काम ना आई मोदी की अपील रिलायंस ने वेतन में 50 फीसदी तक कर दी कटौती, मुकेश अंबानी भी नहीं लेंगे सालभर सैलरी

Update: 2020-04-30 18:32 GMT

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रिलायंस कंपनी के ज्यादातर कर्मचारियों के वेतन में कटौती करने का फैसला किया गया है, ये कटौती पे ग्रेड के अनुसार 10 से 50 फीसदी तक की जायेगी...

जनज्वार। कोरोना की भयावहता के बीच आर्थिकी पर गहरा असर पड़ा है। इस संकट का असर प्रधानमंत्री मोदी के खासमखास माने जाने वाले रिलायंस इंडस्ट्रीज के मालिक मुकेश अंबानी के तमाम कारोबारों पर भी हुआ है। कारोबार पर इस संकट का असर इतना गहरा पड़ा है कि मुकेश अंबानी ने अपना पूरे साल का वेतन छोड़ने का फैसला किया है। साथ ही कंपनी के ज्यादातर कर्मचारियों के वेतन में भारी कटौती करने की बात सामने आ रही है।

भारत में कोरोना वायरस की भयावहता के बीच संक्रमण पर लगाम लगाने के लिए 25 मार्च से देशव्यापी लॉकडाउन जारी है, जिसको 1 महीने से भी ज्यादा वक्त हो चुका है। इस बीच दिहाड़ी मजदूर और प्रवासियों की हालत तो सोशल मीडिया के माध्यम से सामने आ ही रही है, अब इसका असर बड़े कारोबारियों पर भी पड़ने लगा है। ये बात अलग है कि भगौड़ों और पूंजीपतियों का हजारों हजार करोड़ हमारी मोदी सरकार ने इसी बीच माफ किया है।

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लॉकडाउन की वजह से पिछले सवाल महीने से भी ज्यादा समय से तमाम उद्योग-धंधे और कारोबार पूरी तरह से बंद पड़े हुए हैं। न सिर्फ मजदूरों, बल्कि उद्योगपतियों पर भी इसका गहरा असर हुआ है। अब तक कई छोटे और मझोले उद्योगों के लॉकडाउन के चलते संकट में आने की खबर आ चुकी हैं, लेकिन अब इस संकट का असर देश के सबसे अमीर आदमी और रिलायंस इंडस्ट्रीज के मालिक मुकेश अंबानी पर भी पड़ने की खबर सामने आ रही है।

Full View में आ रही खबरों के मुताबिक कोरोना संकट का असर रिलायंस इंडस्ट्रीज के तमाम कारोबारों पर गहरे हुआ है। लॉकडाउन के चलते कंपनियों को हो रहा नुकसान इतना ज्यादा है कि कंपनी के प्रमुख मुकेश अंबानी ने पूरे सालभर वेतन न लेने का फैसला किया है।

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लोगों की नजर में खुद एक आदर्श कायम कर यानी एक साल की सेलरी छोड़ने का निर्णय लेकर मुकेश अंबानी ने सबका मुंह भी बंद करवाने का काम किया है। ज्यादातर मीडिया उनकी वाहवाही कर रही है, मगर उन मजदूरों-कर्मचारियों का क्या जिनकी कमाई पूरे महीनेभर का खर्च चलाने के लिए न्यूनतम होती थी और अब कटौती के बाद उनके सामने एक बड़ा संकट खड़ा होगा। जानकारी के मुताबिक रिलायंस कंपनी के ज्यादातर कर्मचारियों के वेतन में कटौती करने का फैसला किया गया है। ये कटौती पे ग्रेड के अनुसार 10 से 50 फीसदी तक की जायेगी।

गौरतलब है कि मुकेश अंबानी का सालाना वेतन 15 करोड़ रुपये है, जिसे उन्होंने लॉकडाउन से आई मंदी के चलते छोड़ने का फैसला किया है। कंपनी के कार्यकारी निदेशक, कार्यकारी समिति के सदस्यों समेत रिलायंस के निदेशक मंडल के सदस्यों के वेतन में भी 30 से 50 फीसदी तक की कटौती का फैसला लिया गया है।

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रिलायंस कंपनी में जिन कर्मचारियों का पैकेज 15 लाख रुपये से कम है, उनके वेतन में कोई कटौती नहीं करने की बात प्रबंधन की तरफ से कही जा रही है, मगर यह अभी बहुत ठीक-ठीक नहीं कहा जा सकता, क्योंकि इसे लेकर कर्मचारी ही आशंकित हैं। लॉकडाउन के चलते कंपनी ने कर्मचारियों का सालाना बोनस भी कंपनी प्रबंधन ने टाल दिया है। गौरतलब है कि रिलायंस में हर वित्त वर्ष की पहली तिमाही में कर्मचारियो को बोनस मिलता था।

Full View से लेकर दूरसंचार क्षेत्र तक के कारोबार पर काबिज रिलायंस इंडस्ट्रीज का रिफाइनरी कारोबार इस संकट से सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है। रिफाइनरी कंपनी की कई इकाइयों के प्रमुखों ने कर्मचारियों को भेजे गए वेतन कटौती के संदेश में कहा है कि ‘हमारे हाइड्रोकार्बन कारोबार पर काफी दबाव है। हमें अपनी लागत को युक्तिसंगत बनाना होगा और इसके लिए हम सभी क्षेत्रों में लागत में कटौती कर रहे हैं। वर्तमान हालात की मांग है कि हम अपनी तमाम को युक्तिसंगत बनाएं और इसके लिए सभी को इसमें योगदान करने की जरूरत है। कंपनी लगातार आर्थिक और कारोबारी हालात की समीक्षा करेगी और अपनी आय बढ़ाने के जरिये तलाशेगी।’

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कंपनी प्रबंधन ने जो बयान दिया है उसके मुताबिक, "रिफाइंड प्रोडक्ट्स और पेट्रोकेमिकल की डिमांड कम होने के कारण इसके हाइड्रोकार्बन बिजनेस पर बहुत बुरा असर पड़ा है। लिहाजा इस बिजनेस पर दबाव बढ़ गया है जिसकी वजह से कॉस्ट कटिंग की जा रही है।"

प्रबंधन के मुताबिक, हाइड्रोकार्बन डिविजन में जिनकी सैलरी सालाना 15 लाख रुपए से कम है उनके वेतन में कोई कटौती नहीं होगी। हालांकि जिनकी सैलरी 15 लाख रुपए से ज्यादा है, उनकी फिक्स्ड सैलरी में 10 फीसदी की कमी की जाएगी। एनुअल बोनस और परफॉर्मेंस लिंक्ड इनसेंटिव्स जो आमतौर पर पहली तिमाही में दी जाती है, उसे अब टाल दिया गया है।

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