जिस राइफल को कंधे पर रख मौत से भी भिड़ जाता था वर्दीधारी, इस गणतंत्र पर दी जाएगी अंतिम सलामी

Update: 2020-01-21 07:12 GMT

वो राइफल जिसे कंधे पर रख किसी जमाने मे वर्दीधारी की आवाज बदल जाती थी। जिस कंधे पर लोडेड थ्री नॉट थ्री होती थी वो मौत से भी भिड़ जाता था। इस गणतंत्र दिवस यानी 26 जनवरी 2020 को उत्तर प्रदेश पुलिस महकमा उस थ्री नॉट थ्री राइपल को अंतिम सलामी देगा...

कानपुर से मनीष दुबे की रिपोर्ट

जनज्वार। उत्तर प्रदेश की खाकी के कंधे में टंगी अंग्रेजी हुकूमत की थ्री नॉट थ्री राइफलों को आखिरकार हमेशा के लिए अलविदा कर दिया जाएगा। जिसका आदेश सुनते ही पूरे पुलिस महकमे के सिपाहियों में खुशी देखी जा रही है तो रिटायर्ड होने वाले कुछ पुलिस वाले मायूस भी दिख रहे होंगे क्योंकि उनको कहीं न कहीं लगेगा कि सारी जिंदगी टाँगे-टाँगें गुजार दी जो अब उनके कन्धों से दूर कर दी जा रही है।

स गणतंत्र दिवस जब हर हिंदुस्तान 'सारे जहां से अच्छा, हिन्दुस्तां हमारा' गा रहा होगा ठीक उसी वक्त एक बेरहम घड़ी भी आने वाली है जब उत्तर के किसी सिपाही से लेकर पुलिस महानिदेशक तक की आंखें कहीं न कहीं नम दिखेंगी। इसकी वजह है काठ-लोहे से बनी एक अदद बंदूक। उस थ्री नॉट थ्री राइफल की जुदाई विदाई विछोह, जिसे यू पी पुलिस इस गणतंत्र दिवस अंतिम सलामी देने जा रही है।'

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जिस राइफल ने यूपी पुलिस की सेवा में रहते हुए अनगिनत बहादुरों का सिर हर मोर्चे पर गर्व से ऊंचा रखा और सीना फुलवाकर कतई 56 इंच का कर दिया होगा। वो थ्री नॉट थ्री राइफल जिसने गुलाम और आजादी के बाद वाले हिंदुस्तान में पुलिस का हर बुरे वक्त में साथ दिया। बिना किसी धोखे के जिसने के दशकों से खाकी पहनने वाले का दिल जीत रखा था। जो राइफल हर एक खाकी पहनने वाले जवान की हौंसलाफ़जाई और हिम्मत का कारण थी।

स थ्री नॉट थ्री का जब कोई जवान या अफसर ट्रिगर दबाता था तो राइफल से बहरा कर देने वाली बुलन्द आवाज गूंजती थी। जिस आवाज में बेहोश को भी होश में लाकर खड़ा कर देने का दम था। वो आवाज अब शांत होने वाली है। वो आवाज है देश के अधिकांशतः खाकी वर्दी वालों को हर मोर्चों पर फतेह दिलाने वाली राइफल थ्री नॉट थ्री की।

Full View राइफल जिसे कंधे पर किसी जमाने मे वर्दीधारी की आवाज बदल जाती थी। जिस कंधे पर लोडेड थ्री नॉट थ्री होती थी वो मौत से भी भिड़ जाता था। फिर न पता इसी थ्री नॉट थ्री राइफल के मुंह से निकली गोलियों ने कितने ही बहादुरों को मौत के मुंह मे जाने से भी बचाया हो। इस गणतंत्र यानी 26 जनवरी 2020 को उत्तर प्रदेश पुलिस महकमा इसी बेजुबां मगर जांबाज थ्री नॉट थ्री राइफल को अंतिम सलामी देगा।

पको बता दें कि शासन के आदेश पर सभी थानों से यह रायफल पुलिस लाइन स्थित शस्त्रागार में जमा कराई जा रही हैं। इसके बाद जल्द उन्हें सीतापुर स्थित केंद्रीय शस्त्र भंडार भेजा जाएगा और हमेशा के लिए उन्हें बंद कर दिया जाएगा। उनके स्थान पर थाना व अन्य विभागों की पुलिस अब केवल एके 47, इंसास और एसएलआर जैसी रायफलों का ही इस्तेमाल करेगी।

