फर्रुखाबाद में 23 बच्चों को बंधक बनाने वाले का पुलिस ने किया एनकाउंटर तो उसकी पत्नी की भीड़ ने अधिकारियों के सामने कर दी हत्या
11 घंटे तक 23 बच्चों को बंधक बनाकर रखने वाला सुभाष जिसका पुलिस ने कर दिया है एनकाउंटर वह था सिस्टम से नाराज, दिहाड़ी मजदूर सुभाष लंबे समये से शौचालय के लिए काट रहा था संबंधित अधिकारियों के चक्कर और कोई भी नहीं सुन रहा था उसकी बात तो उठाया यह खतरनाक कदम, मगर खुद की जान से तो हाथ धो बैठा, पत्नी की भी भीड़ ने लिंचिंग करके कर दी हत्या....
जनज्वार। उत्तर प्रदेश और जुर्म का साथ बहुत तगड़ा है। कोई भी दिन ऐसा नहीं जाता, जब यहां कोई बड़ी वारदात न होती हो। अब फर्रूखाबाद के गांव करथिया में एक घटना सामने आयी है, जहां सिस्टम से नाराज एक व्यक्ति ने कल 30 जनवरी की शाम को 23 बच्चों को बंधक बनाया लिया था, जिसे बाद में पुलिस ने एनकाउंटर में मार डाला। उसके बाद उग्र भीड़ का गुस्सा उसकी पत्नी पर उतरा। पुलिस के सामने ही लोगों ने उसकी पत्नी को मौत के घाट उतार दिया।
जानकारी के मुताबिक गुरुवार 30 जनवरी की दोपहर करीब ढाई बजे सुभाष बाथम ने बच्चों को जन्मदिन के नाम पर अपने घर में बुलाया और उन्हें बंधक बना लिया। जब बच्चे सुभाष बाथम के साथ घर के अंदर थे तो उसकी पत्नी रूबी भी वहीं थी। जब बच्चे घर जाने की जिद करने लगे तो वह बच्चों को धमकाने लगा और उसने घर के दरवाजे बंद कर दिये। लोगों की शिकायत पर जब पुलिस वहां पहुंची तो सुभाष को बच्चों को छोड़ने को कहा, मगर उसने एक न सुनी। किसी भी तरह जब सुभाष ने पुलिस और ग्रामीणों की बात नहीं सुनी तो पुलिस ने उसके घर का दरवाजा तोड़ घर में प्रवेश किया और रात को तकरीबन डेढ़ बजे सुभाष का एनकाउंटर कर बच्चों को बाहर निकाला।
तकरीबन 11 घंटों तक बंधक रहे 23 बच्चों के माता-पिता इस दौरान काफी गुस्से में थे। सुभाष को तो पुलिस ने एनकाउंटर में ढेर कर दिया था, मगर उसकी पत्नी रूबी घर के अंदर थी। बच्चों के परिजनों का गुस्सा उसी पर उतरा। जिसके हाथ जो आया उसी से भीड़ ने उसकी पत्नी को अपना निशाना बनाया। पुलिस के सामने ही रूबी की पीट—पीटकर हत्या कर दी।
पुलिस का कहना है कि उसने गुस्साये ग्रामीणों के चंगुल से रूबी को छुड़ाया और गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराया, मगर इलाज के दौरान उसने आज दम तोड़ दिया। इस मामले की जांच कर रहे कानपुर रेंज के आईजी मोहित अग्रवाल कहते हैं, रूबी ने पिटाई से आई गंभीर चोटों के कारण दम तोड़ दिया, हम पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं, मौत के कारण के बारे में और जानकारी रिपोर्ट के बाद ही सामने आएगा।
इस मामले में पुलिस का कहना है कि हम आरोपी सुभाष बाथम का एनकाउंटर नहीं करना चाहते थे, मगर उसने उसने समझाने आए एक ग्रामीण के पैर पर गोली मार दी थी। फर्रुखाबाद के एएसपी त्रिभुवन कहते हैं, कार्रवाई के दौरान सुभाष ने देसी बमों से पुलिस पर हमला किया। इतना ही नहीं पुलिस ने उसके घर से काफी विस्फोटक की बरामदगी दिखाई है।
