सहारनपुर में मुसलमानों और सिखों ने खत्म किया 10 साल पुराना भूमि विवाद

Update: 2020-03-01 09:52 GMT

सुप्रीम कोर्ट में मुस्लिम पक्ष का प्रतिनिधित्व करने वाले निजाम पाशा कहते हैं, हाल ही में दिल्ली में हुए दंगों के दौरान सिखों द्वारा मुस्लिमों को दी जा रही महान सेवा के समर्थन में मस्जिद समिति ने धन्यवाद के रुप में भूमि पर अपना दावा छोड़ने का फैसला किया...

जनज्वार। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में मुसलमानों और सिखों ने 10 साल पुराने भूमि विवाद को समाप्त कर दिया है। इस विवाद में सहारनपुर रेलवे स्टेशन से दूर गुरुद्वारा से सटा एक भूखंड शामिल था। गुरुद्वारा कमेटी ने गुरुद्वारा परिसर के विस्तार के लिए जमीन खरीदी थी। लेकिन भूखंड पर पुरानी संरचनाओं को ध्वस्त कर दिया गया था और कहा जाता है कि इसमें एक पुरानी मस्जिद शामिल थी।

विवाद सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया था लेकिन मुस्लिम पक्ष ने अपना दावा छोड़ दिया। बदले में सिखों ने मुसलमानों को जमीन का एक वैकल्पिक भूखंड देने का फैसला किया। लेकिन अब मुस्लिमों ने इसे छोड़ने का फैसला किया है, साथ ही पूर्वोत्तर दिल्ली में सांप्रदायिक हिंसा से प्रभावित लोगों को सिखों द्वारा दी गई मदद के लिए आभार प्रकट किया।

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सुप्रीम कोर्ट में निजाम पाशा ने मुस्लिम पक्ष का प्रतिनिधित्व किया था। वह कहते हैं, हाल ही में दिल्ली में हुए दंगों के दौरान सिखों द्वारा मुस्लिमों को दी जा रही महान सेवा के समर्थन में मस्जिद समिति ने धन्यवाद के रुप में भूमि पर अपना दावा छोड़ने का फैसला किया। मुस्लिम पक्ष के याचिकाकर्ता मुहर्रम अली कहते हैं, सिख भगवान का काम कर रहे हैं।

Full View क्विंट' की रिपोर्ट के मुताबिक, मुस्लिम याचिकाकर्ता मुहर्रम अली कहते हैं, 'सिख मानवता के लिए खड़े होते हैं। वे लोगों की मदद करते हैं। जरूरतमंद लोगों को दिल्ली में सांप्रदायिक हिंसा से प्रभावित लोगों की मदद करते हैं। यह भगवान का काम है।' वहीं सिख पक्ष के प्रतिनिधि सनी ने कहा कि हम बहुत खुश हैं कि मुसलमान गुरुद्वारे के कारसेवा के लिए आए। भले ही विवाद 2010 से चल रहा था लेकिन हम यह नहीं चाहते थे कि यह दोनों समुदायों के बीच संबंधों को नुकसान पहुंचाए।

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2014 में विवाद के कारण सहारनपुर में हिंसा हुई। लेकिन वर्षों बाद दोनों समुदायों के संबंधों में सुधार हुआ। सनी कहते हैं, हम वहां पूजा स्थल बनाना चाहते थे वो भी यही चाहते थे। हम निजी स्वार्थो के लिए नहीं लड़ेंगे। सनी और अन्य स्थानीय सिख अब मस्जिद की नींव रखने में हिस्सा लेंगे। मुहर्रम अली ने मस्जिद के लिए गुरुद्वारे से थोड़ी किलोमीटर की दूरी पर जमीन की व्यवस्था की है। सहारनपुर जिला प्रशासन ने भी दोनों पक्षों के बीच मध्यस्थता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

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