इलाहाबाद के रोशनबाग में CAA-NRC खिलाफ महिलाओं का 7 दिनों से 24 घंटे धरना-प्रदर्शन जारी

Update: 2020-01-19 02:30 GMT

अब तक पुलिस कर चुकी 200 लोगों पर केस दर्ज, मगर बिना डरे शामिल हो रही हैं बड़ी तादाद में महिलायें, भयंकर जाड़े—पाले का भी आंदोलन पर नहीं पड़ रहा कोई असर...

जेपी सिंह की रिपोर्ट

जनज्वार। नागरिकता संशोधन कानून CAA-NRC के विरोध में दिल्ली के शाहीन बाग और देश के अन्य इलाकों की तरह प्रयागराज के रोशनबाग में भी महिलाओं का धरना प्रदर्शन जारी है। धरना प्रदर्शन कर रहीं महिलाएं रविवार 12 जनवरी से लगातार धरनास्थल पर डटी हैं। काफी कोशिशों के बाद भी महिलाएं वह धरना खत्म करने को राजी नहीं हो रही हैं।

विवार 12 जनवरी के अपराह्न तीन बजे आसपास के इलाकों से जुटीं 100 से ज्यादा महिलाओं ने सीएए व एनआरसी के विरोध में रोशनबाग स्थित मंसूर अली पार्क में धरना प्रदर्शन शुरू किया था। सूचना पर पुलिस ने मौके पर पहुंचकर उन्हें हटाने की कोशिश की, लेकिन महिलाएं मानने को तैयार नहीं हुईं। भीड़ बढ़ती देख देर रात पीएसी भी बुलाई गई, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।

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छोटे-छोटे बच्चों को लेकर धरना प्रदर्शन कर रहीं महिलाएं पिछले छह दिन से मंसूर अली पार्क में डटी हुई हैं। प्रयागराज में लगातार सात दिनों से धरने पर बैठी महिलाओं के खिलाफ पुलिस ने केस दर्ज किया है। प्रदर्शन में लगातार आजादी के नारे लग रहे हैं। अब तक पुलिस लगभग 200 लोगों पर केस दर्ज कर चुकी है, मगर बिना डरे बड़ी तादाद में महिलायें आंदोलन में शामिल हो रही हैं।

पुलिस ने धारा-144 के उल्लंघन में 200 अज्ञात प्रदर्शनकारियों के खिलाफ केस दर्ज किया है। मुकदमे के बाद भी प्रदर्शनकारी मंसूर अली पार्क से हटने का नाम नहीं ले रहे हैं। वहीं प्रदर्शनकारी महिलाओं का कहना है कि भाजपा सरकार द्वारा भारत की जनता पर थोपा गया यह कानून किसी भी रूप में स्वीकार्य नहीं है और सरकार इसे वापस ले।

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मंसूर अली पार्क में महिलाओं के विरोध-प्रदर्शन को समर्थन देने के लिए बुधवार 15 जनवरी को सपा के पूर्व सांसद और राज्यसभा सदस्य रेवती रमण प्रदर्शन स्थल पर पहुंचे। इसके अलावा सीपीएम की सुभाषिनी अली, कांग्रेस के उत्तराखंड प्रभारी पूर्व विधायक भी विरोध-प्रदर्शन को समर्थन देने पहुंचे। रेवती रमण ने कहा कि हम इस देश के नागरिक हैं। सपा आप लोगों के साथ हैं। सीएए और एनआरसी जैसे काले कानून को सरकार को वापस लेना पड़ेगा।

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प्रयागराज पुलिस की ओर से प्रदर्शनकारियों को हटने की अपील की जा रही है, लेकिन सभी लोग अभी भी डटे हुए हैं। मंसूर पार्क में प्रदर्शनकारियों के लिए लंगर चल रहा है। धरनास्थल पर जुटीं महिलाओं का कहना है कि एनआरसी लागू होने के बाद असम में जिस तरह के हालात पैदा हुए, उससे साफ है कि इसे लागू करने वालों की नीयत सही नहीं है। उनका विरोध न किसी पार्टी से है और न ही सरकार से। उनका विरोध सिर्फ इस बात का है कि हिंदुस्तान के धर्मनिरपेक्ष स्वरूप को बिगाड़ने की कोशिशें की जा रही हैं।

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गौरतलब है कि नागरिकता संशोधन कानून CAAऔर नेशनल सिटीजन रजिस्टर NRC के खिलाफ राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन के बीच दिल्ली की शाहीन बाग़ की महिलाओं ने इस आन्दोलन को ऐतिहासिक बना दिया है। यहां महिलाओं की अगुवाई में नागरिकता संशोधन एक्ट और नेशनल रजिस्टर फॉर पॉपुलेशन के खिलाफ बीते एक महीने से दिल्ली के शाहीन बाग में विरोध प्रदर्शन चल रहा है। वहीं इस आंदोलन से प्रेरणा लेकर इलाहाबाद का रोशन बाग़ भी अब इस आंदोलन को ऐतिहासिक बना रहा है।

Full View बाग़, मंसूर पार्क इलाहाबाद में हज़ारों की तादाद में औरतें वहां इस कड़ाके की सर्दी में इंकलाब ज़िन्दाबाद के नारे लगा रही हैं। ये वो औरतें हैं जो सात परदों से निकल कर बाहर आयीं हैं। इन्हें ना सर्दी का एहसास है ना गर्मी का। शहर के कई जनवादी संगठनों के लोग अपना समर्थन देने रोशन बाग़ पहुंच रहे हैं, कई बार ऐसा हुआ, उन्होंने कोई ऐसा नारा लगवाया वो औरतों को नहीं समझ आया, लेकिन “आजादी” का नारा ऐसा ज़ुबान पर चढ़ा है कि, नहीं समझ में आने वाले नारे का जवाब भी उन्होंने पूरे जोश के साथ दिया “आज़ादी”।

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