प्रोफेसर बेटे ने माँ को इसलिए मार डाला क्योंकि करनी पड़ रही थी सेवा

Update: 2018-01-05 18:03 GMT

सच उतना ही स्पष्ट है जितना शीर्षक। यह सच साफ कर रहा है कि अगर हम अब नहीं चेते तो हमारा घर और यह समाज अमानवीय कहानियों का अंतहीन सिलसिला बन जायेगा और हम छाती पीटते व अफसोस करते सबकुछ को तमाम होते देखते रह जाएंगे...

जनज्वार, अहमदाबाद। जिस बच्चे को मां ने नौ महीने तक अपनी कोख में पालने के बाद जन्म दिया होगा, इसके लिए न जाने कितनी कुर्बानियां दी होंगी, कष्ट सहे होंगे, वही एक दिन उसकी जान ले लेगा यह कोई सोच भी नहीं पाएगा। वो भी एक ऐसे बेटे ने इस हरकत को अंजाम दिया जो दुनिया को ज्ञान बांटने का काम करता है।

इंसानियत को शर्मसार करने वाली ऐसी घटना गुजरात के राजकोट में घटित हुई है, जहां एक प्रोफेसर बेटे संदीप नाथवानी ने ब्रेन हैमरेज पीड़ित मां जयश्रीबेन से पीछा छुड़ाने के लिए छत से धक्का देकर उसकी हत्या कर दी।

गुजरात के राजकोट शहर में कलयुगी प्रोफेसर बेटे का वो घिनौना चेहरा सामने आया है, जिसके बारे में सोचकर ही रूह कांप उठती है। बीमार मां की सेवा करने के बजाय बेटे ने उसकी हत्या कर दी। वह भी उस मां की जो आर्थिक रूप से उस पर बोझ नहीं थी, चाहता तो उसके लिए केयरटेकर रख सकता था, क्योंकि मां को अच्छी—खासी पेंशन मिलती थी।

शायद उस मां की मौत आत्महत्या के बतौर ही पुलिस के ब्यौरों में दर्ज हुई रहती, अगर एक गुमनाम चिट्ठी पुलिस के पास न पहुंचती। क्योंकि प्रोफेसर बेटे ने कहा था कि उनकी मां ने अपनी बीमारी से आजिज आकर यह कदम उठाया होगा। गुमनाम चिट्ठी मिलने के बाद पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज खंगाली तो सच सामने आया। अब मां की हत्या के जुर्म में बेटा सलाखों के पीछे है।

गौरतलब है कि संदीप नाथवानी की मां को ब्रेन हैमरेज हुआ था, जिसके बाद वह पूरी तरह बिस्तर पर थीं। अपने बयान में इस कलयुगी बेटे ने कहा कि वह लाचार मां की देखभाल और इलाज से आजिज चुका था, इसलिए 27 सितंबर 2017 को उसने मां को छत से धक्का देकर मौत की नींद सुला दिया।

27 सितंबर 2017 को राजकोट के गांधीग्राम के दर्शन एवेन्यू में रहने वाली जयश्रीबेन विनोदभाई नाथवानी की बिल्डिंग की छत से गिरने के बाद मौत हो गई थी, जिसे पुलिस ने आत्महत्या कहकर फाइल क्लोज कर दी थी, मगर पुलिस के पास पहुंची गुमनाम चिट्ठी में बुजुर्ग महिला की हत्या का शक जताया गया तो सोसायटी की सीसीटीवी फुटेज खंगाली गई, जिसमें साफ—साफ नजर आया कि चलने से लाचार मां को बेटा संदीप नाथवानी सीढ़ियों से सहारा देकर छत की तरफ ले जा रहा है। उसकी थोड़ी देर बाद संदीप नाथवानी अकेले सीढ़ियां उतरकर मां की चप्पल पहन नीचे आ अपने घर में घुस जाता है।

मां के हत्यारे संदीप नाथवानी की मां जयश्रीबेन रिटायर्ड अध्यापक थीं, जो ब्रेन हेमरेज की वजह से बिस्तर पर थीं। जयश्रीबेन के तीन बच्चे हैं, जिनमें से एक बेटी की शादी हो गई है, जबकि दूसरी जामनगर में रहती है। जयश्रीबेन बेटा—बहू पोती के साथ रहती थीं। उनके पड़ोसियों के मुताबिक जयश्रीबेन की बहू अकसर उनसे लड़ती रहती थीं। बीमारी के बाद भी अक्सर वह उन्हें ताने कसते रहती थीं।

शायद जयश्रीबेन की हत्या का खुलासा न हुआ होता, अगर यह सवाल नहीं उठता कि अपने पैरों से चलने से लाचार ब्रेन हैमरेज की मरीज बुजुर्ग महिला अखिर ढाई फुट ऊंची रेलिंग पर आत्महत्या के लिए कैसे चढी होगी।

हालांकि मामले का खुलासा होने के बाद भी संदीप ने खूब कोशिश की कि वह पाक साफ बचा रहे। पुलिस के मुताबिक संदीप ने पुलिस को गुमराह करने की खूब कोशिशें कीं। पहले कहा कि सूर्य की पूजा के लिए वह अपनी मां को छत पर ले गया, कभी कुछ और कहा। मगर वह वहां पर फंस गया जब पुलिस ने पूछा कि उसकी लाचार मां ने आखिर ढाई फुट ऊंची रेलिंग कैसे पार की। सख्ती से हुई पूछताछ में उसने स्वीकारा कि उसी ने अपनी मां को छत से नीचे फेंका था।

अब इस मामले की जांच पुलिस संपत्ति विवाद के एंगल से भी करने लगी है। पुलिस का कहना है कि हो सकता है बेटे—बहू ने प्रोपर्टी के लिए बुजुर्ग महिला को मौत के घाट उतारा हो। मामला चाहे जो भी हुआ हो, मगर इंसानियत जरूर शर्मसार हुई। एक बेटे के पास मां के दूध का कर्ज उतारने का समय था तो उसने उसे अपने हाथों से मौत की नींद सुला दिया। जिस मां ने कोख में नौ महीने तक उसका बोझ ढोया होगा, वह उसे उसकी लाचारी की हालत में 2 माह भी सहन नहीं कर पाया।

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