पुलिस का कहना है कि बड़ी मुश्किल परिस्थितियों में हमने बच्चों को अपराधी प्रवृत्ति के सुभाष बाथम के चंगुल से छुड़ाया। इस दौरान हमारे कई साथी घायल हुए हैं। पहले हमने मामला आराम से सुलझाने की कोशिश की, मगर जब उसने घर के अंदर से ही बम से विस्फोट किया तो स्थिति की नाजुकता को भांपते हुए आपात बैठक बुलाई और बच्चों की जान बचाने के लिए कड़ी से कड़ी कार्रवाई करने का निर्णय लिया।
इस मामले में रात के 11 बजे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आपात बैठक बुलायी थी, जिसमें मुख्य सचिव, डीजीपी, एडीजी लॉ ऐंड ऑर्डर और गृह विभाग के प्रमुख सचिव भी शामिल हुए। अधिकारियों को निर्देश दिया गया कि बच्चों को सुरक्षित छुड़वाया जाए। योगी ने फर्रुखाबाद के अधिकारियों से भी बातचीत की और पुलिस अफसरों को फटकार लगाई कि किसी भी हाल में बच्चे सुरक्षित बाहर निकलने चाहिए।
जानकारी के मुताबिक इसी घटनाक्रम सुभाष से जब पुलिस लगातार बात करने और उसे समझाने की कोशिश कर रही थी तो उसने रात को तकरीबन 11 बजे अपनी पत्नी और एक 2 साल के बच्चे को घर से बाहर भेजा। सुभाष की पत्नी के हाथ में एक पत्र था जिसमें सुभाष ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत घर और टॉइलट जैसी सहूलियतें देने से अधिकारियों ने इनकार कर दिया था, इसलिए वह पूरे सिस्टम से नाराज है। इस पूरे घटनाक्रम के दौरान सुभाष ने पुलिस से मांग की कि स्थानीय विधायक को भी मौके पर बुलाया जाए।
जिलाधिकारी को लिखे पत्र में सुभाष ने ग्राम प्रधान पर आवास और शौचालय जैसी सरकारी योजनाओं का लाभ देने से इनकार करने और इसके लिए जिलाधिकारी से भी गुहार लगाने का जिक्र किया था। अपनी मांगों पर कोई पहल नहीं होने और योजनाओं का लाभ नहीं मिलने के कारण वह सिस्टम से नाराज था और उसने बच्चों को अपनी बेटी के जन्मदिन के बहाने घर में बुलाकर बंधक बना लिया। हालांकि उसने जो पत्र लिखा है और जो आरोप अधिकारियों पर लगाए गए, वह शासन और प्रशासन के दावों की पोल खोलने और नाकामी उजागर करने वाले हैं।
उसने अपने पत्र में लिखा है, वह काफी दिनों से प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवास और शौचालय बनवाने की मांग करता रहा है। उसकी गुहार किसी ने नहीं सुनी और हर बार गुहार लगाने पर उसे नाकामी हाथ लगी। वह मजदूरी करके अपने बच्चों का पालन-पोषण करता है और उसकी बुजुर्ग मां भी है। चलने-फिरने में असमर्थ मां को शौच के लिए बाहर जाने में परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
अगर वाकई सुभाष ने सिस्टम से तंग आकर यह कदम उठाया है तो इससे शासन-प्रशासन के तमाम दावों की पोल खुल जाती है। केंद्र की मोदी और राज्य की योगी सरकार लगातार दावा करती है कि उसने खुले में शौच के खिलाफ मुहिम छेड़ रखी है और देश को ओडीएफ भी घोषित किया जा चुका है। ऐसे में सुभाष के परिवार को शौचालय न मिलना और उसके परिवार का शौच के लिए बाहर जाना कहीं न कहीं सिस्टम को ही कटघरे में खड़ा करता है।