India-China Relations : आत्मनिर्भर भारत या चीन निर्भर भारत बनाना चाहते हैं मोदी?, ब्रह्म चेलानी ने सरकार को कटघरे में किया खड़ा

India-China Relations : चेलानी ने कहा कि हाल ही में सरकार ने 1.79 अरब डॉलर के इन्वेस्टमेंट प्रपोजल मंजूर किए हैं। ये उन पड़ोसी देशों के हैं जो भारत में निवेश करने के इच्छुक हैं लेकिन सरकार ने ये बात सार्वजनिक नहीं की कि ये सारे प्रस्ताव जो मंजूर हुए वो चीन के हैं....

Update: 2022-04-17 11:15 GMT

India-China Relations : आत्मनिर्भर भारत या चीन निर्भर भारत बनाना चाहते हैं मोदी?, ब्रह्म चेलानी ने सरकार को कटघरे में किया खड़ा

India-China Relations : राष्ट्रीय सुरक्षा बोर्ड के पूर्व सदस्य व जानेमाने लेखक ब्रह्म चेलानी (Brahma Chellaney) ने केंद्र की मोदी सरकार को कटघरे में खड़ा किया है। चेलानी ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से लिखा कि सीमा पर चीन की मनमानी के बाद मोदी सरकार को उसके खिलाफ सख्त कदम उठाने चाहिए थे लेकिन सरकार केवल चीन को खुश करने का काम कर रही है।

चेलानी ने कहा मोदी क्या आत्मनिर्भर भारत बनाना चाहते हैं या चीन निर्भर भारत? 2021 में चीन के द्विपक्षीय व्यापार अधिशेष (Trade Surplus) ने भारत के रक्षा बजट को पीछे छोड़ दिया क्योंकि व्यापार 125.7 बिलियन डॉलर के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया। अब पिछली तिमाही में चीन के व्यापार अधिशेष ने एक नया रिकॉर्ड बनाया है।

उन्होंने कहा कि हाल ही में सरकार ने 1.79 अरब डॉलर के इन्वेस्टमेंट प्रपोजल मंजूर किए हैं। ये उन पड़ोसी देशों के हैं जो भारत में निवेश करने के इच्छुक हैं लेकिन सरकार ने ये बात सार्वजनिक नहीं की कि ये सारे प्रस्ताव जो मंजूर हुए वो चीन के हैं। एक तरफ चीन हमें लगातार आंखें दिखा आ रहा है, वहीं चीन से आ रहे बेवजह के साजोसामान की आम को सरकार रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठा रही है।

चेलानी के ट्वीट पर तरह तरह की प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। एक यूजर ने लिखा- हमारे पास 2014 से एक तमाशा व्यापार नीति है। कई इलेक्ट्रोनिक व इंजीनियरिंग सामान एमएसएमई बंद हो गए। भारत अब मैन्युफैक्चरिंग हब नहीं रह गया है, चीन से सस्ते आयाद ने भारत में व्यवसायों को बर्बाद कर दिया है। सरकार की ओर से आयात पर कोई रोक नहीं है।

एक अन्य यूजर ने लिखा- हमें अपने प्रोडक्ट्स को प्राथमिकता देनी चाहिए। ऐसा लगता है कि हमारी सरकार आत्मनिर्भरता के बारे में भूल गई है, चीने के साथ $125.7 बिलियन का व्यापार बताता है कि हम चीनी प्रोडक्ट्स का मुकाबला करने में विफल रहे हैं।

 

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