प्राइवेट स्कूलों ने फीस बढ़ोतरी न करने के सरकार के आदेश को हाईकोर्ट में दी चुनौती

Update: 2020-05-21 09:46 GMT

कोरोना संकट के बीच हरियाणा के स्कूल फीस बढ़ाना चाह रहे हैं। सरकार ने आदेश दिये थे कि फीस न बढ़ायी जाये इस आदेश के खिलाफ स्कूल संचालक अब हाईकोर्ट पहुंच गये हैं। उन्होंने तर्क दिया कि पहले ही स्कूलों में खर्च ज्यादा हो रहा है। इसलिये फीस बढ़ाने की इजाजत दी जाये...

जनज्वार ब्यूरो चंडीगढ़। ट्यूशन फीस के अलावा किसी भी तरह के फंड न लेने और फीस बढ़ोतरी न करने के हरियाणा सरकार के आदेश को निजी स्कूलों ने पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट में चुनौती दी है। हरियाणा विद्यालय संघ ने अपने वकील पंकज मैनी के माध्यम के हाईकोर्ट याचिका दायर कर राज्य सरकार के 12 अप्रैल 2020 से 8 मई 2020 तक जारी उन सभी आदेश पर रोक लगाने की मांग की है कि जिसमें निजी स्कूलों को फीस ने बढ़ाने के आदेश दिए गए हैं। इसके साथ ही राज्य सरकार ने स्कूलों से केवल ट्यूशन फीस लेने का आदेश दिया है,लेकिन अन्य किसी तरह का फंड वे नहीं ले सकते।

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याचिका में बताया गया है कि स्कूल खुलने के बाद ढांचागत सुविधाओं बच्चों की सुरक्षा,स्टाफ व स्कूल को सैनिटाइज करने पर काफी खर्च करना पड़ेगा। कोरोना के चलते मार्च माह के बाद स्कूल को बच्चों से फीस भी नहीं आई। जिस कारण काफी स्कूल आर्थिक संकट में हैं। सरकार स्कूलों को कोई छूट या आर्थिक सहायता देने के बदले उन पर बंदिशें लगा कर नियमों के खिलाफ काम कर रही है। सरकार ने डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट के तहत फंड न लेने और फीस न बढ़ाने के आदेश जारी किए हैं जो कानूनन अनुचित है।

संघ के वकील ने कहा है कि स्कूल हरियाणा शिक्षा नियम से चलते हैं न कि डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट के तहत। याचिका में यह भी बताया गया कि सरकार के आदेश उसके खुद के नियमों के खिलाफ हैं। सभी स्कूलों को एक जनवरी तक शिक्षा विभाग को अपना फार्म भरकर देना होता है। जिसमें स्कूल की आर्थिक स्थिति, जरूरत व अन्य जानकारी होती है।

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स्कूलों ने फार्म छह में नए सत्र से फीस बढ़ाने की योजना बताई थी। जिसे सरकार ने स्वीकार कर लिया था। लेकिन अब सरकार इस तरह के आदेश जारी कर अपने आदेश की अवेहलना कर रही है। यह याचिका ई फाइलिंग के माध्यम से दायर कर दी गई है और हाईकोर्ट इस पर वीरवार को सुनवाई करेगा।

Full View दूसरी ओर पेरेंट्स यूनिटिड ग्रुप ने अभियान चलाया कि यदि स्कूल नहीं तो फीस नहीं। इस ग्रुप में यमुननगर, अंबाला, करनाल के अभिभावकों को जोड़ा गया है। गुड़गांव के निजी कंस्ट्रक्शन कंपनी में काम करने वाले अभिभावक और नो फीस नो स्कूल मुहिम चलाने वाले अनुज सैनी ने बताया कि सबसे पहले तो स्कूल प्रबंधन को चाहिये कि वह अपनी आमदनी और खर्चो का ब्यौरा अपनी वेबसाइट पर डाले। इसके बाद ही पता चल पायेगा कि किस स्कूल की आमदनी कितनी है और कौन सा स्कूल घाटे में जा रहा है। उन्होंने कहा कि क्योंकि स्कूल प्रबंधन एकजुट है, लेकिन अभिभाव डर के मारे कुछ बोलते नहीं है। इसका फायदा स्कूल प्रबंधन उठाते हैं। इस बार भी यहीं हो रहा है। उन्होंने बताया कि लेकिन इस बार अभिभावक बहुत ही आर्थिक संकट में हैं। पैसे का सख्त अभाव है।ऐसे में कैसे फीस दे सकते हैं।

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