दुष्कर्म के विरोध में हजारों आदिवासी सड़कों पर

Update: 2017-07-15 15:08 GMT

रायगंज, पश्चिम बंगाल। पश्चिम बंगाल के रायगंज में चार आदिवासी महिलाओं के साथ हुए दुष्कर्म के विरोधस्वरूप 10 हजार आदिवासी शुक्रवार 14 जुलाई को सड़कों पर उतर गए। आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग कर रहे आदिवासी रैली में तीर—धनुष के साथ अपना विरोध दर्ज कर रहे थे।

इसी दौरान आदिवासी उग्र हो उठे और उन्होंने कई दुकानों में तोड़फोड़ करने के साथ ही आग के हवाले भी कर दिया। आंदोलनकारियों ने बस स्टैंड स्थित आइटीटीयूसी ऑफिस को भी जला दिया और एक गोदाम को भी आग के हवाले कर दिया गया है. इस दौरान बड़ी संख्या में गाड़ियां भी आंदोलनकारियों के गुस्से में स्वाहा हो गयीं।

पुलिस के मुताबिक रायगंज शहर के विद्रोही मोड़ से लेकर सिलीगुड़ी मोड़ तक आंदोलनकारियों से पटा इलाका किसी रणक्षेत्र जैसा लग रहा था। जगह—जगह लगायी गई आग के बाद दो दमकल वाहन मौके पर पहुंचे और आग पर किसी तरही काबू पाया गया।

आदिवासियों का भीषण प्रतिरोध आतंकित करने वाला था। इस दौरान जिनके बच्चे स्कूल गए थे, वे अभिभावक समय से पहले ही बच्चों को सुरक्षित ढंग से घर लाने के लिए स्कूल पहुंच गये, ताकि वो किसी दुर्घटना की जद में न आ जाएं। कई स्कूलों ने समय से पहले ही छुट्टी कर दी.

इस तनावपूर्ण माहौल को देखकर स्थानीय लोगों में पुलिस के खिलाफ भारी गुस्सा भर गया है. लोगों के मुताबिक पुलिस ने पहले ही हालात पर काबू पाने की कोशिश की होती, तो मामला इतना उग्र न हुआ होता.

हालांकि रायगंज के विधायक मोहित सेनगुप्ता, रायगंज नगरपालिका के चेयरमैन संदीप विश्वास भी घटनास्थल पर पहुंचे, मगर इस घटना ने लोगों को इतनी दहशत में डाल दिया कि पूरा शहर सुनसान पड़ा हुआ है, सभी दुकानें बंद हैं. रोहित सेनगुप्ता के मुताबिक पुलिस को इस रैली के विषय में पहले से ही खबर थी।

अब घटना से हुए नुकसान की भरपाई और सुरक्षा के मद्देनजर घटना के बाद रायगंज शहर व्यवसायी समिति ने अनिश्चितकालीन बंद बुलाया है.

इधर, विभिन्न आदिवासी संगठनों के सदस्यों ने तांडव करने के बाद रायगंज के सिलीगुड़ी मोड़ इलाके में एनएच 34 को जाम कर दिया. इस जाम की वजह से सड़क पर वाहनों की लंबी कतार लग गयी. तोड़फोड़ के विरोध में बाजार में कई जगहों पर व्यवसायियों ने भी सड़क जाम की. आदिवासी नेताओं का कहना है कि दोषियों को सजा की मांग को लेकर हमने जुलूस निकाला है. पुलिस अधीक्षक अमित कुमार भरत राठौर ने कहा कि दुष्कर्म के तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है. बाकी की तलाश जारी है. आदिवासियों संगठनों को हिंसा का सहारा नहीं लेना चाहिए था.

गौरतलब है कि रविवार 8 जुलाई को रायगंज थाने से कुछ ही दूरी पर स्थित बस स्टैंड के विश्रामगृह से एक शिक्षिका समेत चार आदिवासी महिलाओं को बंदूक की नोक पर अपने कब्जे में कर लिया गया। उन्हें एक घर में ले जाकर उनके साथ दुष्कर्म किया गया। ढाई घंटे तक इन महिलाओं को नारकीय यातना झेलनी पड़ी, जिसके बाद दो नाबालिग पीड़ित लड़कियां लापता थीं. पीड़ित महिलाओं की तरफ से 6 लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी।

जांच में जुटी पुलिस ने अब तक तीन बदमाशों को गिरफ्तार किया है. मालदा के गाजोल से दोनों आदिवासी लड़कियों को बरामद कर लिया गया. इस घटना के विरोध में रायगंज के चंडीतला मोड़ से आदिवासियों का जुलूस रायगंज बस स्टैंड तक पहुंचा और जुलूस में शामिल तीर-धनुष से लैस हजारों आदिवासियों ने जमकर तांडव किया.

इस हिंसक कार्रवाई में रायगंज बस स्टैंड के आसपास का क्षेत्र जलकर राख हो गया है. हजारों की संख्या में प्रदर्शनकारियों ने कई मोटरसाइकिलों और साइकिलों को जला दिया. बस स्टैंड के आसपास की दुकानों में जमकर तोड़फोड़ की गयी. ट्रैफिक बूथ को भी तोड़ दिया गया, जिसके चलते शहर में आतंक का माहौल व्याप्त हो गया।

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