देश की 75 फीसदी आबादी के हिस्से सिर्फ 5 प्रतिशत आएगा मोदी सरकार के 20 लाख करोड़ के आर्थिक पैकेज से
मोदी सरकार ने कुल मिलाकर देश की 75 प्रतिशत आबादी के लिए 20 लाख करोड़ के वित्तीय पैकेज में उनका हिस्सा मात्र 5 प्रतिशत यानी एक लाख करोड़ रुपये से भी कम रखा है....
मुनीष कुमार, स्वतंत्र पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता
जनज्वार। 12 मई को देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कोरोना महामारी से निपटने के लिये 20 लाख करोड़ रु. के वित्तीय राहत पैकेज की घोषणा की है। उन्होंने बताया कि ये धनराशि देश के सकल घरेलू उत्पाद के 10 प्रतिशत के बराबर है।
प्रधानमंत्री की घोषणा के बाद से ही देश में ये सवाल उठने लगा है कि इस 20 लाख करोड़ रुपये की धनराशि में देश के मजदूर-किसान व आम लोगों को कितना हिस्सा मिलेगा। इस 20 लाख करोड़ के वित्तीय पैकेज को सरकार द्वारा किस तरह खर्च किया जाएगा।
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इसको लेकर देश की वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने 13 मई व 14 मई को प्रेस वार्ता में इसका कुछ खुलासा किया है। 13 मई की पत्रकार वार्ता में उन्होंने बताया है कि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के अंतर्गत देश के 41 करोड़ बैंक खातों में सरकार ने अब तक 52606 करोड़ रु. ट्रांसफर किए हैं।
खाद्य सुरक्षा योजना के अंतर्गत 80 करोड़ लोगों को 3 माह के लिए मुफ्त व सस्ती दरों पर गेहूं व चावल दिये गये हैं। जिस पर कुल 18 हजार करोड़ रुपये की सरकार द्वारा सब्सिडी दी गयी है। उन्होंने बताया कि 1 किलो प्रति परिवार निःशुल्क दाल देने के लिये सरकार द्वारा 269 करोड़ रुपये खर्च किये गये।
सरकार की 20 लाख करोड़ की घोषणाओं में अब तक जनता को क्या दिया गया है इसे जानने के लिए देखें तालिका।
प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के अंतर्गत वित्तीय पैकेज में शामिल देश के किसान, मजदूर, महिलाएं व स्वास्थ्य कर्मचारी आदि की संख्या कुल मिलाकर लगभग 100 करोड़ के आसपास है। सरकार द्वारा उनके लिए लगभग 98071 करोड़ रुपये खर्च करने का प्रावधान किया गया है। 100 करोड़ लोगों में इसका औसत निकाला जाए तो ये औसत प्रति व्यक्ति 980 रुपये का ही है। मतलब साफ है कि सरकार ने कुल मिलाकर देश की 75 प्रतिशत आबादी के लिए 20 लाख करोड़ के वित्तीय पैकेज में उनका हिस्सा मात्र 5 प्रतिशत (एक लाख करोड़ रुपये से भी कम) रखा है।
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वित्तीय पैकेज में प्रधानमंत्री किसान योजना के अंतर्गत 8.7 करोड़ किसानों को 2 हजार रुपये देने की घोषणा की गयी है। सरकार के अनुसार वह इस मद में 8.17 करोड़ किसानों को 16394 करोड़ रुपये हस्तांतरित कर चुकी है। सरकार की ये घोषणा भारत सरकार द्वारा 2018 में घोषित किसान सम्मान निधि योजना का ही एक हिस्सा है, जिसके तहत पिछले वर्ष सरकार ने देश के किसानों को साल में 3 बार 2 हजार रुपये देने की घोषणा की थी।
अतः किसानों को दिये जाने वाले इस पैसे को वित्तीय पैकज का हिस्सा बताना देश के किसानों के साथ एक धोखा है। इसी तरह से मनरेगा योजना देश में वर्ष 2008 से चल रही है। अतः इस योजना को भी वित्तीय पैकेज का हिस्सा बताना मोदी सरकार द्वारा जनता के साथ विश्वासघात है।
इस पैकेज में सरकार ने पूंजीपतियों को सौगात देते हुए निजी क्षेत्र की कम्पनियों के लिए श्रमिकों को दिये जाने वाले पीएफ की राशि को 12 प्रतिशत से घटाकर 10 कर दिया है। 100 से कम श्रमिकों वाली यूनिटों में श्रमिकों को दी जाने वाली पीएफ राशि का भुगतान अगले 3 माह तक नियोक्ताओं की जगह सरकार करेगी।
देश के गुजरात, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र आदि राज्य श्रमिकों से 8 घंटे की जगह 12 घंटे का कार्य दिवस का कानून बना चुके हैं। मोदी सरकार के संरक्षण में देश शेष राज्य भी अब इसी ओर बढ़ रहे हैं।
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20 लाख करोड़ का वित्तीय राहत पैकेज की सच्चाई आने वाले चन्द रोज में ही जनता के सामने होगी। मोदी सरकार का 20 लाख करोड़ का वित्तीय पैकेज देश की 100 करोड़ जनता के लिए एक एक बार फिर एक जुमला ही बनकर रह जाएगा।
(मुनीष कुमार समाजवादी लोक मंच के संयोजक हैं।)