मीडिया जब कोरोना को मुसलमानों से जोड़ रहा था, उसी वक्त मुस्लिमों ने उठाई हिंदू पड़ोसी की अर्थी, नहीं आए रिश्तेदार
राजस्थान के एक गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाले महावीर का शुक्रवार रात एक बीमारी के कारण निधन हो गया था। उनके पुत्र मोहन महावीर ने उसके बाद अपने रिश्तेदारों और दोस्तों को निधन के बारे में सूचित किया....
जनज्वार। कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए देशभर में लगे लॉकडाउन के बीच, बांद्रा में मुस्लिम समुदाय के लोगों ने अपने 68 वर्षीय हिंदू पड़ोसी का अंतिम संस्कार करने में मदद की, क्योंकि उनके रिश्तेदार लॉकडाउन के कारण उन तक नहीं पहुंच सके।
बांद्रा के गरीब नगर इलाके में रहने वाले प्रेमचंद्र बुद्धलाल महावीर के पार्थिव शरीर को उनके मुस्लिम पड़ोसी 'राम नाम सत्य है' का नारा लगाते हुए अपने कंधे पर लादकर श्मशान घाट ले गए।
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राजस्थान के एक गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाले महावीर का बुधवार रात एक बीमारी के कारण निधन हो गया। उनके पुत्र मोहन महावीर ने उसके बाद अपने रिश्तेदारों और दोस्तों को निधन के बारे में सूचित किया, लेकिन वे लॉकडाउन के कारण नहीं आ सके, तो मुस्लिम पड़ोसी काम आये। हिंदू—मुस्लिमों की तमाम सांप्रदायिक खबरों के बीच यह खबर जरूर इंसानियत की मिसाल है।
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मोहन महावीर ने कहा, ‘मैं पास के पालघर जिले के नालासोपारा इलाके में रहने वाले अपने दो बड़े भाइयों से संपर्क नहीं कर सका। मैंने राजस्थान में अपने चाचा को पिता के निधन की सूचना दी, लेकिन लॉकडाउन के कारण वे नहीं आ सके।’ उसने कहा कि बाद में, उनके मुस्लिम पड़ोसी आगे आए और शनिवार को अंतिम संस्कार करवाने में मदद की। उन्होंने कहा, ‘मेरे पड़ोसियों ने मृत्यु संबंधी दस्तावेज बनवाने में मदद की और मेरे पिता के शव को श्मशान घाट ले गए। इस स्थिति में मेरी मदद करने के लिए मैं उनका शुक्रगुजार हूं।’
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अंतिम संस्कार में शामिल हुए यूसुफ सिद्दीकी शेख ने कहा, ‘हम प्रेमचंद्र महावीर को अच्छी तरह से जानते थे। ऐसे समय में, हमें धार्मिक बेड़ियों को तोड़कर इंसानियत का परिचय देना चाहिए।’