एक साल बाद दर्ज हो पाया बीवी को जुए में हारने का मुकदमा

Update: 2018-03-16 23:00 GMT

पीड़ित मुस्लिम महिला न्याय की उम्मीद में बिरादरी समेत परिवार परामर्श केंद्र की शरण में तक गई, मगर हर जगह मिली नाउम्मीदी, सालभर बाद दर्ज हो पाया है मुकदमा

हरियाणा। मर्द की महत्वाकांक्षा और घमंड की भेंट औरत अक्सर चढ़ती रही है, और इस बार भी चढ़ी है। एक पति जब दांव पर सबकुछ लगा चुका था और कुछ भी नहीं बचा तो उसे बीवी भी सामान ही नजर आई, क्योंकि सामान के साथ—साथ उसने बीवी को भी दांव पर लगा दिया।

महाभारत में एक प्रसंग आता है कि पांडवों ने पांडवों के साथ जुए की बाजी में द्रोपदी को दांव पर लगा दिया था। वो तो इतिहास था, मगर इतिहास ने खुद को दोहराया और फिर एक पति ने अपनी पत्नी को जुए पर दांव लगा दिया।

जब मर्द बीवी को भी जुए में हार गया तो उसने उसे जुआरियों के हवाले कर दिया। बीबी शौहर के पैर पकड़ गिड़गिड़ाती रही, मगर उस पर कोई फर्क नहीं पड़ा। मर्द जो था, अपनी गलती मान जाता तो उसका घमंड कहां टिकता।

बीवी ने जब विरोध किया कि वह जुआरियों के साथ नहीं जाएगी तो शौहर ने तीन तलाक दे दिया। यह घटना है हरियाणा के मेवात स्थित नूंह की। हालांकि यह घटना एक साल पहले की है, मगर तब से पीड़ित महिला शकीरा न्याय के लिए दर—दर भटक रही है, मगर महिला सशक्तीकरण का दावा करने वाले शासन—प्रशासन को अब उसकी आवाज सुनाई दी हे।

जुए में दांव लगाने के बाद तीन तलाक की शिकार हुई शकीरा अपने मासूम बच्चों और मामा के साथ बिरादरी की पंचायतों के पास न्याय की गुहार लगाने पहुंची, मगर पंचायतों ने भी शकीरा के लिए कुछ नहीं किया। गलत तरीके से दिए गए तलाक के खिलाफ वह परिवार परामर्श केंद्र की शरण में तक जा चुकी है, लेकिन यहां भी शकीरा को न्याय तो दूर उम्मीद तक नहीं मिली।

अब लगभग एक साल बाद शकीरा को गलत तरीके से दिए गए तीन तलाक और जुए में पति द्वारा दांव लगाकर जुआरियों को सौंपे जाने पर रिपोर्ट दर्ज हुई है। पुलिस यह जरूर कह रही है कि वह पीड़ित महिला को न्याय दिलाएगी, मगर शकीरा कहती है कि उसे न्याय मिल पाएगा इसके भी आसार अभी कम ही नजर आ रहे हैं।

शकीरा कहती है, मैं जहां भी न्याय की आस में गई, वहां—वहां मुझे दुत्कारा गया। अपना शादीशुदा रिश्ता जोड़ने के लिए पंचायतों को जुटाने में हमारा काफी पैसा बर्बाद हो चुका है। इसके बाद मैंने नूंह में चल रहे परिवार परामर्श केंद्र से संपर्क किया। वहां भी कुछ महिलाओं ने मदद के नाम पर 5-6 हजार रुपए खर्च करा दिए और कोई नजीता नहीं निकला। हर तरफ निराशा मिलने पर मैं पूरी तरह टूट चुकी हूं।'

गौरतलब है कि चार साल पहले शकीरा की शादी नूंह के इमरान से हुई थी। जुए का लती इमरान अकसर उसके साथ मारपीट करता था, मगर उसके पैरों तले की जमीन तब खिसक गई जब जुए की लत में उसने उसे ही दांव पर लगा दिया।

शकीरा के मामा कहते हैं, जुए के लती इमरान ने एक दिन मेरी भांजी को ही दांव में लगा दिया और जुआरियों के हवाले कर दिया। जब शकीरा ने इसका विरोध किया तो तुरंत तीन तलाक दे दिया। इमरान ने इतनी शर्मनाक हरकत करने के बाद बजाए शर्मिंदा होने के पंचायतों में भी बदसलूकी की। पंचायतों और परिवार परामर्श केंद्रों के अलावा न्याय के लिए जगह—जगह ठोकरें खाने के बाद अब जाकर मेवात एसपी नाजनीन भसीन के पास हमारी अर्जी मंजूर हो पाई है।

न्याय पंचायतों के रुख के बारे में शकीरा कहती है, हर बिरादरी पंचायत उम्मीद के साथ शुरू होती और नाउम्मीदी पर खत्म हो जाती है और मेरे साथ भी ऐसा ही हुआ।

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