Akhilesh Yadav के ब्राह्मण पॉलिटिक्स से बैकफुट पर BJP, लखनऊ में ब्राह्मण मंत्री ने किया 'परशुराम' की प्रतिमा का अनावरण

सपा को सियासी मात देने के लिए सत्ताधारी भाजपा ने शुक्रवार को लखनऊ में परशुराम की प्रतिमा का अनावरण किया। इसके साथ ही यूपी में भगवान परशुराम पर राजनीति पहले से ज्यादा तेज हो गई है।

Update: 2022-01-07 10:07 GMT

गऊ और मऊ को सताने वाले 10 मार्च को धुआं-धुआं हो जाएंगे।

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी ( Samajwadi Party ) और भारतीय जनता पार्टी ( BJP ) के बीच सत्ता पर फिर से काबिज होने को लेकर सियासी होड़ जारी है। इस बीच सपा के ब्राह्मण राजनीति ( Brahmin Politics ) का असर अब भाजपा पर दिखाई देने लगी है। योगी राज में उपेक्षा के शिकार ब्राह्मणों को अपने साथ बनाए रखने के लिए भाजपा को भी अब भगवान परशुराम ( Bhagwan Parashuram ) याद आने लगे हैं। इस बात को ध्यान में रखते हुए भाजपा ने अपनी राजनीतिक बिसात ( political chessboard ) बिछाने का काम शुरू कर दिया है। यही कारण है कि सपा को मात देने के लिए सत्ताधारी भाजपा ने शुक्रवार को लखनऊ में परशुराम की प्रतिमा का अनावरण किया है। इसके साथ ही अब भगवान परशुराम पर राजनीति पहले से ज्यादा तेज हो गई है। इससे पहले अखिलेश यादव ने भगवान परशुराम मंदिर का उद्घाटन किया था।

रीता बहुगुणा के बेटे मयंक ने बनाई है मूर्ति

भाजपा ने लखनऊ के कृष्णा नगर में शुक्रवार को भगवान परशुराम की मूर्ति स्थापना समारोह कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में प्रतिमा के अनावरण के लिए डिप्टी सीएम डॉ. दिनेश शर्मा सहित कानून मंत्री बृजेश पाठक ने हिस्सा लिया। बीजेपी सांसद रीता बहुगुणा जोशी के बेटे मयंक जोशी समेत बीजेपी कार्यकर्ताओं ने मंत्री जी को भगवान परशुराम का प्रतीक चिन्ह भेंट कर स्वागत किया। बीजेपी ने लखनऊ के सहसोवीर मंदिर में भगवान परशुराम की 11 फीट ऊंची प्रतिमा लगवाई है। 6 फीट ऊंची प्रतिमा को 5 फीट ऊंचे चबूतरे पर स्थापित किया गया है। यह प्रतिमा बीजेपी सांसद रीता बहुगुणा जोशी के बेटे मयंक जोशी ने बनवाई है।

ब्राह्मणों को अपने साथ लेकर सपा ने BJP को फंसाया

इससे पहले रविवार को लखनऊ के गोसाईंगंज में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी भगवान परशुराम के मंदिर और उनके फरसे का अनावरण किया। सपा प्रमुख ने वैदिक मंत्रोच्चार के साथ भगवान परशुराम की पूजा की और आशीर्वाद लेकर चुनावी बिगुल फूंका। इस दौरान अखिलेश यादव एक हाथ में परशुराम का फरसा लिए दिखे तो दूसरे हाथ में भगवान कृष्ण का सुदर्शन चक्र। ऐसा कर सपा नेतृत्व ने साफ कर दिया है कि अब उसके हाथ से सत्ता की चाबी जाने वाली है। नाराज ब्राह्मण इस बार भाजपा का साथ नहीं देंगे।

15 मई तक है 15वीं विधानसभा का कार्यकाल

बता दें कि उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव ( Uttar Pradesh Election 2022 ) अब रंगत में दिखाई आ गई है। कुल 403 सीटों वाली यूपी विधानसभा के लिए ये चुनाव फरवरी से अप्रैल के बीच हो सकते हैं। 17वीं विधानसभा का कार्यकाल 15 मई तक है। साल 2017 में 403 विधानसभा सीटों पर चुनाव 11 फरवरी से 8 मार्च के बीच 7 चरणों में संपन्न हुए थे। 2017 में 61 फीसदी मतदाताओं ने मतदान किया थां इनमें 63 प्रतिशत से ज्यादा महिलाएं थीं, जबकि पुरुषों का प्रतिशत करीब 60 फीसदी रहा। पांच पहे के चुनाव में भाजपा ने 312 सीटें जीतकर पहली बार यूपी विधानसभा ( Uttar Pradesh Vidhansabha ) में तीन चौथाई बहुमत हासिल किया।

2017 में अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) की अगुवाई वाली समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) और कांग्रेस (Congress) गठबंधन 54 सीटें जीत पाई थी। इसके अलावा, प्रदेश में कई बार मुख्यमंत्री रह चुकीं मायावती की बीएसपी ( Bahujan Samaj Party ) 19 सीटों पर संतोष करना पड़ा था। इस बार सीधा मुकाबला समाजवादी पार्टी और भाजपा के बीच है। भाजपा योगी आदित्यनाथ और पीएम मोदी के चेहरे को आगे कर चुनाव लड़ रही है। वहीं सपा की ओर से अखिलेश यादव बागडोर संभाले हुए हैं।

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