सुप्रीम कोर्ट ने CAA और NRC को लेकर केंद्र से मांगा चार हफ्ते में जवाब

Update: 2020-01-22 06:43 GMT

याचिकाओं में CAA कानून को संविधान के मूल ढ़ांचे के साथ छेड़छाड़ करने का आरोप लगाया गया है। ये कानून मनमाना और समानता के अधिकार के मौलिक अधिकार का उल्लंघन करता है...

जनज्वार। नागरिकता संशोधन कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं को लेकर बुधवार 22 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस मामले पर सीजीआई एसए बोबडे, जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस एस अब्दुल नजीर की बेंच ने सुनवाई की।

CAA को लेकर कुल 144 याचिकायें आ चुकी हैं। इनमें से एक दो याचिकाओं को छोड़कर सभी याचिकायें कानून के खिलाफ में दायर की गई हैं। ज्यादातर याचिकाओं में कानून को असंवैधानिक करार देने की मांग की गई है। याचिकाओं में CAA कानून को संविधान के मूल ढ़ांचे के साथ छेड़छाड़ करने का आरोप लगाया गया है। ये कानून मनमाना और समानता के अधिकार के मौलिक अधिकार का उल्लंघन करता है। धर्म के आधार पर किसी को भी नागरिकता देने से इनकार नहीं किया जा सकता है।

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नागरिकता संशोधन कानून की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संवैधानिक पीठ का गठन किया गया है। इस दौरान चीफ जस्टिस ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट नई याचिकाओं पर किसी तरह की कोई रोक नहीं लगा सकता है। इसके अलावा हर केस के लिए एक वकील को एक ही बार मौका दिया जाएगा। याचिकाओं पर जबाव देने के लिए केंद्र को 4 हफ्ते का समय दिया गया है। जिसकी सुनवाई पांचवें हफ्तें में की जाएगी इसके अलावा असम से जुड़ी याचिकाओं पर केंद्र सरकार को दो हफ्ते में जबाव देना होगा।

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साथ ही चीफ जस्टिस का कहना है कि पांच जजों की बेंच इस मामले की सुनवाई करेगी, चाहे इस मामले पर स्टे लगा हो या नहीं। अब इस मसले पर चार हफ्ते बाद सुना जाएगा। साथ ही इस मामले पर एक संवैधानिक पीठ बनाने का भी फैसला लिया गया है।

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