सुप्रीम कोर्ट के पहले जज थे बहरुल इस्लाम जो पहुंचे थे राज्यसभा, जानें उनका इतिहास
जस्टिस रंजन गोगोई से पहले रंगनाथ मिश्रा ऐसे सीजेआई थे जो कि रिटायरमेंट के बाद राज्यसभा पहुंचे लेकिन वह सुप्रीम कोर्ट के पहले जज नहीं थे जिन्हें राज्यसभा के लिए चुना गया...
जनज्वार। पूर्व सीजेआई रंजन गोगोई के राज्यसभा के लिए मनोनित होने की खबर ने राजनीतिक गलियारों में एक बहस छेड़ दी है। बीजेपी के विरोधी जहां केंद्र सरकार पर निशाना साध रहे हैं वहीं बीजपी समर्थक इतिहास के गलियारों से कुछ ऐसे ही उदाहरण ढूंढ रहे हैं।
इस पूरी चर्चा में अधिकतर लोग पूर्व सीजेआई रंगनाथ मिश्रा का नाम ले रहे हैं जो कि रिटायरमेंट के बाद 1998 से 2004 तक बतौर कांग्रेस नेता के तौर पर राज्यसभा के सदस्य रहे। रंगनाथ मिश्रा पहले सीजेआई थे जो कि रिटायरमेंट के बाद राज्यसभा पहुंचे लेकिन सुप्रीम कोर्ट के वह पहले जज नहीं थे जो राज्यसभा के लिए चुने गए।
संबंधित खबर : जिसे बताया था ‘बदनुमा दाग़’ ख़ुद वही गलती कर बैठे जस्टिस गोगोई, कैसे बनेगा लोगों का भरोसा?
एक नजर उनके अनोखे राजनीतिक और न्यायिक सफर पर-
- इस्लाम 1951 में असम हाईकोर्ट और 1958 में सुप्रीम कोर्ट में वकील के तौर पर एनरोल हुए।-1956 में उन्होंने कांग्रेस ज्वाइन कर ली-वह 1962 में राज्यसभा के लिए चुने गए और 1968 में भी कांग्रस के टिकट पर दोबारा राज्यसभा सांसद चुने गए।
- 1972 में उन्होंने राज्यसभा के सदस्य के तौर पर इस्तीफा दे दिया और 20 जनवरी, 1972 को तबके असम औरनागालैंड हाईकोर्ट (जिसे अब गुवाहाटी हाई कोर्ट के नाम से जाना जाता है) के जज बन गए।
- 11 मार्च 1979 को उन्हें गुवाहाटी हाई कोर्ट का एक्टिंग चीफ जस्टिस बनाया गया।
- उन्हें 4 दिसंबर 1980 को सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त किया गया जो कि अपने आप में एक अनोखा मामला था।सामान्यत: सुप्रीम कोर्ट में रिटायर हो चुके जज को नियुक्त नहीं किया जाता।
संबंधित खबर : राज्यसभा की सदस्यता और पूर्व सीजेआई गोगोई के फैसलों की ‘क्रोनोलॉजी’ समझिए
-उन्होंने असम की बारपेटा सीट से कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ने के लिए 12 जनवरी 1983 को सुप्रीम कोर्ट से इस्तीफा दे दिया। हालांकि 1984 के आम चुनावमें असम में चुनाव टाल दिए गए। इसके बाद बेहरूल इस्लाम एक बार फिर राज्यसभा सांसद बने। वह 15 जून 1983 से 14 जून 1989 तक राज्यसभा सदस्य रहे।