बाहुबली शहाबुद्दीन ने मांगी बीमार मां से मिलने के लिए जमानत, कोर्ट ने कहा मुलाकात के लिए दिल्ली बुला लो

कोर्ट ने कहा, शहाबुद्दीन को पारिवारिक शोक जैसी स्थिति में ‘कस्टडी पैरोल’ देने पर विचार कर सकती है, मगर असल मुद्दा यह है कि बिहार और दिल्ली सरकार दोनों उनकी सुरक्षा सुनिश्चित नहीं कर रहे हैं। इस स्थिति में उनके परिवार को उनसे यहीं आकर मुलाकात करनी होगी...

Update: 2020-11-04 05:07 GMT

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नई दिल्ली। तिहाड़ जेल में बंद बिहार के सीवान से पूर्व बाहुबली सांसद और राष्ट्रीय जनता दल के पूर्व नेता मोहम्मद शहाबुद्दीन घर जाकर परिवार से मिलना चाहते थे, लेकिन दिल्ली हाईकोर्ट ने उन्हें परिवार को दिल्ली बुलाकर ही मिलने को कहा है।

हाईकोर्ट ने यह निर्देश तब दिया, जब गैंगस्टर माने जाने वाले शहाबुद्दीन को सुरक्षा मुहैया कराने को लेकर बिहार और दिल्ली सरकार के बीच सहमति नहीं बन पाई।

दिल्ली सरकार के अतिरिक्त स्थायी वकील संजय लाव ने कोर्ट के सामने तर्क दिया कि बिहार में कैदी की सुरक्षा के लिए दिल्ली पुलिस को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। उन्हें बिहार ले जाना मुश्किल होगा, क्योंकि उनके साथ जाने के लिए पुलिस की एक पूरी बटालियन की जरूरत होगी और कोविड-19 महामारी के कारण ट्रेनें भी सामान्य रूप से नहीं चल रही हैं।

बिहार सरकार की तरफ से पेश वकील केशव मोहन ने कहा कि शहाबुद्दीन को दिल्ली की तिहाड़ जेल में रखा गया है और उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी निश्चित तौर पर दिल्ली की है।

वहीं जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति भंभानी ने कहा कि 'अदालत कैदी शहाबुद्दीन को पारिवारिक शोक जैसी स्थिति में 'कस्टडी पैरोल' देने पर विचार कर सकती है, मगर असल मुद्दा यह है कि बिहार और दिल्ली सरकार दोनों उनकी सुरक्षा सुनिश्चित नहीं कर रहे हैं। इस स्थिति में उनके परिवार को उनसे यहीं आकर मुलाकात करनी होगी।'

गौरतलब है कि हत्या के एक मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे गैंगस्टर शहाबुद्दीन ने सीवान जाने के लिए इस आधार पर 'कस्टडी पैरोल' (Custody Parole) मांगी थी कि उनके पिता का 19 सितंबर को निधन हो गया और वह अपनी मां के साथ कुछ समय बिताना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि उनकी मां पिता की मौत के बाद से अस्वस्थ चल रही हैं।

शहाबुद्दीन की ओर से पेश वरिष्ठ वकील सलमान खुर्शीद ने कहा कि बिहार सरकार एक हलफनामे में कहे कि वह उनकी देखरेख और रक्षा नहीं कर सकते हैं। इसके बाद वह अदालत द्वारा सुझाए गए विकल्प पर विचार करेंगे। शहाबुद्दीन को 'हिस्ट्रीशीटर टाइप ए' या सुधार से परे घोषित किया गया था।

गौरतलब है कि शहाबुद्दीन 2016 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर शहाबुद्दीन का केस बिहार से दिल्ली ट्रांसफर किया गया था। इसके बाद फरवरी 2017 में शहाबुद्दीन को बिहार से दिल्ली की तिहाड़ जेल में शिफ्ट किया गया था। तब से पूर्व सांसद यहीं कैद हैं।

साल 2004 के तेजाब कांड समेत कुल 37 मामलों में शहाबुद्दीन आरोपी हैं और उसी के तहत तिहाड़ जेल में बंद हैं। सितंबर 2016 में शहाबुद्दीन को पटना हाईकोर्ट ने जमानत दी थी। इसके बाद वो बेऊर जेल से बाहर आते ही नीतीश सरकार के खिलाफ बयान देना शुरू कर दिया था, जिके बाद बिहार सरकार हाईकोर्ट से मिली जमानत के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई थी। तब सुप्रीम कोर्ट ने शहाबुद्दीन की जमानत रद्द करते हुए तिहाड़ भेजने का आदेश दिया था।

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