मुस्लिम होने की वजह से गर्भवती को भर्ती करने से डॉक्टर ने किया इनकार, एंबुलेंस में हुई नवजात की मौत
परिजन दर्द से तड़प रही महिला को डॉक्टरों द्वारा मुस्लिम होने के कारण भर्ती करने से इंकार करने पर दूसरे अस्पताल में ले गए, मगर एंबुलेंस में ही डिलीवरी हो गयी और नवजात दुनिया देखने से पहले ही डॉक्टरों की असंवेदनशीलता के कारण अलविदा कहकर चला गया....
जनज्वार। कोरोना की भयावहता से पहले से ही लोगों में दहशत का माहौल है, उस पर आप मुस्लिम हों तो मुश्किलें और ज्यादा बढ़ जाती हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि कोरोना से जंग लड़ने के बजाय देश में माहौल हिंदू-मुस्लिम का कर सांप्रदायिकता फैलायी जा रही है। ऐसा ही एक मामला राजस्थान के भरतपुर में सामने आया है, जहां एक गर्भवती महिला को सिर्फ इसलिए अपना नवजात दुनिया में आने से पहले ही गंवा देना पड़ा, क्योंकि वह मुस्लिम थी।
जानकारी के मुताबिक गर्भवती महिला को भरतपुर के अस्पताल के डॉक्टरों ने इसलिए भर्ती नहीं किया क्योंकि वह मुस्लिम थी। यह किसी प्राइवेट अस्पताल का नहीं बल्कि भरतपुर के सरकारी अस्पताल का मामला है। परिजन दर्द से तड़प रही महिला को डॉक्टरों द्वारा मुस्लिम होने के कारण भर्ती करने से इंकार करने पर दूसरे अस्पताल में ले गए, मगर एंबुलेंस में ही डिलीवरी हो गयी और नवजात दुनिया देखने से पहले ही डॉक्टरों की असंवेदनशीलता के कारण इसे अलविदा कहकर चला गया।
जब भरतपुर के सरकारी अस्पताल में डिलीवरी कराने पहुंची प्रसूता को चिकित्सकों ने अस्पताल में अंदर नहीं घुसने दिया और उससे कह दिया कि तुम मुस्लिम हो, इसलिए जयुपर जाओ और उसे गेट से ही जयुपर के लिए रेफर कर दिया, तो वो जयपुर के लिए निकले, मगर अस्पताल पहुंचने से पहले ही रास्ते में डिलीवरी हो गई और उसके बच्चे की भी मौत हो गई।
इस बात को लेकर कैबिनेट मंत्री विश्वेंद्र सिंह ने कहा कि अस्पताल की यह लापरवाही शर्मनाक और अक्षम्य है। राज्य में धर्मनिरपेक्ष राज है, साथ ही सरकार भी संवेदनशील है, इसलिए चिकित्सा राज्य मंत्री को इस मामले को संज्ञान में लेकर कार्रवाई करनी चाहिए।
राजस्थान के पर्यटन व देवस्थान मंत्री विश्वेन्द्र सिंह ने यह भी कहा कि ताज्जुब की बात तो यह है कि राजस्थान के चिकित्सा राज्यमंत्री डॉ. सुभाष गर्ग भरतपुर शहर से विधायक हैं। भरतपुर जनाना अस्पताल का यह मामला बेहद शर्मनाक है। हमारी सरकार धर्म निरपेक्ष है। संवेदनशील है। निश्चित रूप से पूरे मामले से चिकित्सा मंत्री को अवगत करवाया जाएगा और चिकित्सक के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
नगर थाना इलाके के गांव निवासी पीड़ित महिला के पति इरफान खान का इस मसले पर कहना है कि मेरी पत्नी को दर्द शुरू होने पर हम उसे सीकरी अस्पताल लेकर पहुंचे, जहां से उसे जनाना अस्पताल रेफर कर दिया गया, मगर वहां चिकित्सकों ने कह दिया कि आप मुस्लिम हो, इसलिए इलाज यहा नहीं बल्कि जयुपर में होगा और हमको जयपुर भेज दिया। रास्ते में ही मेरी बीवी की डिलीवरी हो गई और मेरे बच्चे की मौत भी। मेरे और मेरी पत्नी के साथ अत्याचार हुआ है और आरोपी चिकित्सक के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।'
मीडिया में आ रही खबरों के मुताबिक भरतपुर के जनाना अस्पताल से रैफर किए जाने के बाद पीड़िता को उसके परिजन पैदल ही कुछ दूर तक अस्पताल परिसर से बाहर लेकर गए। फिर उन्होंने किसी को फोन करके एंबुलेंस बुलाई। एंबुलेंस से जयपुर ले जाते हुए रास्ते में ही डिलीवरी हो गयी। साथ में मौजूद रिश्तेदार महिला ने जब बच्चे को संभाला तो वह मृत था। इसके बाद परिजन वापस उसे जनाना अस्पताल में लेकर आए, तब बच्चे को मरा हुआ देखने के बाद डॉक्टरों ने पीड़िता को भर्ती करके उसका इलाज शुरू किया कि कहीं उसे भी कुछ न हो जाये।
पीड़ित महिला के पति का एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें वह अपने बच्चे की मौत के लिए अस्पताल को जिम्मेदार ठहराते हुए डॉक्टरों पर कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहा है।