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ब जब कोई हथियार इतिहास में खुद की बहादुरी का किस्सा दर्ज करवाने की हिमाकत करेगा तब-तब हर उस जगह थ्री नॉट थ्री को जरूर याद किया जाएगा। तब तब ये थ्री नॉट थ्री खाकी के सपनो और यादों में बसी रहेगी। खाकी के कंधे पर बेशक अब इंसास राइफल हो पर यह एक इकलौती राइफल थी जिसको देखकर कई जिदार पसीना छोड़ दिया करते थे।

सर्वे के बाद लिया गया निर्णय

केंद्र सरकार के एक सर्वेक्षण के बाद थ्री नॉट थ्री रायफल को हटाने का फैसला लिया गया है, जिसकी शुरुवात लोकसभा चुनाव के दौरान हो गई थी जब हाईटेक तकनीकी से मुस्तैद अन्य सुरक्षा बलों के बीच में यूपी पुलिस विभाग सिपाहियों के कंधो में बेजान सी इस रायफल को टंगा देखा गया था जिसको देखते हुए पिछले दिनों शासन की ओर से आये आदेश के अनुसार थ्री नॉट थ्री रायफलों का अब प्रयोग नहीं किया जाएगा और उनके स्थान पर अब इंसास, एसएलआर, एके 47 जैसे स्वचालित हथियार दिए जाएंगे।

Full View नॉट थ्री रायफल के इतिहास की बात करें तो यह ब्रटिश शासनकाल में सन 1837 में सौपी गयी थी जिसका इस्तेमाल आजादी से पूर्व यूपी में पहली बार पुलिस को थ्री नॉट थ्री रायफलें दी गई थीं। लेकिन इनका व्यापक इस्तेमाल 1962 में चीन से हुए युद्ध के दौरान किया गया था। वहीं सर्वे में सामने आया था कि रायफलों की लंबाई ज्यादा (44.5 इंच) होने की वजह से इसका संचालन मुश्किल होता था इसलिए यह फैसला लिया गया है।

त्तर प्रदेश राज्य पुलिस मुख्यालय ने गुरुवार यानी 16 जनवरी 2020 को जारी हुआ ये आदेश उत्तर प्रदेश पुलिसकर्मियों को गमगीन कर गया। इस विदाई आदेश को राज्य पुलिस मुख्यालय के अपर पुलिस महानिदेशक (लॉजिस्टिक) विजय कुमार मौर्य द्वारा जारी किया गया है। यह आदेश प्रदेश के सभी एसएसपी और एसपी के नाम संबोधित था। जारी आदेश में 28 नवम्बर 2019 के उस आदेश का भी हवाला दिया गया था जिसमे यूपी पुलिस महकमे में थ्री नॉट थ्री को चलन से बाहर करके इंसास राइफलों के इस्तेमाल का जिक्र था।

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पको बताते चलें कि इन थ्री नॉट थ्री राइफलों को लेकर जितना रौब और दबदबा खाकी में था उससे कहीं अधिक दीवानगी इन राइफलों को लेकर डकैतों के गिरोहों के बीच हुआ करती थी। उस समय जो डकैतों का मुखिया हुआ करता था। उनके पास भले ही अत्याधुनिक हथियार मील बशर्ते गैंग के जो उम्दा दर्जे के शूटर होते थे वो अपने पास इसी थ्री नॉट थ्री को रखना अधिक पसंद करते थे। जब कभी डकैतों का कोई समूह थाने पर असलहा लूटने के लिए धावा बोलता था तो सबसे पहले थ्री नॉट थ्री को उठाता था बाद में करतूस। इस राइफल की सबसे बड़ी खूबी इसकी मारक क्षमता का होना था।

ली-एनफील्ड के नाम से जानी जाने वाली यह राइफल बोल्ट एक्शन मैग्जीन से चलने वाली रेपीटिंग राइफल है। 1895 से 1957 तक यह अंग्रेजी हुकूमत की मानद राइफल थी। इस राइफल का वजन 4.19 किलोग्राम और लंबाई 49.6 इंच यानी 1,260 mm। इसके बैरल की लंबाई 30.2 इंच है जिसमे .303 mk का कार्रतुस प्रयोग होता है। 10 राउंड की मैग्जीन वाली इस राइफल से 550 गज मतलब 503 मीटर दूरी तक मारक क्षमता होती है।

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