छत्तीसगढ़ में 15 दिनों में क्वारंटीन सेंटरों में बदइंतजामी से हुईं 1 दर्जन मौतें, सवालों में बघेल सरकार
विपक्षी भाजपा ने लगाया आरोप कि भूपेश बघेल के राज में कोरोना का संक्रमण रोकने के लिये बनाये गये क्वारंटीन सेंटर में प्रवासी मजदूरों के लिए ना तो खाने-पीने की व्यवस्था है और ना ही स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध हैं, सबकुछ चल रहा है भगवान भरोसे...
छत्तीसगढ़ से मनीष कुमार की रिपोर्ट
जनज्वार। छत्तीसगढ़ में कोरोना के मामले हालांकि और राज्यों से कम हैं, मगर यह प्रशासनिक बदइंतजामी के कारण चर्चा में है। अब तक क्वारंटीन सेंटरों की बदहाली के कारण ही कई प्रवासियों की मौत हो चुकी है।
छत्तीसगढ़ में क्वारंटीन सेंटरों की बदहाली और बदइंतजामी की बात तब सुर्ख़ियों में आयी जब 17 मई को मुंगेली जिले के एक क्वारंटीन सेंटर में जगह न होने के कारण जमीन पर सोये युवक की सर्पदंश से मौत हो गयी। यह बात जब सोशल मीडिया पर आयी तब क्वारंटीन सेंटर्स की पोल खुलनी शुरू हुयी और तब से अब तक प्रदेश के दर्जनों जिलों से इस तरह की कई खबरें आ चुकी हैं।
इन मौतों पर विपक्ष सत्ताधारी कांग्रेस पर हमलावर हो गया है। भाजपा विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने प्रेस कांफ्रेंस कर छत्तीसगढ़ सरकार के क्वारंटीन सेंटर्स के बदहाली पर सवाल उठाते हुए आरोप लगाया कि 'राज्य में कोरोना का संक्रमण रोकने के लिये बनाये गये कोरेन्टाइन सेंटर में ना तो खाने-पीने की व्यवस्था है और ना ही स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध हैं। सबकुछ भगवान भरोसे चल रहा है।'
इस बीच आत्महत्याओं के कई मामले सामने आये हैं। शासनिक लापरवाही के कारण असमय ही काल के गाल में समाने की घटनायें भी सामने आयी हैं। मात्र 15 दिन के भीतर ही यहां हुईं 1 दर्जन मौतों पर नज़र डालें तो यह घटनायें कुछ इस तरह हैं —
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— 14 मई को रायगढ़ ज़िले के सारंगढ़ क्वारंटीन सेंटर में 27 साल के अर्जुन निषाद ने कथित रूप से फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी।
— 17 मई को मुंगेली ज़िले में किरना गाँव के क्वारंटीन सेंटर में 31 वर्षीय योगेश वर्मा की साँप के काटने से मौत हो गई। योगेश पुणे से एक हज़ार किलोमीटर से अधिक की दूरी पैदल तय करके अपने गाँव लौटे थे, जिन्हें गाँव के क्वारंटीन सेंटर में रखा गया था।
— 18 मई को बालोद ज़िले के परसवाली क्वारंटीन सेंटर में 29 साल के सूरज यादव ने कथित रूप से फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली।
— राजनांदगांव ज़िले के सीताकसा कोरेन्टाइन सेंटर में 28 साल के बुधारु राम की सर्पदंश से मौत हो गई।
— 19 मई को बलरामपुर ज़िले के सेमली लेंजुआ-पारा क्वारंटीन सेंटर में ड्यूटी कर रहे शिक्षक सियारत भगत की हार्टअटैक से मौत हो गई।
— 20 मई को बेमेतरा ज़िले के सेमरिया क्वारंटीन सेंटर में 35 वर्षीय राजू ध्रुव की मौत हो गई।
— 21 मई को जांजगीर-चांपा ज़िले के वर्षीय बीरबल माहेश्वरी ने मुलमुला क्वारंटीन सेंटर में दम तोड़ दिया।
— 23 मई को मुंगेली ज़िले के सीतापुर क्वारंटीन सेंटर में 22 वर्षीय एक श्रमिक पुनीत राम टंडन की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई।
