वोडाफोन के सीईओ ने कहा- भारत में हमारी हालत ठीक नहीं, भविष्य अनिश्चित है

Update: 2019-11-13 06:21 GMT

वोडाफोन के सीईओ निक रीड ने कहा कि भारत लंबे समय से बेहद चुनौतीपूर्ण बना हुआ है, लेकिन वोडाफोन आइडिया के पास अभी भी 30 करोड़ ग्राहक हैं जो बाजार के आकार के हिसाब से 30 फीसदी हैं। उन्होंने कहा कि विपरीत नियमों, अत्यधिक करों और उससे भी ज्यादा उच्चतम न्यायालय के नकारात्मक फैसले के चलते कंपनी पर भारी वित्तीय बोझ है...

जनज्वार, नई दिल्ली। दूरसंचार कंपनी वोडाफोन भारत में उसके खिलाफ और रिलायंस जियो के पक्ष में हुए नीतिगत फैसलों को लेकर नाखुश है। वोडाफोन ने कहा कि जब तक भारत सरकार ऊंचे करों और शुल्कों के साथ कंपनियों को निशाना बनाना जारी रखती है, तब तक उसका भविष्य भारत में संदिग्ध बना रह सकता है। वोडाफोन का यह इशारा स्पेक्ट्रम यूजेज चार्ज और लाइसेंस फीस की ओर था। वोडाफोन ने बीते साल 2018 में ही एक अन्य दूरसंचार कंपनी आइडिया सेल्युलर के साथ संयुक्त उपक्रम की स्थापना की थी।

वोडाफोन के सीईओ निक रीड ने कहा कि भारत लंबे समय से बेहद चुनौतीपूर्ण बना हुआ है, लेकिन वोडाफोन आइडिया के पास अभी भी 30 करोड़ ग्राहक हैं जो बाजार के आकार के हिसाब से 30 फीसदी हैं। उन्होंने कहा कि विपरीत नियमों, अत्यधिक करों और उससे भी ज्यादा सुप्रीम कोर्ट के नकारात्मक फैसले के चलते कंपनी पर भारी वित्तीय बोझ है।

रीड ने कहा कि वोडाफोन भारत में ज्यादा पूंजी लगाने के लिए कोई प्रतिबद्धता जाहिर नहीं कर रही है और कंपनी के शेयर मूल्य की तुलना में देश ने इसमें कोई योगदान नहीं किया है। अदालत के फैसले के बाद इस संयुक्त उपक्रम का मूल्य शून्य रह गया है। उसकी भारती एयरटेल के साथ भारत की टावर परिचालक कंपनी इंडस टावर्स में भी हिस्सेदारी है। साफ है कि भारत में राहत मिलने तक वोडाफोन भारत में कोई पूंजी नहीं लगाने जा रही है।

च्चतम न्यायालय ने साल 2018 में दूरसंचार विभाग की लेवी और ब्याज के तौर पर 13 अरब डॉलर की मांग को वाजिब ठहराया था, जिससे वोडाफोन आइडिया और भारती एयरटेल के शेयर को तगड़ा झटका लगा था।

वोडाफोन को 2007 में हचिसन एस्सार की 67 फीसदी हिस्सेदारी खरीदने के लिए हुए 11 अरब डॉलर के सौदे को लेकर कर और विनियामकीय मुद्दों को लेकर मुकदमेबाजी का सामना भी करना पड़ रहा है। वहीं 2016 में नई कंपनी रिलायंस जियो के आने से शुरू हुई प्राइसवार ने वोडाफोन की मुश्किलें खासी बढ़ा दी थीं। इसके बाद 2018 में हुए एक सौदे के तहत वोडाफोन और आइडिया सेल्युलर के परिचालन का विलय हो गया।

वोडाफोन ने सरकार से राहत पैकेज की मांग की है, जिसमें 2 साल के स्पेक्ट्रम पेमेंट को खत्म करने, लाइसेंस फीस और टैक्स को कम करना शामिल है। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट वाले मामले में ब्याज और जुर्माने को माफ करने की मांग शामिल है। कंपनी का कहना है कि भारत में कारोबार करना उसके लिए कठिन होता जा रहा है लेकिन वह यहां से बाहर जाने का नहीं सोच रही।

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