सुप्रीम कोर्ट ने मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले में मीडिया रिपोर्टिंग से हटाया प्रतिबंध

Update: 2018-09-21 03:43 GMT

पटना हाईकोर्ट ने मुजफ्फरपुर बालिका गृह से जुड़ी खबरों के प्रकाशन और प्रसारण पर रोक लगा दी थी, लेकिन उच्चतम न्यायालय ने आरोपी बृजेश ठाकुर पर सख्ती दिखाते हुए कहा कि आयकर विभाग उसकी संपत्ति की जांच करे…

वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट

जनज्वार। उच्चतम न्यायालय ने बिहार के मुजफ्फरपुर शेल्टर होम यौन शोषण केस में मीडिया रिपोर्टिंग पर लगाई गई रोक हटा दी है। उच्चतम न्यायालय ने मामले की सुनवाई करते हुए गुरुवार को कहा कि मीडिया रिपोर्टिंग पर पूरी तरह प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता है।

इसके साथ ही इस केस में चल रही सीबीआई जांच अब उच्चतम न्यायालय की निगरानी में होगी। उच्चतम न्यायालय ने साफ कहा कि ये तय है कि मीडिया रिपोर्टिंग पर पूर्ण प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता है, लेकिन कोई रेखा तो होनी चाहिए। कोर्ट ने कहा कि ये मीडिया ट्रायल नहीं बल्कि मीडिया जजमेंट है। मीडिया पहले ही आरोपियों को दोषी करार दे चुका है।

उच्चतम न्यायालय ने मीडिया से कहा कि वे यौन शोषण और हिंसा की घटनाओं को सनसनीखेज न बनाएं। उच्चतम न्यायालय ने आदेश में कहा कि यौन उत्पीड़न की पीड़िता की किसी भी तरह से पहचान उजागर न हो, पीड़ित का कोई इंटरव्यू नहीं होगा।

बच्चियों के साथ यौन अपराधों के मामले में मीडिया रिपोर्टिंग पर सवाल उठाते हुए उच्चतम न्यायालय ने प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया और एनबीए को नोटिस जारी कर ऐसे अपराधों में मीडिया रिपोर्टिंग के लिए गाइडलाइन बनाने में सहयोग मांगा है । उच्चतम न्यायालय ने कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया आत्मचिंतन करें कि क्या हो रहा है?

उच्चतम न्यायालय ने आरोपी बृजेश ठाकुर पर सख्ती दिखाते हुए कहा कि आयकर विभाग उसकी संपत्ति की जांच करे। उच्चतम न्यायालय ने कहा कि बृजेश ठाकुर और चंद्रशेखर वर्मा का इतना आतंक है कि रिपोर्ट के मुताबिक कोई उनके खिलाफ बोलने को तैयार नहीं है।

चंद्रशेखर वर्मा और पूर्व मंत्री मंजू वर्मा के पास अवैध हथियार के मामले को बिहार पुलिस गंभीरता से देखे। .उच्चतम न्यायालय ने कहा कि 20 मार्च 2018 को जिन लड़कियों को वेलफेयर विभाग से शेल्टर होम में भेजा गया, इस पर बिहार सरकार हलफनामा दायर करे।

गौरतलब है की बिहार के समाज कल्याण विभाग को सौंपी गई टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइसेंस (टिस) की ऑडिट रिपोर्ट में मुजफ्फरपुर शेल्टर होम में रेप की घटनाओं का खुलासा हुआ था। शेल्टर होम की 42 में से 34 लड़कियों के यौन शोषण की मेडिकल जांच में पुष्टि हुई थी। फिलहाल इस मामले की सीबीआई जांच कर रही है। मामले की जांच के दौरान बिहार की सामाजिक कल्याण मंत्री मंजू वर्मा ने इस्तीफा दे दिया था। उच्चतम न्यायालय ने बिहार की पूर्व समाज कल्याण मंत्री मंजू वर्मा और उनके पति चंद्रशेखर वर्मा से पूछताछ करने को कहा है।

पीठ ने 18 सितंबर को इस मामले की सुनवाई के दौरान हरियाणा के रेवाड़ी में हुए सामूहिक बलात्कार की घटना का ज़िक्र किया था और सवाल किया था कि 19 वर्षीय पीड़ित के बारे में सभी कुछ बयां करने वाले मीडिया घरानों के ख़िलाफ़ क़ानून का उल्लंघन करने के लिए कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई?

