बलात्कार से गर्भवती हुई नाबालिग लड़की के पिता पर दावत देने का दबाव

Update: 2017-10-21 10:09 GMT

गांव वालों को इससे मतलब नहीं है कि लड़की का बलात्कार हुआ है और उसका परिवार पीड़ित है, बल्कि वह इस खुशी में गुल हैं कि शादी से पहले लड़की गर्भवती हो गयी है और उन्हें दावत चाहिए 

जनज्वार। दुनिया में यौन शोषण के खिलाफ #Metoo कैंपेन की आंधी आई हुई है, भारत में भी मध्यवर्गीय महिलाएं इस कैंपेन में जुड़ रही हैं, लेकिन देहाती और गरीब समाज की तस्वीर कुछ अलग ही है, वहां अभी भी औरतों के साथ अमानवीयता नफरत की चीज नहीं, परंपरा की मिसाल बनी हुई है।

ओडिशा के कोरापुट जिले के एक गांव में नाबालिग आदिवासी लड़की से बलात्कार के बाद एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है। 9वीं पढ़ले वाली नाबालिग के साथ स्कूल हेडमास्टर द्वारा बलात्कार किए जाने के बाद अब उसकी खुशी में दावत मांगी जा रही है। पीड़ित लड़की के परिवार को दावत न दे पाने के कारण सामाजिक बहिष्कार झेलना पड़ रहा है। अस्पताल ने भी गर्भपात से हाथ खड़े कर लिए हैं।

गौरतलब है कि कोरापुट जनपद के नंदापुर ब्लॉक स्थित बनदा इलाके के आदिवासी आवासीय स्कूल के हेडमास्टर विधुभूषण ने नवीं कक्षा में पढ़ने वाली बच्ची का लगातार बलात्कार किया, जिसके बाद वह 5 महीने के गर्भ से है। हालांकि इस मामले में आरोपी हेडमास्टर को गिरफ्तार कर लिया गया।

एक तरफ जहां नाबालिग लड़की के बलात्कार के बाद 5 महीने के गर्भवती होने से परिवार बहुत परेशान है, वहीं इन दुखों को बढ़ाते हुए ग्रामीण पीड़िता के पिता से दावत की मांग कर रहे हैं। ग्रामीण कहते हैं कि चूंकि उनकी बेटी शादी से पहले गर्भवती है, इसलिए पीड़िता के पिता को अपने समुदाय में दावत देनी चाहिए।

बलात्कार पीड़ित नाबालिग लड़की के पिता दुखित होकर कहते हैं, "मैं दिहाड़ी मजदूर हूं, अपने समुदाय की दावत के लिए मुझे कम से कम 30 हजार रुपए की जरूरत पड़ेगी। मेरे लिए इतनी बड़ी रकम इकट्ठा करना बहुत मुश्किल है। हेडमास्टर तो बेटी को गर्भवती कर गया, मगर उसके स्वास्थ्य की नियमित जांच के लिए भी मुझे पैसे की जरूरत पड़ेगी।'

मीडिया खबरों के मुताबिक जिला प्रशासन ने अभी तक पीड़ित परिवार की कोई आर्थिक मदद नहीं की है। जिला कल्याण अधिकारी जगन्नाथ सोरेन इस मामले में कहते हैं कि जांच में आवासीय स्कूल के मेट्रन की संलिप्तता भी सामने आई है। हमें पीड़ित परिवार की चिंता है, जिला प्रशासन परिवार की जरूर कुछ मदद करेगा, लेकिन '2017 ओडिशा मुआवजा स्कीम' की पीड़िता तभी हकदार हो पाएगी जब जिलाधिकारी संस्तुति देंगे कि बलात्कार हुआ है।

अधिकारी यह पेंच इसलिए बता रहे हैं कि क्योंकि अबतक हुई सरकारी जांच में इसे बलात्कार न बता 'अवैध संबंध' बताया गया है। इसीलिए जिला कल्याण अधिकारी सोरेन कहते हैं कि चूंकि विभागीय जांच में हेडमास्टर के साथ लड़की के अवैध संबंधों की बात सामने आई है, इसलिए इसे बलात्कार या यौन शोषण का मामला नहीं कहा जा सकता।

पीड़ित लड़की के पिता ने हेडमास्टर बिधुभूषण नायक पर बलात्कार का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज करायी है। पीड़िता के पिता कहते हैं कि हेडमास्टर ने डरा—धमकाकर और जबर्दस्ती लड़की से शारीरिक संबंध बनाए और जब लड़की गर्भवती हो गई तो गर्भपात कराने से भी इंकार किया।

बलात्कार पीड़िता के लिए मुआवजे की शर्त
गौरतलब है कि ओडिशा में बलात्कार पीड़ितों के लिए बनी एक योजना के मुताबिक 3 लाख रुपए की वित्तीय सहायता देने का प्रावधान है, मगर अब जबकि जांच में ही इसे बलात्कार नहीं माना जा रहा तो पीड़िता को यह रकम भी नहीं मिलेगी। जिला कल्याण अधिकारी सोरेन कहते हैं कि बलात्कार का मामला न होने से हम नाबालिग लड़की के लिए इस योजना के तहत वित्तीय सहायता की अनुशंसा नहीं कर सकते। हां अगर जिलाधिकारी चाहें तो इस पर कोई फैसला जरूर ले सकते हैं। (फोटो — प्रतीकात्मक) 

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