— 24 मई को बालोद ज़िले के पचेड़ा क्वारंटीन सेंटर में 20 वर्षीय अनूपा नामक एक युवती की इलाज के दौरान मौत हो गई।
—25 मई की अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज के टीबी वार्ड में करमचन्द गिरी ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। दिल्ली से लौटे इस युवक को क्वारंटीन सेंटर में भेजा गया था, जहाँ तबीयत ख़राब होने के बाद उसे अंबिकापुर भेजा गया था। फिलहाल इसका शव परिवार ने लेने से इंकार कर दिया और शव का पोस्टमार्टम करने से चिकित्सक ने भी मना कर दिया है।
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— 27 मई को बलरामपुर जिले के क्वारंटीन सेंटर में पदस्थ एक आरक्षक महेश सिंह ने खुद को गोली मार ली, फिलहाल उनकी स्थिति गंभीर बनी हुयी है, आरक्षक को अंबिकापुर जिला अस्पताल रेफर किया गया है।
इसके अलावा छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले में क्वारंटीन सेंटर में बद्तर स्थिति में रह रहे युवक ने जब सेंटर की बदहाली जैसे खाने में कीड़े, गंदगी से भरे शौचालय, बेडरूम में गंदे बेडशीट का वीडियो बनाकर सोशल मीडिया में वायरल किया तो बलरामपुर जनपद के सीईओ विनय गुप्ता, तहसीलदार सबाब खान ने क्वारंटीन किये गये युवक की बेल्ट से पिटाई कर दी। युवक को इतनी बुरी तरह से पीटा गया था कि पीठ की चमड़ी तक छिल गयी।
मामला गरमाया तो भाजपा की केंद्रीय राज्यमंत्री रेणुका सिंह दिल्ली से बलरामपुर पहुंची और दोनों अधिकारियों को सूली पर चढ़ा देने की बात कहते हुए अंधेरे कमरे में बेल्ट उतारकर पीटने की बात कह डाली। गौरतलब है कि रेणुका सिंह प्रदेश की आदिवासी मामलों के साथ तेजतर्रार महिला नेता के तौर पर जानी जाती हैं। आरोपी अधिकारियों पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
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इधर कवर्धा जिले के क्वारंटीन सेंटर में प्रवासी मजदूरों को अख़बार में खाना खिलाने की घटना ने हर व्यक्ति को झकझोर कर रख दिया। अख़बार में खाना परोसने पर दाल चावल से अलग होकर जिस तरह ज़मीन पर बह गया, उसने सारी प्रशासनिक व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिये हैं, यह भी कि मजदूर शासन-प्रशासन के लिए कोई मायने नहीं रखते।
इतना ही नहीं अम्बिकापुर के कोविड वार्ड में 20 मई को कोरोना पॉजिटिव महिला के साथ छेड़छाड़ की घटना ने प्रशासनिक सुरक्षा के दावों की पोल खोल कर रख दी। करोड़ों की लागत से जिला अस्पताल परिसर में बदहाल भवन को रिपेयर कर कोविड वार्ड बना दिया गया, पर सुरक्षा के नाम पर कोई इंतजाम नहीं किया गया है।
पूरे प्रदेश भर में क्वारंटीन सेंटरों में बदइंतजामी के कारण जिस तरह से मौतों की एक के बाद एक घटनायें सामने आ रही हैं, उसने कांग्रेसनीत भूपेश बघेल सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया है। यदि सरकार ने समय रहते ऐसी घटनाओं की तरफ ध्यान नहीं दिया तो भविष्य में कोरोना नहीं बल्कि प्रशासनिक लापरवाहियों से होने वाली मौतों का आंकड़ा बढ़ेगा।
बारिश और उमस से सांप के डसने से होने वाली घटनाएं छत्तीसगढ़ में हर साल होती हैं। कोरोना पॉजिटिव केसों की संख्या में जिस तरह हर रोज बढ़ोतरी हो रही है, उससे साफ है कि क्वारंटीन सेंटरों की जरूरत और ज्यादा बढ़ेगी। ऐसे में क्वारंटीन सेंटर ऐसी ही बदहाली में रहे तो आम लोगों की मुश्किलें भी बढ़ेंगी।