सफाईकर्मी पिता की मौत के बाद नौकरी के लिए अफसरों के चक्कर काट रही बेटी ने की खुदकुशी, भूखे पेट सो रहे थे भाई-बहन
पिता की मौत के बाद सिस्टम से हारकर एक युवती ने कर ली आत्महत्या, मृतक आश्रित नौकरी के लिए काट रही थी अफसरों के चक्कर, रिस्वत के लालच में अफसर एक टेबल से दूसरी टेबल खिसका रहे थे उसकी फ़ाइल, आर्थिक तंगी से कई दिनों से भूखे पेट सो रहे थे भाई बहन...
मनीष दुबे की रिपोर्ट
जनज्वार। कानपुर के किदवईनगर के बगाही बाबा कुटी निवासी 22 वर्षीय शालिनी अपने नगर निगम में सफाईकर्मी पिता की मौत के बाद नौकरी पाने के लिए चक्कर काट रही थी। आर्थिक तंगी और सिस्टम से हार मानकर उसने आखिरकार मौत का रास्ता चुन लिया।
शालिनी मृतक आश्रित कोटे में नौकरी के लिए पिछले 6 महीने से चक्कर काट रही थी। संबंधित अफसर उसकी नौकरी के आवेदन को एक टेबल से दूसरी टेबल पर खिसकाते रहे। उसकी मां की मौत दो साल पहले ही हो चुकी थी। घर में शालिनी के अलावा एक छोटा भाई कुणाल भी था, आर्थिक तंगी के चलते उसकी माली हालत दिनोदिन बिगड़ती जा रही थी।
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दो वक्त की रोटी के इंतजाम की खातिर शालिनी एक एजेंसी के माध्यम से नगर निगम में सफाई करने का काम करने में लगी थी, जिसमे मिलने वाले वेतन से इस मंहगाई में उनके लिए दो वक्त की रोटी भी बमुश्किल जुट पा रही थी।
पिता की मौत के बाद उनकी जगह नौकरी पाने के लिए वह अफसरों से गुहार लगाती रही। शालिनी के मामा के लड़के छोटू ने आरोप लगाया की अफसर उसकी नौकरी वाले आवेदन की फ़ाइल आगे बढाने के लिए उससे रिस्वत की मांग कर रहे थे जिसकी वजह से वह काफी परेशान चल रही थी। बीते कुछ दिनों से उसकी तबियत खराब चल रही थी जिस कारण वह काम पर भी नहीं जा पा रही थी। इसके चलते आर्थिक तंगी इतनी बढ़ गई कि वह कई दिन से भूखे पेट सो रही थी।
सुबह शालिनी का भाई छोटू काम की तलाश में घर से बाहर गया था। देर रात जब वह घर लौटकर आया तो देखा शालिनी फांसी के फंदे पर लटकी हुई थी। उसने किसी तरह फंदा काटकर शालीनि को नीचे उतारा और उसे बचाने की उम्मीद में हैलट लेकर पहुंचा। अस्पताल में डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
बुधवार शाम पोस्टमॉर्टम के बाद शव को वापस घर लेकर जाना था लेकिन भाई कुणाल के पास शव वाहन को किराया तक देने के लिए पैसे नहीं थे। इस पर पोस्टमॉर्टम प्रभारी डॉ. नवनीत चौधरी ने किराया वहन किया तब भाई अपनी बहन का शव लेकर घर जा सका।
बमुश्किल जुटती थी दो वक्त की रोटी
शालिनी के परिवार में उसके अलावा छोटा भाई कुणाल था। माता-पिता की मौत के बाद उन्हें दो वक्त की रोटी तक जुटाने के लिए लाले पड़ रहे थे। मामा के लड़के छोटू ने बताया कि पिता की मौत के बाद रिश्तेदारों ने भी शालिनी की मदद की पर वो नाकाफी साबित हुई। छोटा भाई कुणाल चाट के ठेले पर नौकरी कर कुछ बहुत हाथ बटाने लगा था तो शालिनी संविदा पर सफाई करके बमुश्किल घर चला रही थी।
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शालिनी की मामी राधा कहती हैं, 'पिता के मरने के बाद दोनों लडकिया अलग रहने लगीं। किसी ने बताया कि नगर निगम से परिवार के एक सदस्य को नौकरी मिल सकती है। बड़ी लड़की ससुराल में थी उसने अपनी मर्जी से शादी की थी। फिर छोटी लड़की शालिनी ने नगर निगम अधिकारियों के चक्कर काटे। कोई काम नहीं हुआ तो वो एक वकील के पास गई। वकील ने सारे ओरिजिनल पेपर रख लिए। काम न होने के बाद भी वो शालिनी से रुपये मांग रहा था।'
फिलहाल शालिनी की मौत के बाद उसका छोटा भाई कुणाल अपनी मामी के साथ उसके घर मे रह रहा है। उस घर मे अब ताला पड़ चुका है जहां शालिनी ने आत्महत्या का रास्ता चुनकर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली थी। पर भाई कुणाल के मन मे कहीं न कहीं इस पूरे सिस्टम के खिलाफ टीस घर कर चुकी है। जिसने माता पिता की मौत के बाद उसकी जिंदगी में बचे एकमात्र सहारे उसकी बहन को भी उससे छीन लिया है।