विदेश से लौटे हरियाणा के प्रधान सचिव धड़ल्ले से करते रहे बैठकें, कोरोना संक्रमण का बढ़ाया खतरा
विदेश से लौटे हरियाणा के प्रधान सचिव के घर के बाहर से न सिर्फ नोटिस फाड़ दिया गया, बल्कि उन्होंने सभी मानदंडों का उल्लंघन करते हुए अपने घर से नियमित रूप से अपने कार्यालय को संभाला...
मनोज ठाकुर की रिपोर्ट
जनज्वार। 20 मार्च को विदेश से लौटे हरियाणा के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी एवं प्रधान सचिव राजेश खुल्लर पर अपने सरकारी आवास पर लगातार मीटिंगें करने का आरोप है। साथ ही आरोप यह भी लगा कि विदेश से लौटने के बाद उनके घर के बाद भी क्वांरटीन नोटिस लगा था, मगर वह फट गया। इसी पर मीडिया ने उन्हें घेरा था। सवाल उठाया कि आखिर उनके आवास के बाहर से कैसे क्वांरटीन नोटिस फट गया, लोगों को कैसे पता चलेगा कि वह क्वांरटीन में हैं।
हालांकि यह सवाल उठने पर उनके सरकारी आवास के बाहर दोबारा पोस्टर लग चुका है, मगर नियमों की अनदेखी से अब तक जो लोग संक्रमित हुए होंगे उनका जवाबदेह कौन होगा।
कोरोनावायरस महामारी के मद्देनजर विदेश से आने वाले लोगों की तरह ही अनिवार्य प्रोटोकॉल के अनुसार, सेल्फ-क्वारंटाइन में रहने को कहा गया था।
सेक्टर-16 स्थित उनके सरकारी आवास के बाहर एक सूचना भी चस्पां की गई, जिसका शीर्षक है- 'कोविड-19 डू नॉट विजिट/यहां न आएं।' इसमें कहा गया, 'राजेश खुल्लर 20 मार्च से 3 अप्रैल तक क्वारंटाइन में हैं।' मगर न सिर्फ उनके घर के बाहर से नोटिस फाड़ दिया गया, बल्कि उन्होंने सभी मानदंडों का उल्लंघन करते हुए अपने घर से नियमित रूप से अपने कार्यालय को संभाला और वहां अपने कर्मचारियों व अन्य अधिकारियों को भी बुलाया।
गौरतलब है कि कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिये विदेश से आये हर व्यक्ति को खुद को क्वांरटिन में रखना होता है। मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव राजेश खुल्लर के घर के बाहर भी इसी तरह का नोटिस लगा था, लेकिन यह नोटिस बाद में फट गया। अब यह फटा कैसे, इसके फाड़ने वाले कौन है? क्या अधिकारी को इसका पता है, इस पर सवाल उठा।
राजेश खुल्लर हरियाणा सरकार में प्रधान सचिव हैं, इस वजह से उन्हें अधिकारियों की बैठकों के साथ साथ सीएम के साथ भी मिलना पड़ता है। इतना ही नहीं उनके आवास पर भी सरकारी कामकाज को लेकर नियमित तौर पर कर्मचारी व अधिकारी आते रहते हैं। ऐसे में नोटिस के फट जाने से बहुत से लोगों को यह जानकारी ही नहीं मिलेगी कि अधिकारी अभी क्वांरटिन में हैं।
क्योंकि कोरोना वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल रहा है, इस पर रोक लगाने के लिये देशभर में लॉकडाउन है। इसके चलते लोगों को खासी दिक्कतों का भी सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में यदि सरकार का एक सीनियर अधिकारी यदि ऐसा करता है तो इससे जनता के बीच में क्या संदेश जाएगा।
यूथ फॉर चेंज के प्रवक्ता प्रदीप चौहान ने इस मामले में बताया कि सवाल यह है कि प्रधान सचिव के आवास से नोटिस हटा कैसे? क्या नियम-कानून बड़े लोगों पर लागू नहीं होते ? क्या बड़े लोगों को नियम कानून का पालन करने की जरूरत नहीं है ? क्या सभी नियम कानून आम आदमी के लिए ही हैं?
उन्होंने कहा कि अब देखना यह है कि क्या सरकार प्रधान सचिव के खिलाफ कोई कार्रवायी करती है। या फिर उन्हें बड़ा अधिकारी समझ छोड़ दिया जाएगा?
इधर गैर सरकारी संगठन आकृति के अध्यक्ष अनुज सैनी ने कहा कि प्रधान सचिव के घर से नोटिस का हटना बेदह चिंता का विषय है, अब उनके घर पर दोबारा नोटिस लग चुका है, मगर अब तक वो जितने लोगों से मिले उनका क्या। अधिकारियों को तो इस तरह के कायदों का पालन कर खुद को एक उदाहरण की तरह प्रस्तुत करना चाहिए, जिससे बाकी के लोग भी उन्हें देख कर इसका पालन करे। लेकिन यहां तो हो ही उलटा रहा है। यह बहुत ही चिंता की बात है।
अनुज सैनी ने यह भी कहा कि इस स्तर का अधिकारी तो उन मीटिंगों में भी उपस्थित रहा होगा, जो कोरोना के फैलाव को रोकने के लिए आयोजित होगी। इसके बाद भी उनके आवास से नोटिस का फट जाना निश्चित ही कहीं न कहीं उनकी कार्यप्रणाली पर सवाला खड़ा करता नजर आ रहा है।
इन तमाम आरोपों और सवालों पर जनज्वार ने राजेश खुल्लर से कई बार बात करने की कोशिश की, लेकिन उनसे बात नहीं हो पायी।