गजब है 8 मेडल जीत चुके इस बुजुर्ग का हौसला, 75 साल की उम्र में अब किया ये

Update: 2017-11-27 12:49 GMT

सलाम कीजिए 75 साल के इस युवा को, जिसके आगे अच्छे—अच्छों के हौसले पस्त हो जाएंगे। पानीपत निवासी 75 वर्षीय कांशीराम ने एक ऐसी उपलब्धि हासिल की है, जिससे 18 साल का युवा भी उनसे रश्क करेगा...

जनज्वार, हरियाणा। जी हांं, ये एक कारनामा ही कर दिखाया है कांशीराम ने। उनमें दिखने वाली युवाओं से भी ज्यादा स्फूर्ति का तो कोई भी मुरीद हुए बिना नहीं रह पाएगा। पानीपत में जीडी गोयनका स्कूल में आयोजित जिला स्तरीय मास्टर एथलेटिक्स चैंपियनशिप में लंबी कूद में सोना जिंदाजिल कांशीराम ने अपने नाम किया है 26 नवंबर यानी कल। वो भी तब जबकि डॉक्टर 5 पांच साल पहले उनसे कह चुके थे कि वे अपने पैरों का खास ख्याल रखें और खेलने के बारे में भी सोचें भी मत। यानी एक ऐसे इंसान ने इस उपलब्धि को अपने नाम किया है, जो कि हौसला न हो तो शायद चलना—फिरना भी उनके लिए दूभर होता।

अपनी पोती के साथ रोज तड़के दौड़ की प्रैक्टिस करने वाले कांशीराम पहले भी नेशनल लेवल के आठ गोल्ड मेडलों पर जीत की मोहर लगा चुके हैं। इतना ही नहीं 5 हजार मीटर वॉक में भी वो पहले स्थान पर आए हैं।

पानीपत के बबैल गांव के निवासी हैं 75 वर्षीय कांशीराम। 26 नवंबर को आयोजित लंबी कूद के अलावा उन्होंने 5000 मीटर वॉक रेस और गोला फेंक प्रतियोगिता भी अपने नाम कर ली।

समाज तो उनसे प्रेरणा ले ही रहा होगा, उनकी पुत्रवधू शीला और बेटे जयप्रकाश पर उनका खूब असर पड़ा है। प्रतियोगिता में बेटे—बहू ने भी अपने एजग्रुप में सोना जीता है।

कांशीराम कहते हैं, पांच साल पहले हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में आयोजित हुई एक राष्ट्रीय एथलेटिक्स में लंबी कूद के दौरान उनके पांव में चोट लग गई थी, जिसके बाद डॉक्टर ने उन्हें कभी भी न खेलने की राय दी थी। कहा था कि अगर वो जबर्दस्ती करेंगे तो उन्हें इसके परिणाम भुगतने पड़ेंगे। मगर कांशीराम की जिद के आगे चोट को भी नतमस्तक होना पड़ा। डॉक्टर की वार्निंग के बावजूद उन्होंने खेलना नहीं छोड़ा और रोज सुबह निकल पड़ते हैं पोती को साथ लेकर दौड़ लगाने। 

आज इनकी जिद का ही नतीजा है एक प्रतियोगिता में इनके द्वारा जीते गए 3 गोल्ड मेडल।

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