पटना के एक पत्रकार की याचिका पर सुनवाई के दौरान पीठ ने इस सनसनीखेज़ घटना की जांच के लिए सीबीआई का नया दल गठित करने के उच्च न्यायालय के 29 अगस्त के आदेश पर रोक लगा दी थी। पीठ का कहना था कि ऐसा करना इस समय चल रही जांच के लिए ही नहीं बल्कि पीड़ितों के लिए भी नुकसानदेह होगा।

मुज़फ़्फ़रपुर के इस आश्रय गृह में यौन शोषण के मामलों की जांच की पटना उच्च न्यायालय अपनी निगरानी में कर रहा है और न्यायालय 23 अगस्त को जांच के विवरण मीडिया में लीक होने पर नाराज़गी व्यक्त की थी और मीडिया को इनका प्रकाशन करने से रोक दिया था।

पुलिस ने आश्रय गृह के मालिक बृजेश ठाकुर सहित 11 व्यक्तियों के ख़िलाफ़ 31 मई को प्राथमिकी दर्ज की थी।ठाकुर और आश्रय गृह की महिलाकर्मियों को अन्य आरोपियों के साथ गिरफ्तार किया जा चुका है।

उच्चतम न्यायालय ने इस मामले की सुनवाई के दौरान गुरुवार को बिहार पुलिस से कहा कि भारी मात्रा में विस्फोटक सामग्री बरामद होने के मामले में पूर्व मंत्री मंजू वर्मा और उनके पति चंद्रशेखर वर्मा से पूछताछ की जाए। इस मामले की जांच की प्रगति के बारे में सीबीआई की रिपोर्ट पढने के बाद शीर्ष अदालत ने यह आदेश दिया।

इस रिपोर्ट में कहा गया कि चंद्रशेखर वर्मा और उनकी पत्नी के कब्जे में बड़ी मात्रा में गैरकानूनी हथियार थे।पीठ ने राज्य सरकार को आश्रय गृह से आठ लड़कियों को स्थानांतरित करने के मामले में एक हलफनामा दायर करने का भी निर्देश दिया है।पीठ ने सीबीआई को चार सप्ताह के भीतर इस मामले की जांच पर अगली स्थिति रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में दायर करने का भी निर्देश दिया।

उच्चतम न्यायालय ने आयकर विभाग को आदेश दिया कि वह ब्रजेश ठाकुर और उसके एनजीओ के खिलाफ जांच करे। यह पता लगाएं की बिहार सरकार द्वारा पिछले 10 सालों में दिए 4.5 करोड़ के फण्ड का उन्होंने क्या किया है? उच्चतम न्यायालय ने सीबीआई जांच की निगरानी करने का निर्णय लेते हुए उन्हें केस की स्टेटस रिपोर्ट 4 सप्ताह में फ़ाइल करने के लिए कहा है।

पटना हाईकोर्ट ने मुजफ्फरपुर बालिका गृह से जुड़ी खबरों के प्रकाशन और प्रसारण पर रोक लगा दिया था। इसके खिलाफ हाईकोर्ट में एक हस्तक्षेप याचिका दायर की गई थी। याचिकाकर्ता ने कहा था कि बालिका गृह की सीबीआई जांच से संबंधित खबरों को प्रकाशित या प्रसारित करने पर लगी रोक से प्रेस की स्वतंत्रता प्रभावित हो रही है। कोर्ट से रोक लगाने संबंधी आदेश वापस लेने या संशोधित करने का अनुरोध किया गया है। 23 अगस्त को हाईकोर्ट ने बालिका गृह से संबंधित खबरों के प्रकाशन व प्रसारण पर रोक लगा दिया था।

इसके पहले उच्चतम न्यायालय ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा था कि किसी मामले में मीडिया रिपोर्टिंग न तो चरम पर होनी चाहिए और न ही उस पर प्रतिबंध लगाना चाहिए। न ही ऐसा हो कि कुछ भी छाप दिया जाए। प्रेस स्वतंत्रता और मीडिया कवरेज के बीच संतुलन होना चाहिए। पीठ ने मीडिया रिपोर्टिंग को लेकर गाइडलाइंस के लिए अर्पणा भट्‌ट को न्यायमित्र नियुक्त किया था।

उच्चतम न्यायालय के समक्ष याचिकाकर्ता ने कहा था कि पटना हाईकोर्ट का आदेश मीडिया की अभिव्यक्ति के अधिकार और उनकी लिखने की आजादी का उल्लंघन करता है। मीडिया पर मामले के प्रसारण व प्रकाशन पर पाबंदी लगाना गलत है। उच्चतम न्यायालय भी इस मामले को देख रहा है।

उसने भी इस मामले में ऐसी कोई रोक नहीं लगाई। पूर्ण रूप से कवरेज पर पाबंदी लगाना सही नहीं है। इस आदेश को हटाया जाना चहिए। उल्लेखनीय है कि हाईकोर्ट ने 23 अगस्त को अपने आदेश में मुजफ्फरपुर कांड से जुड़ी खबरों के प्रकाशन व प्रसारण पर रोक लगा दी थी।

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