राजकीय चिकित्सालय हल्द्वानी के स्टोर रूम में दम तोड़ रहे वैंटिलेटर

Update: 2018-08-18 05:13 GMT

अस्पताल में रोज गंभीर रोगी दम तोड़ रहे हैं। 15 अगस्त को रेल दुर्घटना में घायल 14 वर्षीय बच्चे को वैंटिलेटर मुहैया नहीं कराया गया और 16 अगस्त को दो नवजात शिशु वैंटिलेटर के अभाव में मर गए...

संजय रावत और अतुल श्रीवास्तव की रिपोर्ट

हल्द्वानी, जनज्वार। बिना वैंटिलेटर के आईसीयू देखने हों तो उत्तराखण्ड के ‘राजकीय चिकित्सालय हल्द्वानी’ आइये। दूरदराज से सैकड़ों मरीज रोज सुलभ ईलाज की आस लगाए हल्द्वानी आते हैं। इनमें से कई गंभीर मरीज वैंटिलेटर के अभाव में या तो महंगे नर्सिग होम का रुख करने को मजबूर हैं या मौत को गले लगाने के लिए अभिशप्त हैं।

राजकीय चिकित्सालय आज अपनी स्थापना की अवधारण को ही रोज अलग-अलग तरीकों से खारिज कर रहा है। इसी क्रम में अस्तपताल का सर्जिकल आईसीयू लगभग 20-25 दिन से खुद हांफ रहा है। यहां नवम्बर 2017 में 6 वैंटिलेटर मंगवाये गए जिसमें से 2 गायनो, 2 सर्जरी और 2 मेडिसिन विभाग में लगाये जाने थे। मार्च आते-आते सारे वैंटिलेटर इंजिनियर ने इंस्टौल पर उक्त विभागों को सौप दिये।

इसमें से सिर्फ मेडिसिन विभाग के वैंटिलेटर इस्तेमाल होने शुरू हुए, मगर 4 वैंटिलेटर अब भी स्टोर रूम में बंद पड़े दम तोड़ रहे हैं। जिनके इस्तेमाल की कोई आस अब भी नजर नहीं आ रही है।

सर्जरी विभाग के आईसीयू में जब वैंटिलेटर की जानकारी ली गयी तो वहां लगभग 20-25 दिनों से पुनर्निर्माण कार्य चल रहा है, जिसके पूर्ण होने की कोई अवधि ही निश्चित नहीं की गयी है। इस बाबत जब संबंधित विभाध्यक्ष डाॅ. गीता भंडारी से जानकारी चाही तो उन्होंने बजाय स्पष्ट जबाव देने के कहा, ‘ओहो तो आप पत्रकार हैं तो एक काम कीजिए, पहले प्रिंसिपल साहब से इजाजत मांगिये फिर मेरे पास आइए। तब आपको बताउंगी कुछ भी।'

स्टोर रूम में इस हालत में पड़ी हैं वैंटिलेटर मशीनें और इलाज के अभाव में दम तोड़ रहे हैं मरीज

इस बाबत जब प्रिंसिपल सीपी भैसौड़ा से बात करनी चाही तो उनके दोनों फोन नंबरों से कॉल नहीं उठाई गई, दोनों नंबर रिपोर्टर के पास मौजूद हैं।

यह हालत तब है जब अस्पताल में रोज गंभीर रोगी दम तोड़ रहे हैं। हालिया घटनाओं के मुताबिक 15 अगस्त को रेल दुर्घटना में घायल 14 वर्षीय बच्चे को वैंटिलेटर मुहैय्या नहीं कराया गया और 16 अगस्त को दो नवजात शिशु वैंटिलेटर के अभाव में मर गए।

यह तो सिर्फ एक—दो दिनों का ब्यौरा है, न जाने कितने गंभीर रोगी वैंटिलेटर के अभाव में दम तोड़ देते हैं। मगर यहां वैंटिलेटर स्टोर रूम की शोभा बढ़ा रहा है।

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