला 160 किलोमीटर तक पैदल चल बिजासन सीमा पर पहुंची। शकुंतला नामक यह महिला अपने पति के साथ नासिक में रहती थी।

गर्भावस्था के नौवें महीने में वह अपने पति के साथ नासिक से सतना के लिए पैदल निकली। नासिक से सतना की दूरी करीब एक हजार किलोमीटर है। बिजासन सीमा से 160 किलोमीटर पहले उसने पांच मई को सड़क किनारे ही बच्चे को जन्म दिया। शनिवार को शकुंतला बिजासन सीमा पर पहुंची। उसके गोद में नवजात बच्चे को देख चेकपोस्ट की इंचार्ज कविता कनेश उसके पास जांच के लिए पहुंचीं। उन्हें लगा कि महिला को मदद की जरूरत है। उसके बाद उससे बात की, तो कहने को कुछ शब्द नहीं थे। महिला ने 70 किलोमीटर चलने के बाद रास्ते में मुंबई-आगरा हाइवे पर बच्चे को जन्म दिया था। इसमें चार महिला साथियों ने मदद की थी।

शकुंतला की बातों को सुनकर पुलिस टीम अवाक रह गयी। महिला ने बताया कि वह बच्चे को जन्म देने तक 70 किलोमीटर पैदल चली थी। जन्म के बाद एक घंटे सड़क किनारे ही रुकी और पैदल चलने लगी। बच्चे के जन्म के बाद वह बिजासन सीमा तक पहुंचने के लिए 160 किलोमीटर पैदल चली।

शकुंतला के पति राकेश कौल ने कहा कि यात्रा बेहद कठिन थी, लेकिन रास्ते में हमने दयालुता भी देखी। एक सिख परिवार ने धुले में नवजात बच्चे के लिए कपड़े और आवश्यक सामान दिये। राकेश कौल ने कहा कि लॉकडाउन की वजह से नासिक में उद्योग धंधे-बंद हैं। इस वजह से नौकरी चली गयी। राकेश ने बताया कि सतना जिले स्थित ऊंचाहरा गांव तक पहुंचने के लिए पैदल जाने के सिवाय हमारे पास कोई और चारा नहीं था। हमारे पास खाने के लिए कुछ नहीं था। हमें बस घर जाना था, क्योंकि वहां अपने लोग हैं, वे हमारी मदद करेंगे। राकेश ने बताया कि हम जैसे ही पिंपलगांव पहुंचे, पत्नी को प्रसव पीड़ा शुरू हो गयी।

बिजासन सीमा पर तैनात पुलिस अधिकारी कविता कनेश ने कहा कि समूह में आये इन मजदूरों को यहां खाना दिया गया। नंगे पैर में आ रहे बच्चों को जूते भी दिये। शकुंतला की दो साल की बेटी इधर-उधर छलांग लगा रही थी। उसके बाद प्रशासन ने वहां से उसे घर भेजने की व्यवस्था की।

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