सर्वे में हुआ खुलासा, महिलाओं के लिए दुनिया का सबसे असुरक्षित देश है भारत
औरतों के नाम पर देवियों के अवतार भले ही भारत में पूजे जाते हों, लेकिन सच ये है कि कैलेंडर और मुर्तियों से अलग जिंदा महिलाओं—बच्चियों के लिए हमारा देश दुनिया का जहन्नुम बन चुका है
जनज्वार, दिल्ली। तर्क, बराबरी और सम्मान के पक्षधर जब समाज से कहते हैं कि अपने घरों में कैलेंडर पर और बाजारों में देवियों की मूर्तियों के सामने नमस्तक होने से अच्छा है कि हम अपने घरों, पड़ोस और दायरे की औरतों के प्रति अहिंसक बनें और स्वायत्त जीवन जीने का हक दें तो धार्मिक और पारंपरिक समाज उनकी बातों का मखौल उड़ाता है। लेकिन वही समाज जब कोई झकझोर देने वाले देने वाले सर्वे देखता है, औरतों के प्रति सामाजिक रवैए को नंगा कर देने वाले आंकड़े पढ़ता है तो वह सच को मानने से ही इनकार कर देता है या फिर छुपाता फिरता है।
इस बार भी वही हुआ है। मोदी सरकार के महिला विकास मंत्रालय और महिला आयोग ने इस सर्वे को मानने से इनकार कर दिया है। महिला विकास मंत्रालय की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ती में कहा गया है कि यह सर्वे परसेप्शन के आधार पर है, इसलिए हम नहीं मानते। पर सरकार के ही आंकड़ों के मुताबिक 2007 से 2016 के बीच महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामलों में 83% की वृद्धी हुई है और हर घंटे चार महिलाओं के साथे रेप होता है।
महिला अधिकारों के लिए दुनिया भर में सक्रिय 548 विशेषज्ञों की राय के आधार पर किए एक सर्वे में सामने आया है कि हमारा देश भारत महिलाओं के लिए दुनिया के सबसे असुरक्षित देशों में पहले पायदान पर है।
थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन द्वारा जारी सर्वे के मुताबिक भारत युद्ध प्रभावित अफगानिस्तान, सीरिया से भी बुरे हाल में है, क्योंकि इन देशों का स्थान महिलाओं को असुरक्षित माहौल देने में क्रमश: दूसरे और तीसरे पायदान पर हैं। सामालिया और सउदी अरब चौथे और पांचवे स्थान पर हैं।
महिलाओं के मामले में हुए इस सर्वे में भारत को असुरक्षित देशों के टॉप पर इसलिए रखा गया है, क्योंकि हमारे देश में महिलाओं के खिलाफ यौन हिंसा करना, गुलामों जैसे कामों में झोंकना और बल पूर्वक सेक्स करना ज्यादा आसान है।
सर्वे में यह जवाब इसलिए आया क्योंकि सर्वे में शामिल विशेषज्ञों से महिलाओं के लिए सबसे असुरक्षित देश, सबसे खराब स्वास्थ्य सुविधाएं, कहां महिलााओं के आर्थिक हालात सबसे ख़राब, किस देश में सर्वाधिक सांस्कृतिक भेदभाव, महिला तस्करी, बाल विवाह, बिना मर्जी शादी, कहां यौन हिंसा सबसे ज़्यादा और कहां बिना सहमति के सबसे ज़्यादा सेक्स होता है, जैसे सवाल पूछे गए थे.
जानकारों ने कहा है कि भारत में 2011 के मुकाबले 2018 में महिला अपराध इसलिए बढ़े हैं कि अपराध रोकने के लिए जो जरूरी प्रयास किए जाने चाहिए थे, वह नहीं हुए हैं। वर्ष 2011 में इसी संस्था 'थामसन रॉयटर्स फाउंडेशन' के सर्वे में भारत चाथे पर स्थान पर था, जबकि 2018 में पहले स्थान पर पहुंच गया है।