पुडुचेरी की गवर्नर किरण बेदी को सुप्रीम कोर्ट ने दिया झटका, कहा सरकारी कामों में नहीं कर सकतीं दखलंदाजी

Update: 2019-05-10 12:23 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने किरण बेदी पर मद्रास हाईकोर्ट का फैसला रखा बरकरार, कहा राज्यपाल को नहीं है सरकार की तरफ से आदेश पारित करने का कोई अधिकार और न ही फाइलें रोकने का

जेपी सिंह, वरिष्ठ पत्रकार

पुडुचेरी की उपराज्यपाल किरण बेदी को झटका लगा है। उच्चतम न्यायालय ने मद्रास हाईकोर्ट के उनके अधिकारों को लेकर फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। मद्रास हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ केंद्र सरकार की याचिका पर उच्चतम न्यायालय ने हाइकोर्ट में याचिका दाखिल करने वाले कांग्रेस विधायक लक्ष्मी नारायण को नोटिस भी जारी किया है।

पिछले दिनों मद्रास हाईकोर्ट ने साफ किया था कि उपराज्यपाल किरण बेदी के पास केंद्रशासित प्रदेश की रोजमर्रा की गतिविधियों में हस्तक्षेप करने की शक्ति नहीं है।

मद्रास हाईकोर्ट की इस हिदायत के बाद उपराज्यपाल किरण बेदी इस केंद्रशासित प्रदेश की सरकार से किसी भी फाइल के बारे में नहीं पूछ सकती हैं। इसके साथ ही वह न तो सरकार को कोई आदेश दे सकती हैं और न ही सरकार की तरफ कोई आदेश जारी कर सकेंगी।

गौरतलब है कि अदालत पुडुचेरी के सीएम वी नारायणसामी और किरण बेदी के बीच जारी सियासी घमासान और अधिकार क्षेत्र से जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी। नारायाणसामी का आरोप है कि किरण बेदी कई महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट्स से जुड़ी फाइलों को सरकार के पास नहीं भेज रही हैं।

मद्रास हाईकोर्ट की मदुरै पीठ ने बीते 30 अप्रैल को पुडुचेरी की उपराज्यपाल किरण बेदी को प्रशासनिक शक्ति मुहैया कराने वाले केंद्रीय गृह मंत्रालय के स्पष्टीकरण आदेश को खारिज कर दिया था। पुडुचेरी के विधायक के. लक्ष्मीनारायणन द्वारा किरण बेदी के विरुद्ध मामले पर निर्णय लेते हुए उच्च न्यायालय ने कहा था कि उपराज्यपाल के पास सरकार के रोजमर्रा की गतिविधियों में हस्तक्षेप करने की शक्ति नहीं है। मद्रास हाईकोर्ट ने कहा था कि बेदी के पास फाइलों को मंगाने और अधिकारियों को आदेश देने की भी कोई शक्ति नहीं है।

मद्रास हाईकोर्ट ने 30 अप्रैल को कांग्रेस के विधायक के. लक्ष्मीनारायणन की याचिका पर केंद्र शासित प्रदेश की प्रशासक के अधिकार बढ़ाने संबंधी केंद्रीय गृह मंत्रालय के जनवरी और जून 2017 के दो संदेशों को निरस्त कर दिया था। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उपराज्यपाल अनिल बैजल के बीच अधिकारों को लेकर हुई खींचतान पर उच्चतम न्यायालय की व्यवस्था का ज़िक्र करते हुए मद्रास हाईकोर्ट ने कहा था कि दिल्ली की सरकार पर लगाई गईं पाबंदियां पुदुचेरी सरकार पर लागू नहीं होती हैं।

हाईकोर्ट ने कहा था कि प्रशासक सरकार के रोज़मर्रा के कामों में हस्तक्षेप नहीं कर सकता है। मंत्रिपरिषद और मुख्यमंत्री द्वारा लिए गए निर्णय सचिवालय और अन्य अधिकारियों पर बाध्यकारी हैं।

कांग्रेस विधायक लक्ष्मीनारायण ने सरकार की दैनिक गतिविधियों में उपराज्यपाल के हस्तक्षेप को लेकर 2017 में याचिका दायर की थी। लक्ष्मीनारायण ने उस वक्त अदालत का दरवाजा खटखटाया था, जब किरण बेदी और पुडुचेरी के मुख्यमंत्री वी. नारायणसामी की सरकार के बीच निजी मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश में कथित घोटाले में हस्तक्षेप के बाद विवाद बढ़ गया था।

गौरतलब है कि पुदुचेरी के मुख्यमंत्री वी. नारायणसामी ने फरवरी महीने में उपराज्यपाल किरण बेदी पर राज्य के कार्यों में गतिरोध पैदा करने का आरोप लगाया था। इसके बाद वह विरोध-प्रदर्शन करते हुए राजभवन के सामने धरने पर बैठे थे। उनके साथ इस विरोध प्रदर्शन में उनकी सरकार के सभी पांचों मंत्री, कांग्रेस और द्रमुक के विधायक भी शामिल थे। उस दौरान उन्होंने किरण बेदी बेदी पर चुनी हुई सरकार की अनेक कल्याणकारी कार्यक्रमों को रोकने का आरोप लगाया था।

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