EVM Dispute : सुप्रीम कोर्ट पहुंचा EVM विवाद, बैलेट पेपर से हो चुनाव, 2018 में विपक्षी दलों ने भी उठाया था ये मुद्दा

याची मनोहर लाल शर्मा ने अपनी याचिका में जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 61(a) को चुनौती दी है। धारा 61(a) में बैलेट पेपर की जगह इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन यानी ईवीएम से मतदान कराए जाने का प्रावधान किया गया है। याची का कहना है थ्क इस प्रावधान को अब तक संसद से मंजूरी नहीं मिली है।

Update: 2022-01-19 08:34 GMT

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नई दिल्ली। पांच राज्यों विधानसभा चुनाव ( Assembly Election 2022 ) तैयारियों के बीच ईवीएम विवाद एक बार सुप्रीम में पहुंच गया है। इस बार वरिष्ठ अधिवक्ता मनोहर लाल शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में EVM से मतदान के खिलाफ याचिका दायर की है। उन्होंने अपनी याचिका पर जल्द सुनवाई की मांग की है। इस पर सीजेआई एन वी रमण ( CJI NV Ramana ) ने कहा कि क्या अब आपको EVM मशीन से दिक्कत है?

इसके जवाब में सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court ) के वरिष्ठ अधिवक्ता मनोहर लाल शर्मा ने कहा कि बैलेट पेपर ( ballot paper ) से ही चुनाव होने चाहिए। हम कानूनी नजरिए से बात कर रहे हैं। साथ ही उन्होंने शीर्ष अदालत से विधानसभा चुनावों से पहले ही सुनवाई मांग की है। इस पर मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि वो इस मसले को देखेंगे।

EVM से कराए गए सारे चुनाव अवैध

EVM Dispute : याची मनोहर लाल शर्मा ने अपनी याचिका में जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 61(a) को चुनौती दी है। धारा 61(a) में बैलेट पेपर की जगह इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन यानी ईवीएम से मतदान कराए जाने का प्रावधान किया गया है। याची का कहना है थ्क इस प्रावधान को अब तक संसद से मंजूरी नहीं मिली है। लिहाजा मतदान बैलेट पेपर के जरिए ही कराए जाएं। उन्होंने इस बात का भी दावा किया है कि ईवीएम से कराए गए सभी चुनाव अवैध हैं। सब जगह बैलेट के जरिए फिर से मतदान कराया जाना चाहिए।

2019 में 17 विपक्षी दलों ने उठाया था ये मुद्दा

EVM Dispute : बता दें कि हर बार विधानसभा और लोकसभा चुनाव से पहले ईवीएम का मुद्दा उठता है। 2019 लोकसभा चुनावों से पहले यानि अगस्त 2018 में ​17 विपक्षी दलों इस मुद्दे को उठाया था। उस समय 17 विपक्षी दलों का एक प्रतिनिधिमंडल चुनाव आयोग से मिला था। साल 2018 में इससे पहले कांग्रेस और समाजवादी पार्टी अपने अधिवेशन में बैलट पेपर पर लौटने की मांग करते हुए प्रस्ताव पारित कर किया था। तृणमूल कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी भी ऐसी मांग करती रहीं हैं।  

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